रांची में एयर एशिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से दो बार बचा, तीसरी उड़ान से भेजे गए यात्री
कोझीकोड विमान हादसे के अगले ही दिन रांची में एयर एशिया का मुंबई जाने वाला एक विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से दो बार बचा। एक बार पक्षी टकराने से और दूसरी बार चिंगारी निकलने से। इस कारण यात्रियों ने अपनी नाराजगी भी जतायी...
जनज्वार. रांची। शुक्रवार को हुए कोझीकोड विमान हादसे की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी हुई हैं और इसी बीच रांची में भी एक विमान हादसा होते-होते बचा। यहां पायलट की सूझबूझ से विमान पर सवार 176 लोगों की जान बच गई। शनिवार (8 august 2020) को रांची से मुंबई जाने वाला एयर एशिया का विमान आइ5-632 दिन में 11.50 बजे के करीब रनवे पर पहले पक्षी से टकरा गया जिसके बाद पायलट से इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया।
इसके बाद शाम 4.20 बजे विमान ने जैसे ही दोबारा विमान ने उड़ान भरा तो इंजन में स्पीड अधिक होने पर उससे चिंगारी निकलने लगी। फिर पायलट को विमान में इरमजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा और उसे एप्रोन में लाकर खड़ा किया गया।
इसके बाद देर शाम सवा नौ बजे कोलकाता से एयर एशिया का दूसरा विमान मंगा कर यात्रियों को मुंबई भेजा गया। हालांकि 15 यात्रियों ने अपने टिकट कैंसिल करा लिए।
इस संबंध में एयरपोर्ट निदेशक विनोद शर्मा ने कहा कि एयर एशिया के विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी। इस कारण वह समय पर उड़ान नहीं भर सका। इसके बाद दो घंटे तक इंजीनियरों ने विमान की जांच की और उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही विमान को उड़ान भरने को कहा गया। लेकिन, टेकअप के समय चिंगारी निकली जिसके बाद उसे ग्राउंडेड घोषित कर दिया।
पहली घटना में पक्षी से टकराने के बाद भयभीत यात्री विमान में चिल्लाने लगे। थोड़ी देर बाद घोषणा की गई कि विमान को एप्रोन में ले जाया जा रहा है। उन्होंने एक घंटे विमान में बैठा कर रखा गया और फिर हंगामा करने पर विमान से उतार कर टर्मिनल बिल्डिंग में बैठाया गया। दोबारा यात्रियों को 3.50 बजे विमान में फिर बैठाया गया। लेकिन, जब विमान रनवे पर उड़ान भरने के लिए गया तो चिंगारी निकलने लगी। फिर पायलट को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा और इस बार पहले से अधिक जोर की आवाज निकली।
नाराज विमान यात्रियों ने विरोध भी जताया और उनकी हल्की नोंक-झोंक भी हुई।
रांची एयरपोर्ट पर पहले भी विमान से पक्षियों के टकराने की घटनाएं घट चुकी हैं। इसकी एक वजह तीन किलोमीटर के रेडियस में मांस-मछली की दुकानें होने को भी बताया जाता है।
रनवे के आसपास घनी घास होने की वजह से भी पक्षी किड़े मकौड़े को खाने आसपास आते हैं। इन समस्याओं पर कई बार बैठक हुई है लेकिन इनका समाधान नहीं निकला है।