आत्महत्या नहीं हत्या की गई थी डॉक्टर पायल तडवी की!

Update: 2019-05-30 11:13 GMT

पायल तडवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गर्दन समेत कुछ अंदरूनी हिस्सों में भी पाये गए हैं चोट के निशान

जनज्वार। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पायल तडवी की मौत का मामला सुर्खियों में है। पहले कहा जा रहा था कि सीनियर्स के टॉर्चर से तंग आकर उन्होंने मौत को गले लगाया, मगर उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उनकी हत्या के ज्यादा आसार हैं क्योंकि उनके शरीर के अने​क हिस्सों में चोट के निशान पाये गए हैं।

जाति का जहर किसी की हत्या भी कर सकता है और किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर भी कर सकता है। यह डॉ. पायल तडवी हत्याकांड में साफ साफ देखा जा सकता है।

गौरतलब है कि मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल से गायनोकोलॉजी की पढ़ाई करने वाली दूसरे वर्ष की छात्रा पायल तड़वी द्वारा जातिवादी टिप्पणियों और अन्य सीनियर्स द्वारा किए जा रहे अन्य तरह के उत्पीड़नों से तंग आकर 22 मई को आत्महत्या करने का मामला सामने आया था।

इस मामले में पायल के 3 सीनियर डॉक्टरों को उनको टॉर्चर करने के जुर्म में ​हिरासत में भी लिया गया है। मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चौंका दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक पायल की गर्दन पर चोट के निशान मिले हैं। साथ ही रिपोर्ट में मौत की प्रारंभिक वजह गर्दन पर मिले चोट के निशान ही बताए जा रहे हैं।

मुंबई की अदालत ने बुधवार 29 मई को पायल को उत्पीड़ित करने वाले तीन आरोपी डॉक्टरों को गिरफ्तार कर दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है। तडवी का परिवार शुरू से ही उनकी आत्महत्या को हत्या करार देते आया है।

पीड़िता के वकील नितिन सतपुटे ने अदालत में कहा कि 'पायल की मौत की परिस्थिति और शरीर पर मिले चोट के निशान से यह कह सकते हैं कि यह हत्या का मामला है आत्महत्या का नहीं। पुलिस को इस मामले की जांच हत्या के तौर पर करनी चाहिए। इसके लिए पुलिस को 14 दिनों का समय मिलना चाहिए।'

पीड़िता के वकील नितिन सतपुटे ने अदालत में आरोप लगाया कि 'आरोपी पीड़िता की डैड बॉडी को पहले कहीं और लेकर गए थे और बाद में उसे अस्पताल लेकर आए। इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ का संदेह है।'

वहीं आरोपी डॉक्टरों के वकील ने अदालत में आत्महत्या के लिए उकसाने की बात को खारिज करते हुए दलील दी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति का पता नहीं था।

इस मामले में महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेज़िडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने पायल को प्रताड़ित करने वाली तीनों महिला डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। हालांकि इस मामले में पायल के परिवार ने विभागाध्यक्ष के निलंबन की मांग भी की है। वहीं पायल के साथ काम करने वाली अन्य डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर अपने ग़ुस्से का इज़हार किया है और अभियुक्त बनाई गईं डॉक्टरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की है।

गौरतलब है कि पायल तडवी की आत्महत्या का मामला सामने आने के बाद से ही तीनों आरोपी महिला डॉक्टर भक्ति मेहर, डॉक्टर हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल लापता थीं। दो आरोपी डॉक्टरों अंकिता खंडेलवाल और हेमा आहूजा ने सत्र अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी दी थी, लेकिन वो खारिज हो गई।

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