Jharkhand News In Hindi: झारखंड के स्वास्थ्य विभाग से मदद नहीं मिली तो छत्तीसगढ़ ने बढ़ाया हाथ, ऐसे हुई महिला की डिलीवरी
Jharkhand News In Hindi: आजादी के 75 साल और झारखंड अलग राज्य गठन के 21 साल बाद भी आज दूरदराज के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह जर्जर है।
विशद कुमार की रिपोर्ट
Jharkhand News In Hindi: आजादी के 75 साल और झारखंड अलग राज्य गठन के 21 साल बाद भी आज दूरदराज के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह जर्जर है। झारखंड सरकार भले ही बड़े बड़े दावे करती है कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की सरकार हर स्तर से सक्षम है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी सुदूर इलाकों के लिए यह चुचू का मुरब्बा साबित हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आज भी सुदूर ग्रामीण इलाके में सड़क नहीं होने के कारण अस्पताल जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके कई उदाहरण आये दिन देखने को मिलते हैं।
पिछले 11 मार्च को ऐसी ही खबर देखने को मिली, जब झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा में बसा हुए गुमला जिला का मिरचाईपाठ की फूलमनी को प्रसव पीड़ा हुई। उसके बाद उनके परिजनों ने एंबुलेंस के लिए झारखंड हेल्पलाइन नंबर 108 पर कॉल किया, लेकिन इस ग्राम तक सड़क नहीं होने का हवाला देते हुए प्रबंधन ने एंबुलेंस भेजने में असमर्थता जताई।
पीड़िता के परिजनों ने ग्रामीणों के सहयोग से छत्तीसगढ़ हेल्पलाइन नंबर पर कॉल लगाया। परिजनों ने पगडंडी के रास्ते कुछ दूर बहंगी (एक तरह से पालकी) में ढोकर ले जाया गया। इसके बाद वहां से एंबुलेंस उसे जशपुर अस्पताल ले गई जहां पीड़िता का सकुशल प्रसव कराया गया। ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है बल्कि अक्सर ऐसे मामले आते रहे हैं।
ग्रामीण अशोक यादव बताते हैं कि हमारा गांव झारखंड-छत्तीसगढ़ बॉर्डर में बसा हुआ है। हमलोग झारखंड में जरूर रहते हैं लेकिन हमें चिकित्सा सुविधा छत्तीसगढ़ सरकार से मिलती है। चिकित्सा के नाम पर यहां न तो समय पर बच्चों को पौष्टिक आहार ही उपलब्ध होता है न ही टीका।
ग्रामीण बसंत यादव बताते हैं कि हाल ही में एक छोटे बच्चे ने चिकित्सा के अभाव में अपना दम तोड़ दिया। वहीं 11 मार्च को एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई जिसका प्रसव हमलाेग छत्तीसगढ़ शासन की सहायता से करा पाए।
छत्तीसगढ़ के चिकित्साकर्मी उमेश कुमार ने बताया कि हमें हेल्पलाइन कॉल के माध्यम से किसी महिला को प्रसव पीड़ा होने की सूचना मिली थी। हम फौरन एंबुलेंस लेकर दुर्गम रास्तों से होते हुए मिरचाईपाठ गांव पहुंचे और पीड़ित महिला को इलाज के लिए छत्तीसगढ़ के जशपुर अस्पताल ले आए और सकुशल महिला का प्रसव हुआ। हमें जब भी सूचना मिलती है हम हरसंभव प्रयास कर पीड़ितों की मदद करते हैं और करते रहेंगे। पीड़ितों की सहायता करने से हमें भी खुशी मिलती है।
गौरतलब है कि झारखंड के ऐसे अनेकों सुदूर क्षेत्र हैं, जहां आज भी आने जाने हेतु सड़क की सुविधा नहीं है। गुमला मिरचाईपाठ इसका उदाहरण है जहां जरूरत हाेने पर झारखंड सरकार से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है। उनका सहारा बनती है छत्तीसगढ़ सरकार। छत्तीसगढ़ चिकित्सा प्रबंधन द्वारा बार-बार इन्हें बिना किसी प्रकार के भेदभाव के दुर्गम गांव तक पहुंचकर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि झारखंड हेल्पलाइन से इनको सड़क नहीं होने का हवाला ही दिया जाता है।
इस बाबत गुमला जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव कहते हैं सब चीजों को धीरे-धीरे सुधारा जा रहा है, ये घटना बहुत दर्दनाक और खराब है।हम अपने स्तर पर इस जगह को चिन्हित करके प्रस्ताव भेजेंगे, दूसरी जगहों पर ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए उन्हें भी इसके साथ जोडेंगे।