झारखंड में लैट्रिन की टंकी में एक के बाद एक गिरने से 6 सफाईकर्मियों की मौत
लैट्रिन के टैंक में पहले व्यक्ति के अंदर जाने के बाद किसी तरह की हरकत नहीं होने पर सतर्कता बरतते तो 6 लोगों की नहीं होती मौत, सभी लोग बारी-बारी से अंदर जाते रहे और उनका दम घुटने से हो गयी मौत...
जनज्वार। झारखंड के देवघर जिले (Deoghar District) के देवीपुर में एक सैप्टिक टैंक की सेंट्रिंग खोलने में रविवार (9th August 2020) सुबह हुए जहरीली गैस के रिसाव (Poisonous gas leakage in Deoghar in Jharkhand) में छह लोगों की मौत हो गई। मरने वालों चार मिस़्त्री-मजदूर सहित परिवार के दो सदस्य भी शामिल हैं। इस हादसे में मकान के मालिक ब्रजेश चंद वर्णवाल और उनके छोटे भाई मिथिलेश चंद्र वर्णवाल की भी मौत हो गई।
मरने वाले मिस्त्री व मजदूरों में गोविंद मांझी व उनके दो बेटे बंगलु मांझी व लालू मांझी के अलावा लीलू मुर्मू शामिल हैं। देवीपुर देवघर जिला का एक प्रखंड मुख्यालय है। प्रत्यदर्शियों ने बताया कि काम कर रहे मजदूर मिस्त्री व परिवार के सदस्य एक-एक कर टंकी के अंदर घुसे और वहीं बेहोश होते गए। आनन-फानन में उन्हें देवघर सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना से सदर अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
सदर अस्पताल पहुँचकर सेप्टिक टैंक हादसे में मृत छः लोगों के परिजनों से मुलाकात कर शोक संवेदना प्रकट करते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। साथ ही अंचलाधिकारी, देवीपुर को उक्त घटना की जांच कर शोक संतृप्त परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।@JharkhandCMO pic.twitter.com/bSRDvHEN7O
— DC Deoghar (@DCDeoghar) August 9, 2020
जानकारी के अनुसार, रविवार सुबह जब मिस्त्री-मजदूर निर्माणाधीन टंकी में काम करने पहुंचे तो 10 से 12 फीट गहरी टंकी के अंदर ढक्कन हटाकर सबसे पहले लीलू गया, लेकिन उसके अंदर जाने के बाद किसी तरह की आवाज या हरकत नहीं होने पर घर के मालिक ब्रजेश वर्णवाल अंदर गए। वे अंदर गए तो उनकी भी फिर आवाज या हरकत का अहसास नहीं हुआ तो उन्हें ढूंढते हुए छोटे भाई मिथिलेश टंकी के अंदर उतर गए। मिथिलेश को लोगों ने अंदर जाने से रोका लेकिन वे नहीं माने। फिर उनकी आवाज व हरकत अंदर बंद हो गई।
इसके बावजूद लोग नहीं चेते और बारी-बारी से अंदर गोविंद व उनके दोनों बेटे बगलू व लालू घुस गए और सब की अंदर जहरीली गैस से सबका दम घुटता गया।
बाद में मौके पर स्थानीय पुलिस पहुंची और जेसीबी मंगाकर बगल की दीवार तोड़वा कर जेसीबी को अंदर घुसाया गया और सैप्टिक टैंक को तोड़ कर सभी को निकाला गया और इलाज के लिए देवघर भेजा गया, लेकिन वहां डाॅक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया। लोगों के अनुसार, सभी लोगों को टंकी से निकालने में डेढ घंटे लग गए जिससे उनके बचने की संभावना कम हो गई। मामले की सूचना पर डीसी कमलेश्वर प्रसाद सिंह ने अस्ताल जाकर पूरी जानकारी ली और इस घटना के संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
सेप्टिक टैंक से निकाली गई जहरीली गैस
बाद में उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह के निर्देश पर एनडीआरएफ निरीक्षक ओपी गोस्वामी के नेतृत्व में एनडीआरएफ टीम के द्वारा देवीपुर में हुई सेप्टिक टैंक घटना की जांच पड़ताल आज की गई। इस दौरान टैंक में गैस के बढ़े दबाव को कम करने हेतु एनडीआरएफ टीम द्वारा सेप्टिक टैंक से स्मोक वेंटिलेटर के माध्यम से जहरीली गैस को निकाला गया एवं टीम के सदस्यों द्वारा सीबीआरएन सूट पहन कर सेप्टिक टैंक में उतर कर जांच की गई। इसके बाद सुरक्षात्मक उपकरणाें का प्रयोग करते हुए उक्त टंकी में गैस के प्रभाव को खत्म कर उसे सुरक्षित किया गया।
इस संबंध में एनडीआरएफ के निरीक्षक ओपी गोस्वामी ने बताया कि बंद सेप्टिक टैंक या अन्य कोई भी बंद जगह पर जाने से पहले ऑक्सीजन की मात्रा अावश्यक रूप से जांच कर ली जानी चाहिए जैसा कि अभी एनडीआरएफ के टीम द्वारा किया गया। इसके तहत सेप्टिक टैंक में ऑक्सिजन के स्तर की जांच करने के लिए सेप्टिक टैंक में मोमबत्ती जलाकर डाला गया एवं जैसे ही मोमबत्ती को सेप्टिक टैंक में ले जाया गया तो मोमबत्ती बुझ गई, क्योंकि ऑक्सीजन एक ऐसा गैस है जो जलने में सहायक होता है और सेप्टिक टैंक में आॅक्सीजन की कमी होने के वजह से ही मोमबत्ती बुझी।