बोकारो पुलिस की हैवानियत: मुस्लिम पति-पत्नी को रात में बुलाया, दोनों के साथ अभद्रता, जमकर पिटाई, पति-पत्नी अस्पताल में भर्ती

Bokaro News: झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत बालीडीह थाना क्षेत्र के मखदुमपुर निवासी शिक्षक अमानत हुसैन एवं उनकी पत्नी साबरा बेगम के साथ बालीडीह पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के बाद पति-पत्नी बोकारो सदर अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं।

Update: 2022-01-08 14:31 GMT

Bokaro News: झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत बालीडीह थाना क्षेत्र के मखदुमपुर निवासी शिक्षक अमानत हुसैन एवं उनकी पत्नी साबरा बेगम के साथ बालीडीह पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के बाद पति-पत्नी बोकारो सदर अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। पति-पत्नी अपने ऊपर हुए पुलिसिया उत्पीड़न की शिकायत बोकारो एसपी से भी की है लेकिन एसपी द्वारा बालीडीह थाना प्राभारी नूतन मोदी पर कोई कार्यवाई नहीं की गई है।

पीड़ित अमानत हुसैन की पत्नी साबरा बेगम बताती हैं कि 30 दिसंबर को बालीडीह पुलिस द्वारा रात के आठ बजे मेरे पति के मोबाइल पर फोन करके कहा गया कि कुछ पुछताछ करनी है सो थाना आ जाइए, नहीं तो हम आकर घसीटकर ले आयेंगे। चूँकि हमारी जानकारी ऐसा कुछ भी नहीं था हमलोग गलत हैं सो हमारे पति और मैं थाने गई। थाना में मेरे पति को अंदर ले जाया गया, मैं बाहर पति का इन्तजार करने लगी। डेड़ दो घंटा बीतने के बाद जब मैंने एक पुलिस वाले पूछा कि मेरे पति कहां है? तो उसने अंदर जाकर थाना प्रभारी नूतन मोदी जो खुद महिला हैं को बुला लाया। थाना प्रभारी आते ही मुझे गाली-गलौज करने लगी और यहां से भाग जाने को कहा। मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही उसने और दो पुरुष पुलिस कर्मी ने मेरे बाल पकड़कर घसीटते हुए मुझे अंदर ले जाकर मेरे पति के सामने पटक दिया और मुझे पीटने लगे। उसके पहले मेरे पति को काफी पीटा गया था और वे बेसुध पड़े थे। वे बार बार उस चोरी के बारे में पूछ रहे थे जो मेरे पड़ोसी के घर में हुई थी, कि तुम्हारे साथ और कौन कौन था? हमलोग कुछ समझ नहीं पाए रहे थे कि ऐसा क्यों हमारे साथ किया जा रहा है?

बताते चलें कि शिक्षक अमानत हुसैन के एक मित्र युनूस हाशमी बाहर जाते समय अपने घर की चाबी अक्सर अमानत हुसैन को दे जाते थे, इस बार भी वे अमानत हुसैन को 8 दिसंबर को बाहर जाते समय चाबी दे गये थे और अमानत हुसैन उसी रात से युनूस हाशमी के घर में ही सोते थे। लेकिन तबियत ख़राब हो जाने के कारण वे 15 दिसंबर को घर में ही सो गए और उसी रात युनूस हाशमी के घर में चोरी हो गई। अमानत हुसैन ने ही 16 दिसंबर को चोरी की घटना की सूचना बालीडीह थाना को दिया था। 30 दिसंबर को अमानत हुसैन को थाना बुलाकर गाली-गलौज और मारपीट की गयी, जबकि जिनके घर चोरी हुई थी उन्होंने न तो अमानत हुसैन के खिलाफ कोई मामला दर्ज कराया था न ही उनके प्रति कोई शंका जाहिर किया था। इससे साफ होता है कि इस घटना को थानेदार नूतन मोदी ने या तो मज़ा लेने के लिए अंजाम दिया या असली अपराधियों को बचाने के लिए ऐसा किया। बता दें कि शिक्षक अमानत हुसैन एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं और लाॅकडाउन में स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों के घरों में जाकर ट्यूशन पढ़ाते हैं। उन्होंने पढ़ाने-लिखाने के सिवा दूसरा कोई काम नहीं किया।


चोरों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करने पर उन्हें हाथ-पैर बांध कर उल्टा लटका दिया गया और तलवों पर लाठी से प्रहार किया गया। उनकी पत्नी साबरा बेगम जो साथ ही गयी थी, अपने पति के बारे में पूछने की धृष्टता की तो उन्हें भी बालों से घसीट कर इनके पति के पिटाई स्थल पर ले जाया गया और इन्हें भी बुरी तरह मारा-पीटा गया। पत्नी को पति के सामने और पति को पत्नी के सामने बर्बरतापूर्ण तरीके से बारी बारी आधीरात तक पीटाई की गई। पत्नी को पीटने के क्रम में इनकी कानों की बाली गिर गई जिसे पुलिस वालों ने नहीं लौटाया। आश्चर्य कि साबरा बेगम को भी पुरुष पुलिस कर्मियों द्वारा ही पीटा गया, मारपीट के दौरान थानेदार नूतन मोदी अपने सहकर्मियों को बोल रही थी -" मज़ा आ रहा है , और मारो "

अमानत हुसैन ने एसपी बोकारो लिखे शिकायत पत्र में लिखा है कि मैं ग्राम मखदुमपुर थाना बालीडीह, जिला- बोकारो का निवासी हूँ तथा पेशे से शिक्षक हूँ और अपने निवास स्थान क्षेत्र में ही एक विद्यालय का संचालन कर अपना और अपने परिवार का ससम्मान जीवन यापन करता हूँ तथा अभी तक देश के किसी भी थाने में मेरा कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। मेरे पड़ोसी युनूस हाशमी के घर के सदस्य ईलाज के लिए दिल्ली जाना था इसलिए उनलोगों ने पड़ोसी होने के नाते सुरक्षा के दृष्टिकोण से मुझे अपने घर सोने का आग्रह किया और मैंने मानवता और इन्सानियत के नाते उनके आग्रह को मानकर उनके घर में सोने लगा। दिनांक 15/12/2021 की रात्रि अचानक मुझे पेचिश और बुखार हो गया जिस कारण में युनूस साहब के घर सोने नहीं जा सका। उसी रत युनूस हाशमी साहब के घर में चोरी हो गई। इस घटना ने मेरे पूरे ईमानदार पर बदनुमा दाग लगा दिया क्योंकि मैं एक सम्मानित शिक्षक हूँ और समाज "शिक्षा का दीप जलाने का कार्य करता हूँ और मेरा कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। मैं इस घटना में किसी भी प्रकार से संलिप्त नहीं हूँ और मुझे इस घटना का अत्यन्त दुख है।

उक्त चोरी की घटना का उदभेदन मेरे लिए भी अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि यह मेरी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। दिनांक 30/12/2021 को बालीडीह थाना द्वारा जाँच एवं पुछताछ के लिए मुझे फोन कर थाना बुलाया गया में पुलिस को जाँच में सहयोग करने के नीयत से अपनी पत्नी सावरा, खेगम और बड़े भाई मोहर्रम अंसारी के साथ लगभग आठ बजे रात्रि को बालीडीह थाना पहुँचा।

थाना पहुंचते ही मुझे थाना के एक कमरे में बंद कर दिया गया और लगभग 9 बजे मेरी पत्नी को भी उसी कमरे में बंद कर दिया गया। मैं पुलिस द्वारा पुछे गए सभी सवालों का जवाब दे रहा था मगर अचानक बालीडीह थाना प्रभारी महोदया नूतन मोदी और अन्य पुलिस कर्मी का व्यवहार हिंसक और अभानवीय हो गया। वे सभी लोग मुझे और मेरी पत्नी को गंदी गंदी गालियाँ देने लगे और मारपीट करने लगे जिससे मैं पूरी तरह आहत हो गया। मैं बार-बार अपने शिक्षक होने तथा मेरे समाज के रिकार्ड को जाँचने की बात कहता रहा मगर मुझे थाना प्रभारी और सहयोगी पुलिस कर्मी एक अपराधी के तरह रस्सी से बाँधकर एक-एक घंटे के अन्तराल पर बुरी तरह से कई बार पीटते रहे। मेरे ही हाजत में मेरी पत्नी को पुरुष पुलिसकर्मी के द्वारा बाल पकड़ कर झंझोड़ा गया और मारपीट की गई तथा मेरे तलवे को लाठी से मार कर फाड़ दिया गया है और मेरे पैर का नाखुन उखाड़ दिया गया जिसके दर्द से में अधमरा हो गया। मुझे और मेरी पत्नी को एक अपराधी के तरह से प्रताड़ित किया गया। बालीडीह थाना पुलिस के प्रभारी तथा उनके मातहत कर्मियों के द्वारा मेरे और मेरी पत्नी पर जो अत्याचार किए गए हैं उससे मैं स्वयं को काफी तकलीफ महसूस कर रहा हूँ और पुलिस प्रशासन से मेरा भरोसा बिल्कुल समाप्त हो चुका है।

इस दौरान बालीडीह थाना प्रभारी के द्वारा पैसे के उगाही को लेकर मुझपर दबाव बनाया गया, अन्यथा मुझे इस केस में बुरी तरह से फंसा देने की धमकी दी गई। बालीडीह थाना पुलिस द्वारा मुझपर और मेरी पत्नी पर जो अत्याचार किया गया है इससे यह स्पष्ट हो चुका है कि पुलिस असली आरोपियों को गिरफ्तार कर सजा दिलाने में शायद सक्षम नहीं है, इसलिए निर्दोष लोगों पर अत्याचार कर उनके द्वारा अपराध न किए जाने पर भी उन्हें अपराधी कबूल करने के लिए मजबूर किया जाता है। क्या ऐसे पुलिसकर्मियों को किसी भी प्रकार से अपने पद पर रहने का कोई अधिकार है?

अमानत हुसैन ने एसपी को संबोधित कर लिखा है कि मैं महोदय से पूरे विश्वास के साथ कहना चाहता है की बालीडीह पुलिस अमानवीय तरीके से मुझे और मेरी पत्नी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है जो पूरी तरह अमानवीय और गैर-कानूनी है जिससे मेरे आत्म सम्मान को ठेस पहुंचा है और इसी कारण से मैं सभी संबंधित पुलिसकर्मी और थाना प्रभारी बालीडीह के निष्काषन की माँग करते हुए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का आग्रह करता हूँ। यदि इस विषय में बालीडीह थाना प्रभारी तथा मेरे ऊपर हुए अत्याचार में शामिल पुलिकर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की जाती है तो मैं अपने पूरे परिवार के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष आत्मदाह कर लूँगा जिसकी सारी जिम्मेवारी वरीय पुलिस अधिकारियों की होगी।

बताया जाता है कि थानेदार नूतन मोदी अपने कारनामों की वजह से खासी कुख्यात हैं। वे न सिर्फ आम आदमी बल्कि अपने उच्च पदाधिकारियों से भी ये उदंडता से पेश आती हैं। जब ये गढ़वा जिले के रेहला थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापित थीं तो वहां बिड़ला के कारखाने के एक उच्च पदाधिकारी के साथ दुर्व्यवहार कर दीं थीं। जिसकी शिकायत पर वहां के एसपी ने इन्हें सस्पेंड कर लाइन हाजिर कर दिया था। लेकिन इनकी पैरवी इतनी जबरदस्त है, उन्होंने अपनी पैरवी के बल पर पुनः बोकारो में अपने को पदस्थापित करा ली। लोगों में चर्चा है कि इनकी पैठ सरकार के मंत्रियों तक रहती है , इसलिए पहले के एसपी वाईएस रमेश हों या वर्तमान एसपी चन्दन झा, कोई इनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता।

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