केले का छिलका सड़क पर मत फेंको, मोदी सरकार गिर जाएगी

Update: 2019-04-06 06:47 GMT

राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का सारा हल्ला आज चुनाव के समय इसलिए क्योंकि जमीन पर नहीं हुआ है रत्तीभर भी काम, लोगों को चाहिए स्वच्छ पानी, सस्ती बिजली, सस्ती शिक्षा, सस्ता ईलाज, अच्छी सड़कें और रोजगार, नहीं चाहिए हिंदू-मुस्लिम और इंडिया-पाकिस्तान युद्ध...

लोनी से लौटकर सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार टीम की ओर से लोनी क्षेत्र में लाइव रिपोर्टिंग अजय प्रकाश, वीडियो तरुण शर्मा

जनज्वार। जनज्वार की टीम 4 अप्रैल को राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र पहुंचे। पांच साल पहले नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चला विकास संसद से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोनी क्षेत्र में नहीं पहुँच पाया है। शाहदरा से ऑटोरिक्शा पकड़कर लोनी पहुँचते—पहुँचते हम चोटिल हो ही गए। पीछे की सीट पर बैठी महिला के हाथ और कमर में भी चोट आई।

लोनी उतरने पर आलम ये था कि हम धूल से नहाये हुए थे। बालों और चेहरों पर धूल भरी हुई थी। बिना मुंह धोए लोगों से बात करने की हालत में हम नहीं थे। इस क्षेत्र का हाल ये है कि यहां पानी की निकासी न होने के चलते अप्रैल के महीने में भी सड़कों पर पानी भरा रहता है, जबकि बारिश के बादलों का कहीं नामों निशान नहीं है।

सड़कें ऐसी हैं कि संभल कर न बैठें, तो नाक-मुँह सब फूट जाए। लगातार इन सड़कों पर सफर करने वाले जान जोखिम में लेकर चलते हैं। देशभर में सड़कों का जाल बिछाने का दावा करने वाले परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एक बार लोनी ज़रूर आकर रोड टूरिज्म का मज़ा लेना चाहिए।

स्थानीय निवासी नफीसा अहमद बताती हैं कि उनसे प्रधानमंत्री आवास के लिए तीन बार फॉर्म भरवाए गए और हर बार हजार रुपए फीस जमा करवाई गई, लेकिन आवास नहीं मिला। पता करने पर पता चला कि फिर से फार्म भरो।

अलका देवी सिलाई का काम करती हैं। वो बताती हैं कि उनका घर सड़क से 6-7 फीट नीचे है। लोनी में पानी की निकासी नहीं है। लगातार नींव और दीवारों के पास पानी लगा रहता है जिससे घर में सीलन बनी रहती है। जिससे घर की दीवारों और नींव में लगातार पानी लगा रहता। सीलन के चलते अलका का घर गिर गया और उसके मलबे के नीचे उनके पति दब गए।

अलका बताती हैं कि उनके पति की जान तो बच गई, लेकिन अब वो कोई काम करने लायक नहीं रह गए हैं। तब से अलका सिलाई का काम करके घर का खर्चा चलाती हैं। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन सरकारी स्कूल भी बहुत दूर है।

रशीद मजदूरी का काम करते हैं। वो बताते हैं कि लोनी की हालत पिछले 25 साल से ऐसे ही हैं। यहां पिछले 25 साल में कुछ नहीं बदला सिवाय महंगाई और बिल्डर माफियाओं के आने के।

धन देवी कहती हैं, 15 लाख की आबादी वाली लोनी में सिर्फ एक डिस्पेंसरी है और वो भी इतनी दूर है कि आने-जाने में ही 70—80 रुपए खर्च हो जाते हैं।

मौर सिंह लोनी में गेहूं पीसने की चक्की चलाते हैं। वो बताते हैं कि चार कदम और चलकर देख लीजिए, आगे की गलियों में नालियाँ भी गायब हैं। वो एक खंभे पर टंगी स्ट्रीट लाइट दिखाकर कहते हैं ये कभी नहीं जलता। मौर सिंह बताते हैं कि लाइट बहुत कम आती है। कट—पिटकर 10 घंटे भी लाइट नहीं रहती। बिजली कटौती के चलते लोगों का गेहूं कई बार नियत समय पर नहीं पिस पाता है।

कूड़ाघर में तब्दील बच्चों के खेलने की जगह

लोनी निवासी प्रेमपाल शर्मा कहते हैं, लोनी 20-25 साल पहले जैसा था वैसे ही आज भी है। मोदी सरकार विकास के नाम पर पाकिस्तान और सर्जिकल स्ट्राइक और राष्ट्रवाद का पहाड़ा पढ़ाती है, जबकि हकीकत ये है कि बालाकोट में ये एक चूहा भी नहीं मार पाये हैं। इससे ज्यादा झुट्ठी सरकार हमने नहीं देखी। कभी 5 लाख देने का झूठा वादा करता है, कभी अच्छे दिन का वादा करता है, कभी महंगाई कम करने का वादा करता है, पर करता कुछ नहीं।

वहीं वकीला अपनी तकलीफें साझा करते हुए कहती हैं, उनके पति बीमार रहते हैं, उन्हें अटैक आय़ा था। वकीला मजदूरी करती हैं। उनके बच्चे बेलदारी करते हैं। सरकार के कामकाज के बारे में पूछने पर आक्रोशित वकीला कहती हैं, सरकार ने कुछ नहीं किया है, सिर्फ गरीबों मुसलमानों का खून पिया है। हम गरीबों को राशन कार्ड तक नहीं मिला है इस सरकार के आने के बाद।

Full View अली जूस का ठेला लगाते हैं। वो बताते हैं हमारे इलाके में हमेशा गंदा और बदबूदार पानी भरा रहता है, इससे कई तरह की बीमारियाँ फैलती हैं, मगर सरकार इस पर ध्यान ही नहीं देती। उनका एक बेटा है वो गूंगा-बहरा है। उसका सर्टिफिकेट भी बनवाया है, पर सरकार की ओर से उसे कुछ नहीं मिला। उसका एडमीशन भी कहीं किसी सरकारी स्कूल में नहीं हो पाया है। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने की हमारी औकात नहीं है।

औरतें पीने के पानी को लेकर कहती हैं, यहां पीने का पानी बहुत प्रदूषित है। सप्लाई का पानी आता है, पर देर रात में। यहां टंकी नहीं आती। गंदे पानी के पास गड़े हैंडपंप में जो पानी आता है व कपड़े धुलने के लायक भी नहीं है। टूटी—फूटी हालत में नाली के किनारे लगा एकमात्र हैंडपंप के पानी पर लोनी के सैकड़ों घरों के लोग निर्भर हैं, हैरत की बात यह कि वह भी पीने लायक नहीं है।

Full View के छोटे-बड़े बच्चे लगातार जनज्वार टीम को घेरे रहती है। साफ है कि यहां हमसे पहले कोई मीडिया चैनल, अखबार विकास ढूँढ़ने नहीं आया होगा। लोनी में बच्चों के खेलने कूदने के लिए कोई पार्क भी नहीं है। यहां बिल्डरों कुछ इस तरह विकास किया है बच्चों के लिए पार्क भी नहीं छोड़ा है। एक खाली छूटे मकान के प्लाट में ही बच्चे खेलते हैं, ये भी कूड़े—कचड़े से पटा हुआ है। बच्चे कैमरे में कहते हैं, हमें पार्क चाहिए। सरकार हमारे लिए एक पार्क दे।

Full View कार्यकर्ता कुंदन कहते हैं- 'राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का सारा हल्ला आज चुनाव के समय में इसलिए है क्योंकि जमीन पर कोई रत्ती भर भी काम नहीं हुआ है। लोगों को स्वच्छ पानी, सस्ती बिजली, सस्ती शिक्षा,सस्ती ईलाज, अच्छी सड़कें और रोजगार चाहिए। उन्हे हिंदू-मुस्लिम, और इंडिया-पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहिए।

सुनीता सिंह राजपूत नाम की महिला कहती हैं, मोदी ने लोनी में भले कुछ न किया हो, पर देश के लिए बहुत कुछ किया है। तभी उनके बगल खड़ा एक लड़का तपाक से पूछता है क्या लोनी देश में नहीं आता क्या, और वो चुप हो जाती हैं।

Full View दें कि लोनी गाजियाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत आता है। यहां से भाजपा के वीके सिंह सांसद हैं। उनसे पहले राजनाथ सिंह इस सीट से सांसद थे और पांच साल यहां मुँह न दिखाने के चलते वो 2014 के चुनाव में गाजियाबाद छोड़कर लखनऊ चले गए थे, जबकि लोनी से विधायक नंद किशोर गुर्जर लगातार इस क्षेत्र में हिंदू–मुस्लिम करते रहे हैं। वो लोनी के मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के गुरुतर काम में लगए हुए हैं।

हमारी भी सुन लो के अंदाज में जनज्वार टीम को घेरे लोनी के बच्चे

सरकार ने सारे काम हवा में किये हैं, इसलिए सरकार का काम ढूँढ़ने जब हम जमीन पर गए तो हमें सरकार का काम जमीन पर कहीं नहीं मिला। मोदी सरकार के 2019 के चुनाव में सत्ता से चले जाने को लेकर लोनी के लोग में इस हद तक आश्वस्त हैं कि उन्होंने मोदी सरकार को लेकर तरह तरह के जोक्स बना लिए हैं। ऐसे ही एक आदमी केला खा रहे अपने साथी से कहता है- केला का छिलका सड़क पर मत फेंको, मोदी सरकार गिर जाएगी।

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