देश में बीजेपी और इसके सहयोगी दलों के नेताओं पर बलात्कार या हत्या का आरोप लगाना बहुत ही खतरनाक, घातक और जानलेवा हो चला है। ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीती पटेल द्वारा भारत सरकार की तारीफ़ का यह मतलब नहीं है कि इससे भारत में किये जा रहे मानवाधिकार हनन के मामले गौण हो जाते हैं...
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
हरियाणा के भाजपाई मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुश होकर लड़कों से कहते हैं कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद अब हरियाणा के लोग भी शादी के लिए कश्मीरी लड़की ला सकते हैं। इनसे पहले, उत्तर प्रदेश के खतौली से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने भी कहा था, अब लड़के गोरी कश्मीरी लड़कियों से शादी कर सकते हैं, इस चीज का जश्न तो सारे देश को मनाना चाहिए।
जाहिर है, बीजेपी का एक बड़ा वर्ग अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केवल इसलिए खुश है की अब कश्मीरी लड़कियों पर अधिकार किया जा सकता है। ऐसे में देश की लड़कियां और महिलायें कैसे सुरक्षित रह सकतीं हैं?
लगभग ऐसा ही सवाल लन्दन से प्रकाशित द गार्डियन में 8 अगस्त को एक पत्र प्रकाशित कर इंग्लैंड की 42 महिला शिक्षाविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, लेखिकाओं और कवियत्रियों ने उठाया है। इसमें ब्रिटेन की महिलाएं भी हैं और भारतीय मूल की ब्रिटेन में बसी महिलायें भी और सन्दर्भ उन्नाव रेप पीड़िता का है। पत्र की शीर्षक है, लड़कियों और महिलाओं पर हिंसा को रोकने में विफल भारत सरकार।
इसमें लिखा गया है, “जब एक किशोरी आयु की बलात्कार पीड़िता न्याय की आस लिए अब जिंदगी और मौत से जूझ रही है, हम लोग महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा पर भारत सरकार के रवैये पर तनाव और गुस्से में हैं। सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के नेता और इनकी सहयोगी पार्टी के नेताओं द्वारा कथित तौर पर किये गए जघन्य अपराधों के बाद भी सरकार उन्हें बचाने का भरसक प्रयास करती है। वर्ष 2017 में 8 वर्षीय लड़की से कश्मीर में किये गए सामूहिक बलात्कार और फिर जघन्य हत्या के बाद भी देश का माहौल नहीं बदला। इस सामूहिक बलात्कार और जघन्य हत्या के कथित अपराधियों के समर्थन में बड़ी-बड़ी रैलियाँ आयोजित की गयीं और इन्हें बीजेपी नेता संबोधित करते रहे।”
पत्र में आगे लिखा गया है, “उन्नाव की इस वर्तमान घटना में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक कथित अपराधी हैं, जो अभी जेल में हैं और सारे अपराधों को नकार रहे हैं। रेप पीड़िता के इन्साफ पाने की राह में हर कदम पर उसे हिंसा और धमकियों का सामना करना पड़ा है। सेंगर के समर्थक पीड़िता के पिता पर जानलेवा हमला करते हैं, पर पुलिस उन्हें ही हवालात में बंद करती है, जहां रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो जाती है। इसके एकमात्र चश्मदीद गवाह की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाती है। सेंगर जेल में रहते हुए भी अपना समर्थन जुटाने और बाहर हिंसा कराने में कामयाब रहे हैं।”
“पीड़िता के परिवार ने दावा किया है कि उन्हें सेंगर के समर्थकों और सहयोगियों से लगातार धमकियां मिल रहीं हैं।” इसके बाद पत्र में 28 जुलाई की घटना का वर्णन है, जिसमें बलात्कार पीड़िता की गाड़ीर को सामने से आ रहे ट्रक ने टक्कर मारी थी। “इसके बाद जब चौतरफा विरोध के स्वर बढ़ने लगे तब जाकर सेंगर को बीजेपी से निकाला गया।”
पत्र में लिखा है, “इस देश में बीजेपी और इसके सहयोगी दलों के नेताओं पर बलात्कार या हत्या का आरोप लगाना बहुत ही खतरनाक, घातक और जानलेवा हो चला है। ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीती पटेल द्वारा भारत सरकार की तारीफ़ का यह मतलब नहीं है कि इससे भारत में किये जा रहे मानवाधिकार हनन के मामले गौण हो जाते हैं।”