दुनियाभर में अपने अधिकारों से वंचित हैं महिलायें, काउंसिल ऑफ़ यूरोप एकॉर्ड से क्यों अलग हुआ टर्की?

अमेरिका के 19 राज्यों में गर्भपात पर अंकुश लगाने की तैयारी चल रही है। वर्ष 2020 में अमेरिका ने एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया था, जिसपर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश तानाशाही, घुर दक्षिणपंथी विचारधारा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकारों के हनन के लिए कुख्यात हैं।

Update: 2021-03-21 13:24 GMT

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वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

टर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगन ने अपने देश को एक ऐसे समझौते से अलग कर लिया है जो महिलाओं की सुरक्षा से सम्बंधित था। यह समझौता कौंसिल ऑफ़ यूरोप एकॉर्ड के नाम से जान जाता है, इसे इस्तांबुल समझौता भी कहा जाता है। इसमें महिलाओं को घरेलु हिंसा से बचाने और लैंगिक समानता की बात कही गयी है।

टर्की ने इस समझौते को वर्ष 2011 को स्वीकार किया था, पर अब जबकि महिलाओं की हिंसा टर्की में सामान्य घटना हो गयी है, यह समझौते से अलग हो गया है। यह घोषणा परिवार, श्रम और सामाजिक नीति मंत्री जेहरा ज़ुमृत ने इस्तांबुल समझौते से अलग होने की घोषण की, पर इसका कोई कारण नहीं बताया।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार टर्की के संविधान और क़ानून में महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक समानता के पर्याप्त प्रावधान है, और देश में एक सशक्त न्याय प्रणाली है जो गुनाहगारों को सजा देती है, इसलिए इस समझौते में बने रहने का कोई औचित्य नहीं था। पर, वहां के मानवाधिकार कार्यकर्ता बताते हैं कि टर्की में घरेलु हिंसा, यौन हिंसा और महिलाओं की हत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और सरकार इसके प्रति पूरी तरह से उदासीन है।

टर्की एक ऐसा देश है, जहां महिलाओं की हत्या के आंकड़े सरकारी तौर पर रखे ही नहीं जाते, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टर्की में 38 प्रतिशत से अधिक महिलायें घरेलु हिंसा का शिकार होतीं हैं, जबकि यूरोप में यह औसत 25 प्रतिशत है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार समय-समय पर राष्ट्रपति महिलाओं की ह्त्या की भर्त्सना तो करते हैं पर इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाते। टर्की, इस समझौते से अलग होने वाला पहला देश नहीं है बल्कि इससे पहले पोलैंड ने यह कदम उठाया था।

पोलैंड में महिलायें लम्बे समय से गर्भपात के अधिकार की मांग लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे ही आन्दोलन उत्तरी आयरलैंड में भी किये जा रहे हैं। ब्राज़ील, मेक्सिको और कोलंबिया में भी ऐसे प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इन सबके बीच हाल में ही दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना ने महिला सशक्तीकरण की तरफ एक अहम् कदम बढाते हुए गर्भपात को कानूनी मान्यता दे दी है।

दक्षिण अमेरिका में उरुग्वे, क्यूबा, गुयाना और मेक्सिको के कुछ राज्यों में पहले से ही गर्भपात को कानूनी मान्यता मिली है। अर्जेंटीना के बाद अब दक्षिण अमेरिकी देशों में महिलायें नए उत्साह के साथ प्रदर्शन में जुट गईं हैं। होंडुरस की सरकार गर्भपात को मान्यता देने के लिए गहन विचार-विमर्श कर रही है।

अमेरिका के 19 राज्यों में गर्भपात पर अंकुश लगाने की तैयारी चल रही है। वर्ष 2020 में अमेरिका ने एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया था, जिसपर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश तानाशाही, घुर दक्षिणपंथी विचारधारा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकारों के हनन के लिए कुख्यात हैंI इस घोषणा पत्र के अनुसार गर्भपात को अवैध करार दिया गया हैI यह ट्रम्प की विदेशनीति, जिसके तहत पुरातनपंथी और कट्टरवादी सरकारों से नजदीकियां बढाने का एक महत्वपूर्ण कदम थाI

इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लगभग सभी देश असहिष्णुता और नागरिकों के दमन के लिए जाने जाते हैं और जनतांत्रिक इंडेक्स और महिला विकास से जुड़े सभी इंडेक्स में सबसे नीचे के क्रम में शामिल रहते हैंI इसमें अमेरिका के अतिरिक्त इंडोनेशिया, ब्राज़ील, ईजिप्ट, हंगरी, पोलैंड, यूगांडा, कांगो, बेलारूस, सऊदी अरब, बहरीन, यूनाइटेड अरब एमिराट्स, इराक, सूडान, साउथ सूडान और लीबिया समेत कुल 31 देश हैंI

अमेरिका में जो बाइडेन सरकार में स्वास्थ्य सचिव गर्भपात के प्रबल हिमायती हैं, इसलिए अब महिलाओं में एक ने उत्साह है। जो बाइडेन प्रशासन ने दुनाल्ड ट्रम्प के उस फैसले को भी पलता है, जिसके तहत गर्भपात पर काम करने वाले अन्तराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की फंडिंग रोक डी गयी थी। इस फैसले को पलटने का असर अफ्रीकी देशों पर भी पड़ा है, जहां अब सुरक्षित गर्भपात फिर से शुरू हो सका है क्योंकि अब गैर-सरकारी संगठन भी आर्थिक मदद कर पा रहे हैं।

दुनियाभर में महिलाओं के दमन के बीच 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में महिलाओं की स्थिति पर एक अधिवेशन किया था, जिसमें अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैर्रिस ने एक सशक्त भाषण दिया था। इसमें उन्होंने बताया था की लोकतंत्र को जिन्दा रखने के लिए महिलाओं की भागीदारी बढानी पड़ेगी और इसका असर देशों की अर्थव्यवस्था पर भी होता है।

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