वायु प्रदूषण से हर साल बेमौत मर रहे 61 लाख लोग

Update: 2018-11-10 09:38 GMT

अध्ययन में हुआ खुलासा जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है तब बढ़ रही हैं आपराधिक घटनाएं, सर्वाधिक प्रदूषित दिनों में लन्दन में अपराध की घटनाएं बढ़ जाती हैं 8 प्रतिशत तक...

वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

वर्तमान में वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका के बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 95 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसी हवा में सांस लेती है, जो प्रदूषित है और लगभग 61 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष इसके कारण अकाल मृत्यु का शिकार होते हैं।

ऐसा बताने वाली यही इकलौती रिपोर्ट नहीं है, बल्कि अनेक रिपोर्ट वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर और यहाँ तक कि इससे होने वाली अकाल मृत्यु के बारे में बताती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2016 में लगभग 70 लाख व्यक्तियों की अकाल मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण हुई।

अब एक नयी रिपोर्ट, वायु प्रदूषण के बढे हुए स्तर और अपराध में बृद्धि को जोडती है। दरअसल, ऐसे अध्ययन की शुरुआत वर्ष 1997 से ही हो गयी थी, फिर कुछ और रिपोर्ट प्रकाशित की गयीं। मगर स्वास्थ्य पर प्रभाव वाली रिपोर्ट्स की संख्या के मुकाबले अपराध वाली रिपोर्ट बहुत कम हैं, शायद इसी लिए इनपर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।

लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के एक दल ने पिछले दो वर्षों के दौरान ग्रेट ब्रिटेन के शहरों में किये गए और पुलिस द्वारा दर्ज किये गए 18 लाख आपराधिक मामलों का अध्ययन तत्कालीन प्रदूषण के स्तर के सन्दर्भ में किया। जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है तब छोटी आपराधिक घटनाएं, जैसे दुकान से सामान गायब करना और पॉकेटमारी, अधिक होती हैं, पर बर्बर या घातक अपराध में कोई अंतर नहीं आता ऐसा इस अध्ययन का निष्कर्ष है।

लओंदों के वायु गुणवत्ता सूचकांक में 10 अंकों की बृद्धि से अपराध दर में 0.9 प्रतिशत की बृद्धि होती है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सर्वाधिक प्रदूषित दिनों में लन्दन में अपराध की घटनाएं 8 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं।

न्यूसाइंटिस्ट ने बहुत पहले, 31.5.1997 के अंक में ही इस विषय पर एक लेख प्रकाशित किया था। इसमें न्यू हैम्पशायर स्थित हैनोवर के डार्टमाउथ कॉलेज के विशेषज्ञ रोजर मास्टर्स के अध्ययन का हवाला देकर बताया गया था कि बढ़ता वायु प्रदूषण किस तरह से समाज में अपराध बढ़ा रहा है। इस अध्ययन में बताया गया था, बहुत प्रदूषित वातावरण सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है और अपराध करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।

फरवरी, 2018 में प्रसिद्ध जर्नल साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार अमेरिका के शहरों में किये गए अध्ययन से भी यह स्पष्ट होता है कि बड़े और छोटे अपराध की दर और वायु प्रदूषण के स्तर का गहरा रिश्ता है। यह अध्ययन अमेरिका के 9360 शहरों में किया गया था। प्रदूषण के स्तर के आंकड़े एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के थे और अपराध के आंकड़े फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन से लिए गए थे।

अध्ययन दल के अनुसार वायु प्रदूषण तनाव और व्यग्रता बढाता है, और बढ़ते अपराध इसी का नतीजा है। इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार बढ़ते वायु प्रदूषण से हिंसक अपराध भी बढ़ जाते हैं। शोधपत्र की सह-लेखिका जूलिया ली के अनुसार, वायु प्रदूषण केवल मानव स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि नैतिकता को भी प्रभावित करने में सक्षम है, प्रमुख लेखक डॉ जैकसन लू की सरकारों के लिए सलाह है, प्रदूषण मुक्त वातावरण केवल लोगों को केवल बीमारियों से नहीं बचाता बल्कि एक सुरक्षित समाज भी बनाता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के संयुक्त दल ने अपने अध्ययन में भी बताया था, वायु प्रदूषण से समाज में अपराध के दर का सीधा रिश्ता है। प्रदूषण अधिक हो जाने पर हिंसक अपराध लगभग 2.2 प्रतिशत अधिक दर्ज किये जाते हैं। यह अध्ययन वर्ष 2015 में प्रकाशित किया गया था।

विश्व बैंक के सहयोग से तैयार किया जाने वाले इकोनॉमिस्ट सेफ सिटी इंडेक्स के 2017 के संस्करण में लन्दन, शिकागो और न्यूयॉर्क में वायु प्रदूषण का स्तर और अपराध दर लगभग एक समान था।

बहुत सारे अध्ययन बताते रहे हैं कि वायु प्रदूषण मस्तिष्क की गतिविधियों को प्रभावित करने में सक्षम है। लेड के बारे में कहा जाता था, यह व्यवहार बदल डालता है, इससे सीखने और समझाने में दिक्कत आती है और बच्चों के इंटेलीजेंट क्योंशेंट को कम कर देता था। पहले लेड का इस्तेमाल पेट्रोल में किया जाता था, पर अब सारी दुनिया में बिना लेड वाले पेट्रोल ही बिकता है।

शंघाई में एक अध्ययन के दौरान पाया गया, सल्फर डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा जब हवा में होती है तब अस्पतालों में मनोरोगियों की संख्या बढ़ जाती है। कुछ अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण तनाव और व्यग्रता बढाता है और आप अनैतिक कार्यों की ओर आसानी से अग्रसर हो जाते हैं। वायु प्रदूषण के कुछ अवयव मस्तिष्क में जलन और सूजन पैदा कर सकते हैं और इसकी कार्य प्रणाली में अंतर आ जाता है।

नए अनुसंधान यह भी बताते हैं कि पार्टिकुलेट मैटर के अधिक घनत्व से बच्चों में मस्तिष्क के विकास पर असर पड़ता है, स्नायु तंत्र प्रभावित होता है और अंत में व्यवहार ही बदल जाता है।

ग्रेट ब्रिटेन में अध्ययन करने वाले दल के अनुसार वायु प्रदूषण मस्तिष्क में कोर्टिसोल नामक हारमोन की कार्य प्रणाली में बाधा पहुंचाता है। इसके असर से आप अधिक खतरा उठाने लगते हैं और परिणाम को भूल जाते हैं। अपराध करने वालों में यही दो गुण काम करते हैं, खतरा उठाना और सजा पर कोई विचार नहीं करना।

संभव है, भविष्य में कोई ऐसा भी अध्ययन किया जाए जो प्रदूषण के स्तर को राजनैतिक नेताओं के जहर उगलते भाषणों से रिश्ता भी जोड़ सके।

Tags:    

Similar News