भाजपा मंत्री का बेटा सांप्रदायिक तनाव फैलाने में आरोपी

Update: 2018-03-25 09:55 GMT

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का बेटा अरिजित सांप्रदायिक दंगा फैलाने में दोषी, कोर्ट ने जारी किया गिरफ्तारी का वारंट, पुलिस कर रही है तलाश

पटना। भाजपा—आरएसएस और सांप्रदायिक दंगों की कड़ियां जिस तरह से उजागर होती रही हैं, उससे ऐसा लगने लगा है कि देश में जितने भी दंगे होते हैं उनके पीछे कहीं न कहीं भाजपा—आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। हालिया मामले में भाजपा के केंद्रीय मंत्री के बेटे और भाजपा नेता की सांप्रदायिक तनाव फैलाने में संलिप्तता उजागर हुई है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे का बेटा अरिजित शाश्वत के खिलाफ पटना की स्थानीय कोर्ट ने सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए वारंट जारी किया है। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में आरोपियों की तलाश कर रही है। सांप्रदायिक तनाव के इस मामले में अरिजित के अलावा कोर्ट ने 9 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

गौरतलब है कि बिहार के भागलपुर स्थित नाथनगर में 17 मार्च को निकाले गए एक धार्मिक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी, जिसमें दो पुलिसकर्मियों समेत तीन लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे।

इस हिंसा के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी प्रताप ने आरोप लगाया था कि उपचुनाव में अपनी हार से बौखलाई बीजेपी—नीतीश गठबंधन ने जान—बूझकर इस हिंसा को अंजाम दिया है।

गौरतलब है कि 17 मार्च को भागलपुर के नाथनगर में जो जुलूस निकाला गया था, उसके लिए पुलिस—प्रशासन से पहले से कोई इजाजत नहीं ली गई थी। सवाल है कि जब प्रशासन ने जुलूस की अनुमति ही नहीं दी थी तो जुलूस निकला कैसे। इस बात को भाजपा के वरिष्ठ नेता भी स्वीकार रहे हैं कि जुलूस की अनुमति नहीं दी गई थी। मगर इसके उलट सवाल यह भी है कि जब प्रशासन से इसकी अनुमति नहीं मिली थी तो पूरे रास्ते में पुलिस कैसे तैनात थी।

कहा यह भी जा रहा है कि इस मामले को धार्मिक रूप से तूल देने और हिंदू भावनाओं को कैश करने के लिए मंत्री का आरोपी बेटा शाश्वत और उसके साथी रामनवमी को आत्मसमर्पण कर सकते हैं। आसार यह भी जताए जा रहे हैं कि यह मामला कहीं बड़ी हिंसा का रूप न ले ले। भागलपुर पुलिस के मुताबिक इस मुद्दे को और ज्यादा तूल न मिले इसलिए वह आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहती है, जिससे कि इसे और ज्यादा सांप्रदायिक रंग न दिया जा सके।

हालांकि स्थानीय कोर्ट ने जिन धाराओं के तहत सांप्रदायिक तनाव के आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किया है, उनमें सिर्फ दो धारा ऐसी हैं जिनके तहत उन्हें जेल हो सकती है, बाकी धाराओं में आरोपियों को थाने या कोर्ट से जमानत मिल सकती है। (फोटो अरजित शाश्वत के फेसबुक से)

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