'चीन के सबसे ज्यादा चक्कर तुम लगाओ और एजेंट हो गये हम' भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर जोशीमठ आंदोलनकारी अतुल सती हुए हमलावर

देशभक्त और देशद्रोह के प्रमाणपत्र की जरूरत हमको नहीं है। हम देश की अंतिम सीमा पर तमाम दुश्वारियों के बावजूद डटे हैं डटे रहेंगे। पलायन कर हम देहरादून-ऋषिकेश नहीं गये, यहीं लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं, करते रहे हैं, यही हमारा प्रमाणपत्र है....

Update: 2023-02-01 09:05 GMT

'चीन के सबसे ज्यादा चक्कर तुम लगाओ और एजेंट हो गये हम' भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर जोशीमठ आंदोलनकारी अतुल सती हुए हमलावर

Joshimath Sinking : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट द्वारा जोशीमठ आपदा पीड़ितों और आंदोलनकारियों को माओवादी, चीन का एजेंट और देशद्रोही कहे जाने पर बुरी तरह नाराज जोशीमठ के आंदोलनकारी अतुल सती कहते हैं, भाई साहब पहले कल के सवालों का जवाब दे दीजिये बाद में अपने दिये बयान की लीपापोती करते रहियेगा।

पहला सवाल : 14 महीने आपकी सरकार क्या करती रही? क्यों नहीं वक़्त पर आपने लोगों की आवाज सुनी? लगातार चिल्लाने के बावजूद आपने स्थिति के खराब से खराब हो जाने का इंतजार क्यों किया ? तब तो लोग इस तरह सड़क पर भी नहीं आए थे?

दूसरा सवाल : क्या आपने हमें अपने घर पर नहीं बुलाया? मुख्यमंत्री द्वारा 1 जनवरी को हमें दुत्कार दिये जाने के बाद क्या आपने यह कहकर कि रात 10 बजे मुख्यमंत्री से मैं आपकी बात रखूंगा,आपने हमसे सुझाव नहीं लिये? और हमसे मुलाकात (रात 8 बजे) से पहले ही साँय 7 : 20 पर प्रेस में बयान क्यों भेज दिया? क्या यह जोशीमठ की जनता को बेवकूफ बनाना नहीं था, जो कि पहले ही सत्ता शाशन द्वारा उपेक्षित थी? आपदा से पीड़ित जनता जो तब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर थी, के साथ यह भद्दा मज़ाक नहीं था?

तीसरा सवाल : आप जब जोशीमठ आए तब क्या आपका विरोध आप ही के कार्यकर्ताओं ने नहीं किया? क्यों किया? क्या वे भी चीन के एजेंट थे? आपने लोगों से आंदोलन में जाने से मना नहीं किया? जिसके जवाब में लोगों ने आपका विरोध किया, जिसके वीडियो वायरल हुए? क्या आपके व्यवहार के लिये मंत्री धनसिंह जी ने मुझसे माफी की बात नहीं की? और क्यों की आपके किस व्यवहार के लिये?

चौथा सवाल : क्या आप 2019 में जोशीमठ में बाईपास सड़क के सवाल पर हमारे साथ गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत जी के नेतृत्व में दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी से मिलने नहीं आए? तब भी आंदोलन ही हुआ था। आपकी ही सरकार थी। तब भी जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का संयोजक मैं ही था। तब क्यों आपने आपत्ति नहीं की?

पांचवा सवाल : पिछला भूल भी जायें तो 1 जनवरी 2023 से 4 तारीख जनवरी तक आपको या आपकी सरकार को निर्णय लेने से किसने रोका था? क्यों 5 जनवरी को जब बाजार बन्द हुआ चक्काजाम लगा तभी आपकी सरकार व प्रशासन हरकत में आया?

फिलहाल अंतिम और छठा सवाल : 5 जनवरी से लेकर अब तक कोई भी नीतिगत निर्णय लेने से आपको या आपकी सरकार को कौन रोक रहा है? जनता के सवालों को उनकी मांगों को हल कीजिये और आंदोलन स्वतः समाप्त हो जाएगा, इसमें कौन आपका हाथ पकड़ रहा है?

आज तक जो भी सरकार ने जितना भी किया है वह हमारे ही सुझाव के अनुसार उसको घटा बढ़ा कर किया है, तब हम आपके लिये बाधा हैं या...?

शेष देशभक्त और देशद्रोह के प्रमाणपत्र की जरूरत हमको नहीं है। हम देश की अंतिम सीमा पर तमाम दुश्वारियों के बावजूद डटे हैं डटे रहेंगे। पलायन कर हम देहरादून—ऋषिकेश नहीं गये, यहीं लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं, करते रहे हैं, यही हमारा प्रमाणपत्र है।

अतुल सती एक कवितानुमा पोस्ट में लिखते हैं,

हे महोदय श्रीमान भट्ट जी! चीन के साथ पींगे तुम बढ़ाओ। व्यापार तुम बढ़ाओ । चीन से बड़ी बड़ी मूर्तियाँ तुम बनवाओ। चीन को बड़े बड़े ठेके पुल तुम बनवाओ। अपने गांव से रिश्ते तुम निकलवाओ। सबसे ज्यादा चीन के चक्कर तुम लगाओ। चीन के साथ एक्स्ट्रा 2 a b तुम्हारा। और एजेंट पीड़ित जनता?

हमने तो 1962 के युद्ध के बाद उधर देखा भी नहीं। हमारा तो पीढ़ियों के व्यापार था तिब्बत के साथ। वह बन्द हो गया, यहां जनता ने उसका नुकसान उठाया। बद्रीनाथ का और थौलिंग मठ का सांस्कृतिक सम्बन्ध था। वहां से बद्रीनाथ के लिये हर साल कम्बल आता था। वह टूट गए। हमने देश की खातिर परवाह न की। आज भी अगर चीन इधर देखे तो हम ही सबसे पहले उससे सामना करेंगे, इसलिये यहां हैं और सारी दुश्वारियों के बावजूद डटे हैं।

हमें कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है। तुम्हें है....

यदि अपनी जनता की परवाह है तो उसके भविष्य की, जमीन जायदाद की, घर मकानों की सम्पत्ति की भरपाई करो। मानवता की इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत जोशीमठ के बचाव के उपाय करो! ये बताओ 14 महीने क्यों सोये रहे? ये बताओ कि कम्पनी जरूरी कि जनता का भविष्य? तू इधर उधर की न बात कर ये बता ये काफिला क्यों लुटा...?

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