सोलर एनर्जी अब सिर्फ ‘डेलाइट’ नहीं, बल्कि सस्ती बैटरी से उगाएगी रात में भी सूरज !

Update: 2025-12-12 10:07 GMT

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Solar Energy : लंदन से आई एक ताज़ा रिपोर्ट ने वैश्विक ऊर्जा जगत में हलचल मचा दी है. Ember नाम के एक स्वतंत्र ऊर्जा थिंक-टैंक ने बताया कि अब बैटरी इतनी सस्ती हो चुकी है कि दिन में बनी सोलर बिजली को स्टोर करके रात में भी आसानी से दिया जा सकता है. यानी सोलर अब सिर्फ ‘डेलाइट’ बिजली नहीं रहा, बल्कि किसी भी वक्त इस्तेमाल होने वाली विश्वसनीय बिजली बन चुका है.

रिपोर्ट कहती है कि 2025 में बैटरी स्टोरेज की लागत गिरकर सिर्फ 65 डॉलर प्रति मेगावॉट-घंटा रह गई है. यह लागत चीन और अमेरिका के बाहर की वैश्विक मार्केट के लिए है. ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट पिछले दो सालों में सबसे तेज़ रही है और पूरी दुनिया की बिजली व्यवस्था को नया आकार दे सकती है.

Ember की ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी एनालिस्ट कोस्तांसा रेंगेलोवा ने कहा, “2024 में बैटरी उपकरणों की कीमतें 40% गिरी थीं. और 2025 में भी वही तेज़ गिरावट जारी है. बैटरियों की अर्थव्यवस्था बदल चुकी है, और उद्योग अभी इस नई हकीकत को समझ रहा है.”

कैसे सस्ती बैटरी सोलर को ‘हमेशा तैयार’ बिजली बनाती है

अब तक सोलर का सबसे बड़ा सवाल यही था कि दिन में तो यह खूब बनती है, पर रात में क्या? इसका जवाब अब बैटरी दे रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी बैटरी स्टोरेज सिस्टम की लागत अब 125 डॉलर/किलोवॉट-घंटा रह गई है. इनमें से सिर्फ 75 डॉलर किलोवॉट-घंटा बैटरी उपकरण की कीमत है, जो चीन से आती है. बाकी लागत इंस्टॉलेशन और ग्रिड कनेक्शन की है. इस कम लागत का सीधा मतलब है कि सोलर को स्टोर करके जरूरत पड़ने पर किसी भी समय इस्तेमाल किया जा सकता है.

Ember की गणना बताती है कि अगर दिन की आधी सोलर बिजली को बैटरी में स्टोर किया जाए, तो स्टोरेज की लागत कुल बिजली पर सिर्फ 33 डॉलर/MWh का बोझ डालती है. वैश्विक औसत सोलर कीमत 43 डॉलर/MWh है. इस तरह, स्टोरेज के साथ तैयार बिजली की कुल लागत 76 डॉलर/MWh बैठती है.

रेंगेलोवा कहती हैं, “अब सोलर सिर्फ दिन में मिलने वाली सस्ती बिजली नहीं रहा, बल्कि ‘कभी भी’ मिलने वाली डिस्पैचेबल बिजली बन गया है. यह खासकर उन देशों के लिए गेम-चेंजर है जहां मांग तेज़ी से बढ़ रही है.”

भारत और दुनिया के लिए क्या मायने?

रिपोर्ट सीधे कहती है कि सस्ती बैटरी और सोलर मिलकर उन देशों के लिए नई रीढ़ बन सकते हैं जो,

-तेजी से बढ़ती बिजली मांग से जूझ रहे हैं

-कोयले पर निर्भर हैं

-और ऊर्जा सुरक्षा के जोखिम देख रहे हैं

भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में जहां पीक डिमांड लगातार बढ़ रही है और कोयले पर निर्भरता अभी भी बहुत अधिक है, बैटरी-समर्थित सोलर सिस्टम शहरों से लेकर गांवों तक बिजली के भविष्य को बदल सकते हैं.

ऊर्जा क्षेत्र में ‘पलटाव’ का संकेत

Ember का कहना है कि बैटरी की उम्र बढ़ी है। एफिशिएंसी बेहतर हुई है। फाइनेंसिंग पर लागत कम हुई है और नीतियां अब बैटरियों को स्थिर राजस्व मॉडल दे रही हैं, जैसे पावर स्टोरेज की नीलामी इन सबने मिलकर बैटरी स्टोरेज को बेहद सस्ता, विश्वसनीय और मुख्यधारा का समाधान बना दिया है.

साफ़ एनर्जी ट्रांजिशन का नया अध्याय

रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि दुनिया का ऊर्जा भविष्य अब सोलर और बैटरी के जोड़ पर खड़ा होगा. ये दोनों मिलकर सस्ती बिजली देंगे, स्थिर पावर सिस्टम बनाएंगे और कोयले-तेल पर निर्भरता खत्म करने की राह तेज़ करेंगे. दुनिया जिस 'क्लीन पावर मोमेंट' का इंतज़ार कर रही थी, वह शायद अब तेजी से सामने आ रहा है.

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