आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जमीन कब्जाये के सदमे में किसान की मौत, 2 महीने में 10 की जा चुकी जान

खिरिया बाग आंदोलनकारियों का दावा है कि पिछले दो महीने में 10 किसान-मजदूरों की आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जबरन जमीन कब्जाये के सदमे से मृत्यु हो चुकी है...

Update: 2022-12-12 12:09 GMT

सरकार द्वारा जमीन कब्जाये जाने का गम सहन नहीं कर पाये बुजुर्ग किसान सुभाष उपाध्याय, हार्ट अटैक से हुई मौत

Protest against Azamgarh Airport : खिरिया बाग आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ साथी सुभाष उपाध्याय की जमीन-मकान जाने के सदमे में हुई मृत्यु के बाद 61वें दिन धरने पर श्रद्धांजलि दी गई। खिरिया बाग के धरना स्थल पर आंदोलनकारियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। खिरिया बाग के किसानों-मजदूरों ने कहा कि 13 दिसंबर को प्रस्तावित वार्ता के समय परिवर्तन को लेकर हमारा आग्रह था, लेकिन अब तक कोई सूचना नहीं मिली कि कब वार्ता होगी। हमारी गुजारिश है कि इस विकट परिस्थिति में जितना जल्द हो ठोस निर्णायक वार्ता की जाए। इसका आंदोलनकारी सम्मान करेंगे।

मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने कहा कि 'जमुआ हरिराम के सुभाष उपाध्याय की जमीन जाने के सदमे से कल 11 दिसंबर की शाम को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इससे जमीन-मकान बचाओ आंदोलन की अपूर्णनीय क्षति हुई है। शोक को संकल्प में तब्दील कर हम इस लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ेंगे। पिछले दो महीने में 10 किसान-मजदूरों की जमीन जाने के सदमे से मृत्यु हो चुकी है। हमारी मांग है कि सरकार असंवेदनशील न होकर किसानों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे. किसानों-मजदूरों की मांगों का सम्मान कर अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के मास्टर प्लान को वापस ले।'

आंदोलनकारी किसान की मौत पर किसान नेता राजीव यादव कहते हैं, 'खिरिया बाग में किसान मजदूर 2 माह से अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, मरने वाले किसान सुभाष उपाध्याय भी इस आंदोलन में हिस्सेदार रहे हैं और जमीन जाने का गम वह सह नहीं पाये। किसानों की जो जमीन पीढ़ियों से उनके पास है वह उन्हें अन्न की सुरक्षा के साथ जीवन जीने का भरोसा भी देती है। सरकार विकास के नाम पर मजदूरों किसानों का दमर कर रही है, जिसका एक बड़ा प्रमाण आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए बिना किसानों की अनुमति के उनकी जमीन कब्जाया जाना है। किसानों और मजदूरों की जमीन छीनकर पूजीपतियों के लिए एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, जिसकी आम जनता को कोई आवश्यकता नहीं है। अगर सरकार सही मायने में जनता के लिए विकास करना चाहती है तो किसानों के लिए मंडियों का निर्माण क्यों नहीं कर देती। सुभाष उपाध्याय और उनके जैसे किसानों की मौत को स्वाभाविक मौत नहीं बल्कि हत्या कहना ज्यादा ठीक होगा।'

श्रद्धांजलि सभा में दुखहरन राम, राजीव यादव, राजेश आज़ाद, बलवंत यादव, मसीहुद्दीन संजरी, तारीक शफीक, ऊषा यादव, किस्मती, सुशीला, सुजय उपाध्याय आदि शामिल रहे।

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