गोरखालैंड के समर्थन में हांग कांग में प्रदर्शन

Update: 2017-06-28 16:20 GMT

जनज्वार। गोरखालैंड को लेकर संघर्ष कर रहे दार्जिलिंग के नेपालियों को अप्रत्याक्षित समर्थन प्राप्त हो रहा है। उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश जैसे गोरखा बाहुल्य क्षेत्रों में गोरखालैंड के समर्थन में जुलूस और प्रदर्शन जारी है, तो वहीं नेपाल के अलग अलग हिस्सों में भी गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे हैं।

समर्थन देने वालों में गोरखालैंड की मांग को समर्थन करने वालों में अब एक नाम और जुड़ गया है हांग कांग के गोरखाओं का। हांग कांग में रह रहे गोरखाओं ने 26 जून को रैली निकाल कर गोरखालैंड की मांग का समर्थन किया।

किंग जार्ज मेमोरियल पार्क में जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ झड़प में मारे गए गोरखा आंदोलनकारियों को श्रृद्धांजलि दी और गोरखालैंड के पक्ष में नारे लगाए। यूनाइटेड गोरखा कम्युनिटी ऑफ इण्डिया- हांग कांग के अध्यक्ष सुभाष थापा ने मीडिया को बताया कि वे लोग अलगवाद के समर्थक नहीं हैं, लेकिन अपनी पहचान का अच्छा प्रतिनिधित्व और सम्मान चाहते हैं।

हांग कांग में जन्मी और बड़ी हुई अमिता गुरुंग का कहना है कि गोरखालैंड इतिहास की मांग है। गोरखा लोग इस क्षेत्र में सदियों से रहते आए हैं और वे एक राज्य प्राप्त करने के हकदार हैं। प्रदर्शन में भाग ले रहे अन्य प्रदर्शनकारियों ने उम्मीद जताई कि इस बार गोरखालैंड की मांग पूरी होगी।

गौरतलब है कि गोरखालैंड को लेकर सबसे पहले 1980 के दशक में सुभाष घिसिंघ के नेतृत्व में आंदोलन हुआ था। गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में हुए हिंसक आंदोलन में 12 सौ से अधिक लोगों की जान गई थी।

22 अगस्त 1988 में केन्द्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौता के बाद दार्जिलिंग गोरखा हिल परिषद का गठन हुआ। यह परिषद एक अर्ध-स्वायत्त समिति था जिसके अधीन दार्जिलिंग जिले का प्रशासन था। 2012 में पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चे के बीच एक हुए एक समझौता में दार्जिलिंग और कलिंपोंग पर्वतीय क्षेत्र के प्रशासन के लिए गौरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन का गठन किया गया गया था।

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