बाबाधाम श्रावणी मेले पर झारखंड हाइकोर्ट का फैसला, वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करें
झारखंड के देवघर स्थिति प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग के वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करने का अदालत ने आदेश दिया है, वहीं इस साल श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा...
जनज्वार, रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने देवघर के श्रावणी मेले के आयोजन पर शुकवार, तीन जुलाई को अपना फैसला सुना दिया। हाइकोर्ट ने सरकार से कहा कि वह बाबा भोलेनाथ के वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करे। अदालत ने यह फैसला गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
निशिकांत दुबे ने अपनी याचिका में मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए देवघर में श्रावणी मेले के आयोजन की मांग की थी। मालूम हो कि तीन दिन बाद छह जुलाई से पवित्र श्रावण मास आरंभ होने वाला है और हिंदू धर्मावलंबी इस महीने को भगवान शिव की उपासना के महीने के रूप में मनाते हैं। इस महीने देश भर प्रमुख ज्योर्तिलिंगों व शिव मंदिरों में कांवर यात्रा का आयोजन होता है।
इस बार कोरोना वायरस होने की वजह से देवघर में मेले के आयोजन की संभावना पहले से ही कम थी। दो दिन पूर्व बाबा बैद्यनाथ मंदिर की पंडा धर्मरक्षिणी सभा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बयान दिया कि इस साल हम श्रावणी मेले का आयोजन नहीं करेंगे और बाबा बैद्यनाथ इसके लिए मुझे माफ करें।
झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डाॅ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया। अदालत में 30 जून को निशिकांत दुबे की याचिका पर सुनवाई हुई थी जिसके बाद तीन जुलाई तक के लिए अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
मालूम हो कि उधर, श्रावण मास की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर व दुमका की डीसी को निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने दो जुलाई को दोनों डीसी को निर्देश दिया कि किसी बस को प्रवेश नहीं करने दिया जाए और देवघर प्रशासन बाबा बैद्यनाथ के वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करवाए। इसके लिए शहर में विभिन्न जगहों पर एलइडी लगवाने का भी निर्देश दिया गया था। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि सरकार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्वास्थ्य को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
सावन में बाबा वैद्यनाथ के ऑनलाइन दर्शन का लाभ देश-विदेश के लोगों को मिलेगा। लेकिन इससे ऐतिहासिक श्रावणी मेले का यह कभी भी विकल्प नहीं हो सकता। यह करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था और लाखों परिवार के रोजी रोटी का भी सवाल है। इस पर झारखंड सरकार विचार क्यों नहीं करती? pic.twitter.com/5JYXha8Cvx
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) July 3, 2020