आम आदमी पार्टी की आज की रैली में उमड़ी जबरदस्त भीड़ और समर्थन को देख भले ही ये लगता हो कि दिल्ली में भाजपा सांसत में फंसेगी, लेकिन यह भाजपा के लिए बड़ा नुकसान नहीं होगा, अगर नुकसान किसी का होगा तो कांग्रेस का, जो दिल्ली में धीरे-धीरे वापसी की उम्मीद में थी
स्वतंत्र कुमार का विश्लेषण
आज आम आदमी पार्टी ने अपने नेता अरविंद केजरीवाल के आह्वान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर का घेराव करने के लिए मंडी हाउस पर काफी बड़ी तादाद में भीड़ जुटा कर कांग्रेस को ये साफ जाहिर कर दिया कि अभी कांग्रेस के लिए दिल्ली दूर है।
आज मंडी हाउस पर प्रधानमंत्री के घर की तरफ कूच करने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ या कहें आम आदमी पार्टी के काडर व कार्यकर्ता पहुंचे थे।
इस दौरान मंडी हाउस भगवान दास रोड और शाहजहां रोड पुलिस द्वारा बंद कर दिए गए थे। बाकी रोड खोल कर रखे गए थे, लेकिन एक बात समझ से बाहर है जहां आप के कार्यकर्ताओं को मंडी हाउस पर एकत्रित होने के लिए कहा गया था, उस मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन को खोलकर रखा गया था।
कार्यकर्ता एकत्रित होकर बाराखंबा रोड से टॉलस्टॉय मार्ग की तरफ मुड़ गए। बीच-बीच में नेता गाड़ियों पर सवार थे और गाने बज रहे थे। इस भीड़ में इस बार सीपीआईएम के झंडे भी खूब देखने को मिले, क्योंकि लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी भी आप के इस धरने को समर्थन देने पहुँचे थे।
केजरीवाल के समर्थन में दिल्ली की जनता उतरी सड़कों पर और बीजेपी पहुंची बैकफुट पर
इस जनसैलाब में सबकुछ था, बस नहीं था तो पहले जैसा जज्बा। हालांकि कुछ पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता पहले की तरह जोश में थे, लेकिन आप के अंदरखाने से यह भी खबरें आईं कि भीड़ गाड़ियों में भरकर लाई गई थी। सैकड़ों गाड़ियां मंडी हाउस के आसपास खड़ी थी और बहुत सी गाड़ियां लोगों को छोड़ कर आ—जा रही थीं।
इस प्रदर्शन में आई भीड़ देखकर अंदाजा राजनीतिक विश्लेषक अंदाजा लगा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के नवनिर्मित नेताओं ने संसाधनों का प्रयोग करके ये भीड़ जुटाई है, इसी तरह की बातें पार्टी के अंदरखाने से सामने आई हैं। इसी प्रदर्शन में एक नेता अपने साथ आई भीड़ को मुद्दा समझा रहे थे कि किस तरह के नारे लगाने हैं और किस मुद्दे पर वे यहां एकत्रित हुए हैं।
आज के प्रदर्शन से भले ही आम आदमी पार्टी को लाभ मिल जाए और पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो जाएं, लेकिन आज की भीड़ से दिल्ली वालों को नुकसान ही होगा क्योंकि इतनी भीड़ देखकर एक बार केजरीवाल दिल्ली से ध्यान हटाकर नेशनल लेवल पर अपने लिए जगह देखेंगे कि वो कहां किस गठबंधन में फिट हो सकते हैं और साथ ही उनकी एलजी और केंद्र सरकार से लड़ाई और अगले स्तर पर पहुंच जाएगी, क्योंकि केजरीवाल ने आज की भीड़ से मीडिया में ये अवधारणा तो बना दी कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पांव अभी जमे हुए हैं।
केजरीवाल राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं और वो सारी राजनीति अवधारणा या कहें परसेप्शन की करते हैं। आने वाले दिन दिल्ली की जनता एक बार फिर दिल्ली में राजनीति ज्यादा और काम कम होते देखेगी। वैसे भी नरेंद्र मोदी ने भी संसद के पटल पर ये कहा था 4 साल काम करने के लिए हैं, राजनीति तो पांचवे साल कर लेंगे। मतलब साफ है वो भी अपनी तरफ से तैयारी कर चुके हैं।
अब आपको यह भी बताते चलें कि ये धरना प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। आप एक बार फिर क्यों सड़कों पर है। गौरतलब है कि पिछले 7 दिनों से अरविंद केजरीवाल अपनी कैबिनेट के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन और आप नेता गोपाल राय के साथ एलजी अनिल बैजल के घर डेरा डाल के बैठे हैं। उनकी मांग है कि आईएएस अधिकारी जो हड़ताल पर हैं वो अपनी हड़ताल छोड़कर काम पर लौटें।
वहीं आईएएस अधिकारियों का कहना है वो किसी तरह की हड़ताल पर नहीं है, बल्कि अपना काम कर रहे हैं और मंत्रियों द्वारा बुलाई गई बैठक में अपनी सुरक्षा के डर से नही जा रहे हैं कि कहीं उनकी भी चीफ सेक्रेटरी की तरह पिटाई न कर दी जाए।