Jharia news: भूतों के डर से अस्पताल के 8 कर्मचारी सो रहे मंदिर में, आधी रात के बाद डरावनी आवाजें सुनायी देने का किया दावा

Jharia news: अस्पताल कर्मचारियों ने दावा किया कि रात 12 बजे के बाद आने वाली डरावनी आवाजों को सुनते ही कुत्ते भी एक सुर में भौंकने और फिर रोने लगते हैं, ऐसा लगता है कि वे यहां कोई हाॅरर फिल्म देख-सुन रहे हैं, मानो यहां भूतों का डेरा है, जो हमसे डिस्टर्ब हो रहे हैं...

Update: 2022-04-09 05:07 GMT

Jharia news: भूतों के डर से अस्पताल के 8 कर्मचारी सो रहे मंदिर में, आधी रात के बाद डरावनी आवाजें सुनायी देने का किया दावा

विशद कुमार की रिपोर्ट

Jharia news: झारखंड के धनबाद जिला अंतर्गत झरिया में चांदकुइयां स्थित अस्पताल में भूतों द्वारा डेरा जमाने की अफवाह फैली हुई है। भूतों की मौजूदगी की अफवाह इतनी तेजी से फैल रही है कि कथित भूतों के खौफ से पिछले 3—4 दिनों में चार कर्मचारी काम छोड़कर भाग चुके हैं, जबकि 8 कर्मचारी दो दिनों से चांदकुइयां स्थित मंदिर में रात गुजार रहे हैं।

गौरतलब है कि चांदकुइयां अस्पताल में ही निगम ने आवारा कुत्तों के बंध्याकरण की व्यवस्था की गई है। पिछले एक माह से इसी अस्पताल में कुत्तों का बंध्याकरण हो रहा है। यहां कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से रात के 12 बजे के बाद अस्पताल में अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देने लगती हैं। इस आवाज को सुनते ही कुत्ते भी एक सुर में भौंकने और फिर रोने लगते हैं, जो काफी डरावना माहौल तैयार कर देता है। कर्मी बताते हैं कि ऐसा लगता है कि वे यहां कोई हाॅरर फिल्म देख-सुन रहे हैं, मानो यहां भूतों का डेरा है, जो हमसे डिस्टर्ब हो रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि आवारा कुत्तों के बंध्याकरण का काम एक एनजीओ स्नेह फांउडेशन को दिया गया है। उसके कर्मियों ने बताया कि 4 अप्रैल को रात के 12 बजे एक कर्मचारी डरावने अंदाज में बोलने लगा - भाग जाओ, भाग जाओ।

5 अप्रैल को भी दो कर्मियों ने वैसा ही किया और 6 अप्रैल को एक साथ 4 कर्मचारी वैसी ही आवाज निकालने लगे। फिर बंध्याकरण के लिए लाए गए 60-70 कुत्ते एक साथ भौंकने और रोने की आवाज निकालने लगे। माहौल एकदम डरावना हो गया था।

कहा जा रहा है कि अस्पताल में रखे लगभग 200 किलो वजनी बेड को एक कर्मचारी ने लात मारकर तोड़ दिया, जिससे भयभीत अन्य कर्मियों ने अस्पताल में रखे सारे बेड को बाहर निकाल दिया है।

अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है, 6 अप्रैल की रात जो चार कर्मी डरावनी आवाज निकाल रहे थे, उन्हीं लोगों ने लात मारकर तीन बेड को क्षतिग्रस्त कर दिया। एक बेड का वजन 200 किलो से कम नहीं है। उसे हटाने में कम से कम पांच आदमी को लगाना पड़ता है। ऐसे में एक झटके में तीन-तीन बेड को तोड़ते देख सभी कर्मी अस्पताल छोड़कर भाग गए। इस घटना के बाद 3 कर्मी जो काम छोड़ कर भाग गए। उनके स्थान पर नए लोगों को लाया गया है।

यह भूतों की करामात है या कर्मियों की शरारत... इस बिंदु पर जांच

अस्पताल में भूत की साया है या कुछ कर्मचारियों की शरारत, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। एनजीओ के पदाधिकारी इसे उन कर्मियों की शरारत मान रहे हैं जो काम छोड़ कर भागने की फिराक में थे और भाग भी गए।

वहीं नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने मामले की जांच के लिए एक सिटी मैनेजर के नेतृत्व में दो सदस्यीय कमेटी गठित की है। टीम चांदकुईया अस्पताल पहुंची। टीम ने कर्मचारियों के साथ बात की है। लेकिन अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।

गौरतलब है कि निगम में जुलाई 2018 में भी इसी तरह भूत की अफवाह फैला थी। परिणाम यह था कि भूत के खौफ से न केवल निगम कार्यालय के कर्मी, बल्कि अफसर तक सहमे हुए रहते थे। आलम यह था कि शाम पांच बजे के बाद कर्मचारी कार्यालय में रुकना नहीं चाहते थे। मजे की बात यह हुई थी कि इसकी जांच करवाने की बजाए निगम में महामृत्युजंय जप कराया गया था। तत्कालीन नगर आयुक्त राजीव रंजन 5 घंटे तक जप में बैठे थे। उसके बाद से अस्पताल बंद था, जो अब 20 साल के बाद एक माह पहले ही खोला गया है।

चांदकुइयां में झमाडा का संक्रमण अस्पताल था। 20 साल पूर्व इस अस्पताल में संक्रमण का इलाज होता था। बाद में यह अस्पताल बंद हो गया। झमाडा कर्मचारियों के अनुसार 20 साल से यह अस्पताल बंद है। एक माह पूर्व इसे आवारा कुत्तों के बंध्याकरण के लिए खोला गया है। अस्पताल के आसपास आबादी भी नहीं है, जिसके चलते सन्नाटा पसरा रहता है।

नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार इस मामले में कहते हैं, "चांदकुईया में भूत के होने को लेकर शिकायत मिली है। शिकायत में कितनी सच्चाई है, इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा है कि यह कर्मियों की शरारत भी हो सकती है। जरूरत पड़ने पर सीसीटीवी भी लगाए जाएंगे।"

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