फेसबुक पर लिखने के कारण असिस्टेंट प्रोफेसर देशद्रोही घोषित

Update: 2018-09-01 11:29 GMT

राजकीय पीजी कॉलेज आबूरोड में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आशुतोष मीना को सिरोही जिला कलेक्टर ने चार्जशीट दी, जिसमें कहा गया है कि उनकी फेसबुक टिप्पणियां समाज विरोधी, धर्म विरोधी, सरकार विरोधी और राष्ट्र विरोधी हैं...

भंवर मेघवंशी की रिपोर्ट

समाजविरोधी, धर्मविरोधी, राष्ट्रविरोधी आदिवासी!

राजकीय पीजी महाविद्यालय आबूरोड में पदस्थापित असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ आशुतोष मीना को ज़िला कलेक्टर सिरोही ने फेसबुक पर लिखने के कारण राष्ट्रविरोधी मानते हुये चार्जशीट दी है तथा साथ ही आयुक्त, कॉलेज शिक्षा को भी बिना जाँच किए सख़्त कार्यवाही की अनुशंसा भी की है।

देशद्रोही का आरोप लगाना अब इस देश में इतना आसान हो चुका है कि बिना किसी मापदंड और प्रक्रिया के ,बिना जाँच के ही एक लोकसेवक को, वो भी एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर को तुरंत राष्ट्रविरोधी के तमग़े से नवाज़ दिया गया है।

जिला कलेक्टर सिरोही ने 12 फरवरी, 2018 के अपने आदेश में लिखा है कि "आशुतोष मीणा ने फेसबुक पर 10 से 20 सितंबर 2017 के मध्य राष्ट्र विरोधी एवं सरकार के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणियां की है जो समाज विरोधी एवं धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली है।"

हालांकि डॉ मीना का कहना है कि "मेरी उपरोक्त दिनांकों की फेसबुक पर की गई पोस्ट को आज भी देखा जा सकता है, मेरे द्वारा कोई भी राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी व धार्मिक भावना भड़काने वाली पोस्ट नहीं की गई हैं मैं संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाला जिम्मेदार नागरिक हूँ, मेरी हर पोस्ट का अंत 'जय संविधान' से किया गया है।"

डॉ आशुतोष मीना बताते हैं कि "यह विचारधारा का संघर्ष है। राजस्थान की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दो शिक्षक संगठन सक्रिय है, Ructa और Ructa (rashtriya)। मैं Ructa के साथ सक्रिय हूँ, खुलकर उसकी गतिविधियों में हिस्सा लेता हूँ, जो कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं है। 16 सितम्बर 2017 से मैं राजस्थान शिक्षक संघ अम्बेडकर का सिरोही जिले का निर्वाचित जिलाध्यक्ष भी हूँ, इसके बाद से ही मैं एकदम निशाने पर हूँ। मुझे बार बार निशाना बनाया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है और मारने की कोशिश की जा रही है। दुर्भावनापूर्ण तरीके से मेरे खिलाफ हर प्रकार की कार्यवाही की जा रही है।"

कौन है डॉ आशुतोष

डॉ आशुतोष मीना वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर-लोकप्रशासन, राजकीय महाविद्यालय आबूरोड में पदस्थापित हैं, उनका राजस्थान लोकसेवा आयोग से 2006 में चयन हुआ।

मूलतः भरतपुर जिले की नदबई तहसील के पीली गांव के निवासी मीना विगत 10 वर्षों से राजकीय महाविद्यालय आबूरोड में कार्यरत हैं। वर्ष 2016 में उन्हें पीएचडी डिग्री अवार्ड हुई।

स्कूली शिक्षा के समय से ही आशुतोष मीना की रुचि लेख लिखने की रही। 10वीं क्लास से ही अखबारों के लिए लिखना शुरू कर दिया, जो अब तक जारी है। उनकी एक पुस्तक 'पर्यटन एवं स्थानीय स्वशासन' भी प्रकाशित हुई है। वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहे हैं, विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार खुलकर रखते हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल मामला 12 दिसम्बर 2017 को शुरू होता है, जब कुछ लोग हाथ में भगवा झंडा लेकर राजकीय महाविद्यालय आबूरोड में ज़बर्दस्ती नारे लगाते हुए घुस गए और तिरंगा लगाने के स्थान पर भगवा झंडा फहरा दिया। इस कार्यवाही को डॉक्टर मीना ने असंवैधानिक कहा, हालांकि उस दिन डॉ आशुतोष मीना अवकाश पर थे, किंतु इस घटना के बारे में देशभर को जानकारी पहुंची।

इसके लिए डॉ. मीना को दोषी मानते हुए उसी शाम को 6 बजे विश्व हिंदू परिषद के किसी स्थानीय नेता ने मीना को फ़ोन पर धमकी दी है और नतीजा भुगतने को तैयार रहने को कहा।

पहले से ही निशाने पर चल रहे डॉ मीना के पीछे पूरा कट्टरपंथी खेमा पड़ गया। भगवा फहराने की घटना के चौथे दिन 16 दिसंबर 2017 को सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठनों से जुड़े कुछ लोगों ने डॉ मीना को देशद्रोही क़रार देते हुए धमकी दी कि "मीना को राडार पर रखें, लाठियों में तेल पिलाकर पीटेंगे, आबूरोड कॉलेज को जेएनयू नही बनने देंगे।”

इसके बाद जांच के नाम पर दमनचक्र प्रारंभ हुआ। हालांकि कार्यवाही 28.12.2017 को ही शुरू कर दी गयी, जबकि शिकायत बाद में 1 जनवरी 2018 दर्ज की गई। संघ के एक स्थानीय पदाधिकारी सुरेश कोठारी ने दिनांक 1 जनवरी, 2018 डॉ मीना के ख़िलाफ़ जिला कलेक्टर सिरोही को पत्र लिखा कि इस प्रोफ़ेसर पर कार्यवाही की जाये, आरोप लगाया गया कि मीना की सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ समाज विरोधी व धर्मविरोधी हैं,माहौल नकारात्मक हो रहा है।"

बताया जाता है कि डॉ आशुतोष मीना नामकी एक अन्य आईडी से “दीनदयाल तुम्हारा बाप है ,हमारा बाप क्यूँ बना रहे हो” इस टिप्पणी को आधार मानते हुए ज़िला कलेक्टर सिरोही ने पहला पत्र क़्र. 946/17 ,28 दिसम्बर 2017 आयुक्त कॉलेज शिक्षा को लिखा कि आशुतोष मीना के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही की जावे। वहीं दूसरा पत्र क़्र. 947/17 उसी दिन डॉ आशुतोष मीना को देशद्रोही, समाज द्रोही, धर्मविरोधी व सरकार विरोधी का आरोप पत्र लगाते हुए 17 CC का नोटिस जारी किया और जवाब माँगा।

यहाँ यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि जिला कलेक्टर ने पहले सख़्त कार्यवाही की सिफ़ारिश बिना जाँच के विभाग को कर दी और बाद में डॉ मीना से जवाब माँगा। डॉ. मीना ने 18 जनवरी 2018 को लिखित जवाब प्रस्तुत किया, उसके बाद कलेक्टर ने 7 फरवरी 2018 को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए भी बुलाया और सुनवाई के बाद संतुष्ट होते हुए प्रकरण ड्रोप कर दिया।

अंधेरगर्दी की हद तो यह है कि एक तरफ जिला कलेक्टर ने अपने स्तर पर मामला ड्रोप कर दिया है और दूसरी तरफ कॉलेज एजुकेशन के कमिश्नर को आरोपी व्याख्याता के विरूद्ध कार्यवाही की अनुशंसा भी कर दी। फलतः आयुक्तालय में कलेक्टर द्वारा की गयी अनुशंसा पर कार्यवाही शुरू हो चुकी थी। आयुक्त ने अप्रेल 2018 में डॉ मीना के विरुद्ध राजकीय पीजी महाविद्यालय सिरोही के प्राचार्य के के शर्मा को जाँच अधिकारी नियुक्त किया।

अप्रैल में डॉ मीना की प्रतिनियुक्ति बायतू थी। जुलाई के प्रथम सप्ताह में मीना का तबादला आबूरोड से डीडवाना कर दिया गया। तब जाँचकर्ता अपनी टीम के साथ आबूरोड कॉलेज आयी और मीना को बुलाकर उनके बयान लिए व मामले की जाँच की। जाँच अभी भी चल रही है।

तो यह हाल है राजस्थान प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों के। वहां के प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर अपने विचारों की लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति भी नहीं कर सकते हैं। अगर कोई शिक्षक आरएसएस-भाजपा की विचारधारा के विरूद्ध टिप्पणी कर दे तो उसे समाज, धर्म और राष्ट्र का विरोधी घोषित करते हुए उसको प्रताड़ित करने की साज़िश शुरू हो जाती है।

डॉ आशुतोष मीना काफी लंबे समय से दक्षिण पश्चिमी राजस्थान के इस सामंती मनुवादी क्षेत्र में साम्प्रदायिक ताकतों से अकेले लौहा ले रहे हैं। राजस्थान की सिविल सोसायटी, प्रगतिशील वामपंथी संगठन, दलित आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स और लोकतंत्र व सेकुलरिज्म की समर्थक अन्य संस्थाए, संगठन, दल कोई भी उनके पक्ष में खुलकर आने का साहस नहीं कर पा रहा है।

आखिर कैसा कायर समाज बना लिया है हमने? क्यों नहीं बोलते हम सब मिलकर? अपने विचार फेसबुक पर व्यक्त करना भी अगर राष्ट्रद्रोह बना दिया जाएगा तो फिर कैसे कोई किसी अन्याय की मुखालफत करेगां असहमतियों को इतनी निर्ममता से कुचला जाएगा तो हमारा लोकतंत्र कैसे ज़िंदा रहेगा। यह वक़्त 'स्टैंड विथ डॉ आशुतोष मीना' कहने का है,साथ खड़े होने का है।

(लेखक दलित आदिवासी एवं घुमन्तू अधिकार अभियान राजस्थान 'डगर' के संस्थापक हैं।)

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