सांसदी छोड़ी विधायकी लड़ी, विधायकी हारे तो फिर सांसद बन गए BJP नेता स्वप्न दास गुप्ता, 'मोदी है तो मुमकिन' का यही है रियल सिनेमा
सांसदी से स्तीफा देकर स्वपन दास गुप्ता ने बंगाल के चुनावी समर में तारकेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें चुनाव में हार मिली थी। तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रामेंदु सिंहराय ने उन्हें चुनाव में मात दी थी...
जनज्वार, नई दिल्ली। भारत में भारतीय जनता पार्टी के लिए देश का संविधान और नियम कानून घर की बपौती की तरह हो चुके हैं। इसका ताजा उदाहरण सांसद स्वप्न दास गुप्ता बने हैं। सांसदी छोड़कर विधायकी लड़े गुप्ता को हारने के बाद महामहिम रामनाथ कोविंद ने फिर से सांसद बना दिया।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वपन दासगुप्ता को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक बार फिर राज्यसभा सांसद मनोनीत किया है। यह सीट उन्हीं के इस्तीफे से खाली हुई थी, जिस पर राष्ट्रपति ने एक बार फिर उन्हें ही मनोनीत कर दिया है। अब वह 24 अप्रैल 2022 तक इस सीट से राज्य सभा सांसद बने रहेंगे।
बता दें कि स्वपन दासगुप्ता को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल से चुनाव लड़ाने का फैसला लिया तो उनके राजनीतिक पार्टी में शामिल होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। क्योंकि टीएमसी का कहना था कि राज्यसभा के मनोनीत सांसद नियम के मुताबिक किसी भी पार्टी के सदस्य नहीं हो सकते हैं। जब उनकी राज्यसभा सदस्यता पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने अपना इस्तीफा सभापति एम वैंकेया नायडू को भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई थी।
सांसदी से स्तीफा देकर स्वपन दास गुप्ता ने बंगाल के चुनावी समर में तारकेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें चुनाव में हार मिली थी। तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रामेंदु सिंहराय ने उन्हें चुनाव में मात दी थी। चुनाव में मिली हार के बाद अब राष्ट्रपति ने एक बार फिर उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत कर दिया है। जिसके बाद अब वह अपना बचा हुआ कार्यकाल पूरा करेंगे।
इस पूरे मसले पर कांग्रेस ने संविधान की 10वीं अनुसूची का हवाला दिया था और कहा था कि अगर कोई मनोनीत राज्यसभा सांसद शपथ लेने के 6 महीने बाद किसी पार्टी में शामलि होता है तो उसे राज्यसभा के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
बता दें कि पेशे से पत्रकार स्वपन दासगुप्ता साल 2016 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत हुए थे। उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में 2015 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। ऑक्सफोर्ड के नफिल्ड कॉलेज में वे जूनियर रिसर्स फेले भी रह चुके हैं।
स्वप्न दास गुप्ता के इस स्वप्न सरीखे राजयोग पर वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह लिखते हैं 'राज्यसभा सांसद रहते हुए विधायकी का टिकट हासिल करें। लोग नियमों की दुहाई दें तो सांसदी छोड़ दें, विधायकी लड़ें। विधायकी हार जाएँ तो राष्ट्रपति से मनोनीत होकर फिर सांसद बन जाएँ। स्वपन दासगुप्ता जी,ये 'वाड्रा मॉडल' से भी आगे की चीज़ हैं।'