कोरोनावायरस की वजह से भारतीय व्यापार पर भारी संकट, बिना कागजी कार्रवाई चीन से व्यापार की कोशिश

Update: 2020-02-17 11:07 GMT

वित्त मंत्री ने नई दिल्ली में पत्रकारों के एक सम्मेलन में कहा कि चीन में प्रशासन कोरोनावायरस पर नियंत्रण पाने में लगा हुआ है। जिस वजह से वे आयातकों के साथ कागजी औपचारिकताएँ पूरा नहीं कर पा रहा है। इससे वहां से आयात में तेजी नहीं आ पा रही है...

जनज्वार। कोरोनावायरस का डर तेजी से फैल रहा है। चीन में घातक कोरोना वायरस से मरने वालो की संख्या बढ़तक 811 हो गई है। और इसके संक्रमण के 37000 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि देश में केवल तीन मामलों की पुष्टि हुई है। लेकिन हाल के एक सर्वेक्षण में दिखाया गया हैकि अगर इस पर जल्द अकुंश नहीं लगाया जाता है तो यह जनजीवन और कारोबार को प्रभावित कर सकता है।

रकार के शीर्ष नीति निर्मताओं ने चीन में फैक्टरियां बंद होने के कारण भारतीय कंपनियों के लिए संभावनाएं पैदा होने की बात कही है लेकिन भारतीय लोग इसके प्रसार पर अकुंश लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर चिंतित है। स्वास्थय के नजरिए से केंद्रीय स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल में एक यात्रा सुझाव जारी कर लोगों से चीन यात्रा ना करने का आग्राह किया था। मंत्रालय ने कहा था कि यात्रा सलाह में सशोंधन करते हुए जनता को सूचित किया जाता है कि वे चीन की यात्रा से बचें और 15 जनवरी 2020 के बाद चीन का दौरा करने वाले और बीमारी से संक्रमित के कारण अलग रखे जा रहे व्यक्ति से दूर रहें।

लेकिन कोरोनावायरस के कारण केवल स्वास्थय में ही नहीं बल्कि कारोबार के हिसाब से भी काफी ज्यादा नुकसान होने के आसार है। जिसके बाद वित्त मंत्री वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को प्रेस क्राफेंस करते हुए कहा कि सरकार चीन से आयात होने वाली वस्तुओं की खेप से जुड़ी कागजी औपचारिकताओं से छूट देने पर विचार कर रही है। इस समय चीन में अधिकारिक और पूरा प्रशासनिक महकमा कोरोनावायरस से निपटने में जुटा है। इसलिए वे अपनी तरफ से कागजी कार्रवाई पूरा करने में सहयोग नहीं कर पा रहे है।

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हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारी यह भी मानकर चल रह हैं कि कोरोनावायरस के तेजी से प्रसार के बाद फरवरी और मार्च में सीमा शुल्क संग्रह में कमी आ सकती है। माना जा रहा है कि बंदरगाहों पर आयात होने वाली वस्तुओं की खेप के भंडारण पर शुल्क भी माफ किया जा सकता है।

सीतारमण ने कहा कि इसके अलावा चीन का विकल्प तलाश रहीं करीब एक दर्जन कंपनियों ने अपनी मांगों के बारे में सरकार से बात की है। वित्त मंत्री ने नई दिल्ली में पत्रकारों के एक सम्मेलन में कहा कि चीन में प्रशासन कोरोनावायरस पर नियंत्रण पाने में लगा हुआ है। जिस वजह से वे आयातकों के साथ कागजी औपचारिकताएँ पूरा नहीं कर पा रहा है। इससे वहां से आयात में तेजी नहीं आ पा रही है। हमनें खास वस्तुओं के चीन से आयात पर चेन्नई बंदरगाहों पर कागजी कार्रवाई से राहत दे दी है।

हालात पर विचार करने के बाद दूसरे क्षेत्रों और बंदरगाहों को भी ऐसी सुविधाएँ दी जा सकती है। सरकार चेन्नई के बाद हैदराबाद और कोच्चि को भी ऐसी रियायतें देने पर विचार कर रहीं हैं। सीतारमण ने कहा कि दवा वाहन कल-पुर्जें, मोबाइल फोन और कीटनाशकों का भंडार अगले 15 दिनों में समाप्त हो सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है और दूसरे देशों से इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हमारे पास पर्याप्त समय भी नहीं है।

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न्होंने कहा कि करीब 10 से 12 कंपनिया चीन की जगह कोई और विकल्प तलाश रही है। मंत्रालय ने उनसे बात की है और उनकी अपेक्षाएं वाजिब है। सीतारमण मंगलवार को औद्योगिक संगठनों और कारोबारी प्रतिनिधियों से कोरोनावायरस के खतरे पर बात करेंगी। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था पर वायरस के असर से मैं निश्चित रुप से चिंतित हूं मैं मंगलवार को विभिन्न क्षेंत्रों के प्रतिनिधियों से बातचीत करूंगी। इससे पहले चेन्नई और अन्य जगहों पर भी मैनें आयातकों से बात की थी और उन्होंने अपनी चिंताएं जाहिर की थी।

कोरोनावायरस से हो रहे नुकसान को लेकर जनज्वार की टीम दिल्ली के व्यापारियों के पास कोरोना वायरस से हो रहे नुकसान की पड़ताल करने के लिए झील की एशिया की सबसे बड़ी जींस की मार्किट कही जाने वाली गांधी मार्किट पहुंची। कोरोनावायरस के कारण व्यापार पर संकट को लेकर व्यापारी इमरान बताते है कि वायरस के कारण जो छोटी मोटी चीजें आनी थी वो अब महंगी होती जा रही है।

स समय वायरस के कारण चीन से आने वाले हर समान की जांच की जा रही है। जिस कारण कपड़ों को बनाने वाली जो मुलभूत चीजों चीन से आती थी। उनके दामों में अब बढ़ोतरी हो गई है। इमरान बताते है कि चीन से छोटे बच्चों के कपड़े जैसे उनकी जींस, जूते, टीशर्ट आती हैं। लेकिन वायरस के कारण जहां पहले हमें एक पीस के लिए पहले 100 से 150 रुपए देने पड़ते थे। वहीं अब हमेें 300 रुपए तक देने पड़ रहे है।

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सके अलावा अन्य चीजों में भी 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी पाई गई है। अभी क्योंकि कोरोनावायरस का प्रभाव भारत में इतना नहीं हो पाया है जिस कारण अभी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन अगर इस वायरस का प्रभाव जारी रहता है तो आगे जा कर जो माल हमें अभी मिल रहा है वो भी मिलना बंद हो जाएगा। अगर इस बीमारी ने एक महीना और असर डाल दिया तो व्यापारियों को काफी ज्यादा असर पड़ेगा।

हीं वसीम जो सीलमपुर में चिकन की दुकान चलाते है बताते है कि कोरोनावायरस के कारण सबसे ज्यादा नुकसान चिकन बेचने वालों को हुआ है। जिस तरह की अफवाहें लोगों को फैला दी गई है कि मुर्गे के कारण भी यह सक्रमंण फैल रहा है। ऐसे में लोगों ने चिकन को लेना बंद कर दिया है। और जो लोग लेने भी आ रहे है।

ह भी बीमारी को लेकर अकसर बातें करते रहते हैं। वायरस के कारण अब माल आना भी कम हो गया है। वहीं जो माल मिल रहा है उसमें दामों की बढ़ोतरी हुई है। दाम बढ़ने के कारण भी लोग चिकन को खरीदना पसंद नहीं कर रहे है। लेकिन अभी इतना भी नुकसान नहीं हुआ है कि हमें दुकाने बंद करनी पड़ी लेकिन हमें डर है कि गुजरात में जैसा असर देखने को मिला है। वैसा नुकसान हमारे साथ ना हो।

हीं मार्किट में लेडीज के कपड़े बेचने वाले संजीव बताते है कि दिल्ली में अभी कोरोनावायरस के कारण कोई इतना बड़ा नुकसान देखने को नहीं मिला है। लेकिन कुछ चीजों के दाम जैसे जर्कीन जिसका इस्तेमाल लहंगों में किया जाता है। इसके अलावा छोटी मोटी चीजों के दाम में बढ़ोतरी हुई है।

जिनका संबध चीन के साथ था। जैसे जर्कीन जो लहंगों में इस्तेमाल होती है उसके दामों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि वायरस के कारण मार्किट में उतना असर नहीं आया है लेकिन किन आगे 2 या 3 महीनों में सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की जाती है तो ज्यादा नुकसान हो सकता है।

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