Dehradun News : सरकार के खिलाफ जबरदस्त रोष, 50वें दिन भी जोशीमठ आवासीय विद्यालय को लेकर धरना जारी
Dehradun News : आंदोलनरत लोगों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ एक स्कूल दो या चार स्कूल बचाने की नहीं है। यह लड़ाई शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार की लड़ाई है।
Dehradun News : उत्तराखंड में जोशीमठ राजीव गांधी अभिनव आवसीय विद्यालय (Rajiv Gandhi Abhinav Residential School Joshimath) के अस्त्त्वि को पहले की तरह बनाए रखने के लिए अभिभावकों और और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को धरना प्रदर्शन ( public Protest ) 50वें दिन भी जारी है। धामी सरकार ( BJP Government ) की मांगों को लेकर उपेक्षापूर्ण रवैये की वजह से स्थानीय लोगों, अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों में गहरा रोष है। लोगों की मांग है कि जोशीमठ आवासीय विद्यालय को बरकरार रखा जाए। लोगों का कहना है कि शिक्षा हमारा मौलिक अधिकार है, इसे हासिल करने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
11वीं क्लास में प्रवेश की मिले इजाजत
जोशीमठ राजीव गांधी आवसीय विद्यालय (Rajiv Gandhi Abhinav Residential School Joshimath) में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करवाने सहित 7 सूत्रीय मांगों को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति पिछले 50 दिनों से आंदोलनरत है। इससे पहले रविवार को भी आंदोलन का कोई नतीजा नहीं निकलने पर आंदोलनकारियों और अभिभावकों ने जोशीमठ बाजार में रैली निकाली। इस दौरान प्रदेश सरकार के खिलाफ लोगों ने नारेबाजी की और मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पुतला दहन किया।
स्कूल को जारी रखने के लिए आंदोलनरत लोगों की मांग है कि विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ की जाय। कक्षा 10 के बाद 11 में जाने वाले बच्चों के प्रवेश की गारंटी दी जाय। करोड़ों रुपए से बने छात्रावास में बच्चों को आवासीय सुविधा दी जाय। गरीब बच्चे छात्रावास होने के बावजूद वर्षों से शहर में मंहगे कमरे किराए पर लेकर बच्चों को पढा रहे हैं।
अस्थायी शिक्षक हों स्थायी
अस्थाई शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की जाय जिससे बच्चों व शिक्षकों दोनों का भविष्य सुरक्षित हो सके। विद्यालय के लिए अलग से स्थायी भोजन माता की व्यवस्था की जाय। विद्यालय को बचाए रखने को लेकर अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों ने आंदोलन जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया। लोगों ने कहा कि विद्यालय के स्थायीकरण के सभी प्रबंध होने तक जन आंदोलन जारी रहेगा।
यह शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार की लड़ाई है। आंदोलनरत लोगों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ एक स्कूल दो या चार स्कूल बचाने की नहीं है। यह लड़ाई शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार की लड़ाई है। यह लड़ाई है इस बात के लिए है क़ि नीति नियंता गरीब आम छात्रों को शिक्षा से वंचित करने का षडयंत्र बंद करें। लोगों का आरोप है कि सरकार शिक्षा को धीरे-धीरे निजीकरण करते हुए सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है। इससे गरीब छात्र पूरी तरह शिक्षा से महरूम हो जाएगा।
बच्चों की लड़ाई को बनाएंगे जन आंदोलन
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नाम पर जो नीति आई है वह इसी तरफ इशारा करती है। इसलिए यह लड़ाई जरूरी है। क्षेत्र के बच्चों ने इस लड़ाई का आगाज किया। अब उनके अभिभावक इसे आगे बढ़ा रहे हैं। कल को सभी को इसमें शामिल होना ही होगा।