मप्र-राजस्थान के बाद कांग्रेस ने झारखंड में भी BJP पर लगाया 'ऑपरेशन लोटस' का आरोप
कांग्रेस जिन राज्यों में सत्ता में है, वहां बारी-बारी से अस्थिरता आ रही है, ऐसे में अब झारखंड की कांग्रेस इकाई भी विधायकों के टूट को लेकर सावधान हो गई है...
जनज्वार, रांची। सामान्य बहुमत वाली या साझेदारी वाली कांग्रेस सरकार भाजपा की आक्रामक राजनीति से सतर्क है। मध्यप्रदेश व राजस्थान के बाद अब कांग्रेस झारखंड में सतर्क हो गई है और प्रदेश का स्थानीय नेतृत्व व प्रभारी आरपीएन सिंह विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में जुट गए हैं। इस बीच कांग्रेस के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष व राज्य के वित्तमंत्री डाॅ रामेश्वर उरांव ने भाजपा पर झारखंड की झामुमो-कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए ऑपरेशन लोटस चलाने का आरोप लगाया है।
रामेश्वर उरांव ने मंगलवार को कहा है कि उनकी पार्टी के चार विधायकों को भाजपा ने प्रलोभन दिया है। उनके अनुसार, राज्यसभा चुनाव के समय से ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि भाजपा पैसे के बल पर विधायकों को अपने पक्ष में करना चाहती है। उरांव के अनुसार, उसने मणिपुर, गोवा, मध्यप्रदेश में ऐसा ही किया।
उरांव ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस के चार विधायकों को भाजपा ने लुभाने का प्रयास किया था। उनसे वोट मांगा गया व पैसे का प्रलोभन दिया गया। उन्होंने कहा कि लेकिन, कांग्रेस के विधायक मजबूती से पार्टी से जुड़े हुए हैं।
मालूम हो कि भाजपा के कुछ नेता बार-बार यह दोहराते हैं कि हेमंत सरकार गिर जाएगी। पिछले दिनों नई प्रदेश इकाई के साथ जब भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की तो उसमें भी उन्होंने यही कहा कि हेमंत सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा किए जाने के खतरों के मद्देनजर कांग्रेस नेताओं ने प्रभारी आरपीएन सिंह व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने से चर्चा की है। आरपीएन सिंह ने एकजुटता के लिए प्रयास आरंभ किए हैं। कांग्रेस कोटे के दो सीनियर मंत्री रामेश्वर उरांव व आलमगीर आलम ने सीएम हेमंत सोरेन से इस मामले पर चर्चा की है। कांग्रेस को आशंका है कि उसके नए विधायकों को भाजपा अपने पक्ष में कर सकती है।
उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कांग्रेस के इस आरोप पर इसे काल्पनिक आरोप बताया है। उन्होंने कहा है कि पता नहीं कांग्रेस को यह सूचना कहां से मिली है, राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत था। उन्होंने कहा है कि कोरोना संकट में उन्हें जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
81 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार गठन के लिए 41 विधायक चाहिए। दो सीटें रिक्त हैं, जिस पर निकट भविष्य मंें चुनाव होगा उससे भी शक्ति संतुलन बदलेगा। दोनों सीटें सत्ताधारी गठबंधन की रिक्त हुई हैं। दो सीटों से जीतने के कारण हेमंत सोरेन ने दुमका सीट छोड़ दी थी, जबकि बेरमो सीट कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह के निधन से रिक्त हुई है।
झामुमो के पास इस समय 29, कांग्रेस के पास 17 व राजद के एक विधायक हैं। भाजपा के पास 26 विधायक हैं और उसे आजसू के दो विधायकों का समर्थन हासिल है। दो निर्दलीयों को भी मिला कर यह संख्या 30 होती है। सत्ता में आने के लिए उसे कम से कम 10 से 11 विधायक चाहिए।