Dehradun News : पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग, विधानसभा अध्यक्ष को भेजा इंद्रेश ने ज्ञापन

Dehradun News Today 19th September 2022 : विधानसभा सचिवालय में अपने परिजनों और रिश्तेदारों को नौकरियों की बंदरबांट करने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्षों और लाभान्वित होने वालों के खिलाफ भ्रष्टाचार और एससी-एसटी के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग शुरू हो गई है...

Update: 2022-09-19 16:01 GMT

Dehradun News : पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग, विधानसभा अध्यक्ष को भेजा इंद्रेश ने ज्ञापन

Dehradun News Today 19th September 2022 : विधानसभा सचिवालय में अपने परिजनों और रिश्तेदारों को नौकरियों की बंदरबांट करने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्षों और लाभान्वित होने वालों के खिलाफ भ्रष्टाचार और एससी-एसटी के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग शुरू हो गई है। भाकपा माले के फायर ब्रांड नेता इंद्रेश मैखुरी ने मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को पत्र भेजकर बकायदा इसकी मांग की है। मैखुरी द्वारा इस मामले की जांच के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित की गई कमेटी की संवैधानिकता पर सवालिया निशान लगाए गए हैं।

सोमवार को उत्तराखंड के बेहद चर्चित विधानसभा सचिवालय भर्ती मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्षों और इन भर्तियों के माध्यम से नौकरी पाए लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए भाकपा माले के युवा नेता इंद्रेश मैखुरी ने भर्तियों की जांच के लिए गठित कमेटी की कानूनी बाध्यता को भी रेखांकित किया गया है।

उत्तराखंड विधानसभा में भ्रष्टाचार के अंतर्गत की गयी अवैध नियुक्तियों के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा डीके कोटिया की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी पर सवाल उठाते हुए मैखुरी ने कहा कि डीके कोटिया, उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल एक्ट 1976 की धारा 3 (11) के अनुसार :

" On ceasing to hold office, the Chairman, Vice-Chairman or other member shall be ineligible for further employment under the State Government, or any local or other authority under the control of the State Government, or any corporation or society owned or controlled by the State Government :" प्रावधान के कारण कमेटी का गठन न तो कानूनसम्मत है और न ही ऐसी कमेटी की रिपोर्ट का कोई वैधानिक अस्तित्व है। उत्तराखंड राज्य विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों द्वारा जितनी भी नियुक्तियाँ की गयी हैं, वह भी बिना पारदर्शिता के की गई हैं जिनमें जमकर भाई-भतीजावाद हुआ है। पूर्व अध्यक्षों द्वारा अपने बेटे-बहुओं और अपने नज़दीकियों को बिना किसी पारदर्शिता के, नियुक्तियाँ दी गयी हैं। यह सारी नियुक्तियाँ wrongful gain और wrongful loss की श्रेणी में आती हैं। इसमें जिनको नियुक्तियाँ दी गयी हैं, उनको wrongful gain हुआ है और जो व्यक्ति दक्ष होते हुए भी नियुक्ति पाने से रह गए हैं, उनको wrongful loss हुआ है। जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 में undue advantage और gratification को इस तरह परिभाषित किया गया है :

" [(d) "undue advantage" means any gratification whatever other than legal remuneration. Explanation for the purpose of this clause- The word "gratification" is not limited to pecuniary gratification or to gratification estimable in money ; "

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पूर्व विधानसभा अध्यक्षों द्वारा अपने-अपने लोगों को विधानसभा में नियुक्त करने के लिए पहले तो कोई नियमावली नहीं बनाई गयी और जब बनाई गयी तो नियमवाली के अनुसार कोई सार्वजनिक परीक्षा आयोजित नहीं की गयी और पूर्व अध्यक्षों द्वारा अपने-अपने लोगों की नियुक्तियाँ की गयी, जो सरासर भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इस तरह यह मामला पूर्व विधानसभा अध्यक्षों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16 (a) ke खुल्लमखुल्ला उल्लंघन का बनता है। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष, जिनके द्वारा नियुक्तियाँ की गयी हैं एवं जिन अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया है, सभी के द्वारा भ्रष्टाचार का अपराध कारित किया गया है। इसके साथ ही सभी विधानसभा अध्यक्षों द्वारा यह नियुक्ति करते समय अनुसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व निर्धारित भी नहीं किया गया है। यह अनुसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति के लोगों को उनकी सार्वजनिक नौकरियों (job) से वंचित किए जाने का मामला बनता है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 3 की उपधारा 1 के स्पष्टीकरण में खंड E इस प्रकार है : "practicing any profession or the carrying on of any occupation, trade or business or employment in any job which other members of the public, or any section thereof, have right to use or have access to ; "

एक्ट की इस परिभाषा के अनुसार सभी पूर्व विधानसभा अध्यक्षों द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 का भी अपराध कारित किया गया है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष से निवेदन है कि सभी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, जिनके द्वारा विधानसभा में भ्रष्टाचार युक्त नियुक्तियाँ की गयी हैं एवं जिन लोगों को भ्रष्टाचार के कारण नियुक्तियाँ मिली हैं, के खिलाफ संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने एवं संबंधित थाने को जांच की अनुमति दी जाए।

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