दुर्घटना में आंख की रौशनी गंवाने वाले राजेश सिंह झारखंड के पहले नेत्र दिव्यांग 'कलेक्टर' बने

राजेश सिंह ने कानूनी लड़ाई लड़ कर नेत्रबाधित होने के बावजूद आइएएस के लिए अपनी पोस्टिंग ली थी, अब बोकारो के उपायुक्त बनाए गए...

Update: 2020-07-14 16:06 GMT

सुमित्रा महाजन द्वारा पुस्तक विमोचन के दौरान उनके साथ राजेश सिंह बिलकुल दाएं.

जनज्वार, रांची। कोरोना आपदा के बीच झारखंड से एक अच्छी खबर आयी है। आंखों से दिव्यांग आइएएस अधिकारी राजेश सिंह को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने बोकारो का डीसी नियुक्त किया है। राजेश सिंह राज्य में जिलाधिकारी का पद संभालने वाले आंखों से पहले दिव्यांग आइएएस अधिकारी होंगे। राजेश इस समय उच्च शिक्षा में विशेष निदेशक के पद पर तैनात हैं।

पटना के धनरुआ के रहने वाले राजेश सिंह जब  तीसरी कक्षा में पढते थे तभी  रौशनी स्कूल बस एक्सिडेंट में सिर पर चोट लगने से चली गई थी।दुर्घटना के बाद दो बार उनकी आंखों की दृष्टि गई। वे एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता पटना कोर्ट में काम करते थे और माता गृहिणी हैं। इसके बावजूद उन्होंने जीवन में हार नहीं मानी और देहरादून के माॅडल स्कूल, दिल्ली विश्वविद्यालय व जेएनयू से पढाई की। उन्होंने यूपीएससी प्रतियोगिता पास की और आइएएस के लिए चयनित हुए। हालांकि उनकी अड़चनें परीक्षा पास कर जाने भर से खत्म नहीं होनी थी। सरकार ने आंखों में दृष्टि नहीं होने के आधार पर उनकी नियुक्ति का विरोध किया।

सेंट स्टीफेंस काॅलेज में पढाने वाली डाॅ उपेंद्र सिंह ने उन्हें अपने पिता तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलवाया। इसके बाद यह मामला अदालत गया और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राजेश सिंह की नियुक्ति करने का निर्देेश दिया और कहा कि आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत होती है। उन्होंने 2007 में आइएएस की परीक्षा पास की लेकिन नियुक्ति 2011 में हो पायी। उन्होंने कोर्ट में अपने लिए कानूनी लड़ाई इस आधार पर लड़ी कि अगर हमें आइएएस में नहीं लेना है तो हमें यूपीएससी की परीक्षा देने देना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर व अभिजीत पटनायक की बेंच ने की थी। उन्हें पहले असम में पोस्टिंग मिली और भाषाई दिक्कतों के आधार पर उन्होंने ट्रांसफर मांगा जिसके बाद उन्हें झारखंड कैडर दे दिया गया। उन्होंने एक किताब लिखी पुटिंग द आइ इन आइएएस। इसका विमोचन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया था। भारत सरकार ने उन पर एक डाक्यूमेंट्री भी तैयार करवायी।

18 आइएएस अधिकारियों का तबादला

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने कार्यकाल के सात महीने में मंगलवार को दूसरी बार बड़े पैमाने पर अफसरों का तबादला किया। इससे पहले उन्होंने आइपीएस अफसरों का बड़े स्तर पर तबादला किया था। आज राज्य के 24 जिलों में आधे से अधिक 15 जिलों के उपायुक्त बदल दिए गए, जिसमें प्रमुख जिले रांची, जमशेदपुर, धनाबाद, बोकारो, देवघर, हजारीबाग व पलामू भी शामिल हैं।  

प्रतीक्षारत आइएएस अधिकारी मनीष रंजन को कोल्हान प्रमंडल का आयुक्त बनाया गया है। प्रतीक्षारत राजेश कुमार को सूचना प्रौद्योगिकी एवं इ गवर्नेंस विभाग का सचिव नियुक्त किया गया जबकि प्रतीक्षारत के श्रीनिवासन को खान एवं भूतत्व विभाग का प्रभारी सचिव बनाया गया।

कृषि पशुपालन विभाग के विशेष सचिव राजेश कुमार पाठक को गढवा, पशुपालन विभाग के निदेशक चितरंजन कुमार को स्थानांतरित कर साहेबगंज का डीसी बनाया गया है। संयुक्त निर्वाचन आयुक्त के पद से हटाकर दिलीप टोप्पो को लोहरदगा का डीसी बनाया गया है। शिशिर कमार को आयुक्त आदिवासी कल्याण के पद से हटाकर गुमला का डीसी बनाया गया है। कलेश्वर प्रसाद सिंह को हजारीबाग के नगर आयुक्त पद से हटाकर देवघर का डीसी, परियोजना निदेशक के पद से स्थाानंतरित कर उमाशंकर सिंह को धनबाद का डीसी, कृषि निदेशक के पद से ट्रांसफर कर छवि रंजन को रांची का डीसी बनाया गया है। अबतक खूंटी के डीसी रहे सूरज कुमार को जमशेदपुर का डीसी व गुमला के डीसी शशि रंजन को वहां से स्थानांतरित कर पलामू का डीसी बनाया गया है।

योजना सह वित्त विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात दिव्यांशु झा चतरा के डीसी, उच्च शिक्षा में निदेश के पद पर तैनात सुशांत गौरव को सिमडेगा का डीसी, परिवहन आयुक्त के पद पर तैनात फैज अक अहमद को जामताड़ा का डीसी, वाणिज्य कर आयुक्त के पर पर अबतक तैनात रहे भोर सिंह यादव को गोड्डा का डीसी और कारा महानिरीक्षक के पद पर तैनात शशि रंजन को खूंटी का डीसी बनाया गया है।

कृष्ण गोपाल तिवारी बने थे पहले नेत्र दिव्यांग कलेक्टर, प्रांजल पाटिल बनीं थी सब कलेक्टर

राजेश सिंह से पहले मध्यप्रदेश में 2008 बैच के आइएएस अधिकारी कृष्ण गोपाल तिवारी पहले जिला कलेक्टर बने थे। 2014 में इस रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी। राजेश सिंह देश के पहले दृष्टिबाधित आइएएस अधिकारी हैं। राजेश व कृष्ण गोपाल के बाद 2012 बैच के आइएएस अधिकारी अजीत कुमार यादव, 2013 बैच के आइएएस अधिकारी अमन कुमार गुप्ता व 2017 बैच की आइएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल का नाम नेत्र दिव्यांग आइएएस अधिकारियों में शामिल है।

राजेश सिंह से पहले पिछले ही साल 2017 बैच की नेत्र दिव्यांग आइएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल केरल के तिरूवनंतपुरम में सब कलेक्टर बनायी गईं थी। महाराष्ट्र के उल्हासनगर की नगर रहने वाली प्रांजल ने भी छह साल की उम्र में अपनी आंखों की रौशनी खो दी थी। वे सब कलेक्टर बनने वाली पहली महिला नेत्र दिव्यांग अधिकारी थीं। उन्होंने तब कहा था कि हम कभी हार नहीं मान सकते हैं और न ही पीछे हट सकते हैं, हम अपनी पूरी क्षमता उस लक्ष्य को पाने में लगाएंगे जो हम चाहते हैं।

 जिला अधिकारी के लिए जिलाधिकारी, उपायुक्त, कलेक्टर व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जैसे पदनाम अलग-अलग राज्य व अलग-अलग क्षेत्र में हैं। 

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