एबीपी को पुण्य प्रसून का मास्टर स्ट्रोक दिखाना पड़ा महंगा, मोदी सरकार के दबाव में मैनेजिंग एडिटर को देना पड़ा इस्तीफा
आज तक चैनल छोड़ने के बाद जब पत्रकार पुण्य प्रसून ने एबीपी ज्वाइन किया तो वे चैनल के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर की थे पहली पसंद, तमाम विरोधों और सरकारी दबावों के बीच मिलिंद ही मास्टर स्ट्रोक की धार को बनाए रखने के थे सूत्रधार
पुण्य प्रसून बाजपेयी के शो मास्टर स्ट्रोक के हिट हो जाने से हर्ट हो गई थी सरकार, सोशल मीडिया पर एबीपी के प्रबंधन के खिलाफ भक्त और भाजपाइयों द्वारा कराई जा रही थी थू थू
स्वतंत्र कुमार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
दिल्ली, जनज्वार। लीजिए अंधेरा छा रहा है और संकट का समय आ गया है। जी हां हम बात कर रहे हैं एबीपी न्यूज पर रोज रात 9 बजते ही छाने वाले अंधेरे की। जैसे ही इस चैनल पर मास्टर स्ट्रोक न्यूज शो शुरू होता था, वैसे ही इस चैनल के सिग्नल गायब होने शुरू हो जाते थे।
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आरोप था कि सरकार के खिलाफ खबरें दिखाने वाले इस न्यूज़ शो के दौरान जान—बूझकर डीटीएच सर्विस के नेटवर्क खराब कर दिए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी जब चैनल की न्यूज का निर्णय लेने वाले मिलिंद खांडेकर और शो की एंकरिंग करने प्रसून बाजपेयी के हौंसले डिगे नहीं, तो ऐसा आरोप है कि मोदी सरकार के इशारे पर एबीपी न्यूज़ के मैनेजिंग डारेक्टर मिलिंद खांडेकर की विकेट उड़ा दी गई है।
अभी कुछ देर पहले ही मिलिंद खांडेकर ने खुद ट्वीट कर अपने एबीपी न्यूज़ छोड़ने की न्यूज दी। ऐसा माना जा रहा है कि एबीपी न्यूज़ के मालिकों पर सरकार की ओर से दबाव बनाया जा रहा था कि उनके चैनल पर प्रसारित होने वाले शो मास्टर सटॉक को बंद कर दिया जाए। इस बात को लेकर प्रबंधन चैनल के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद पर दवाब बना रहा था। लेकिन ईमानदार छवि के मिलिंद ने इससे साफ इंकार कर दिया।
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खबर है कि सरकार शो पेश करने करने वाले एंकर के खिलाफ कोई एक्शन लेने के मूड में नहीं थी, क्योंकि इससे पहले पुण्य प्रसून आज तक चैनल छोड़कर आये हैं और बाजार में ये खबर गर्म थी कि रामदेव से तीखे सवाल पूछने पर उनको आज तक चैनल से बाहर का रास्ता दिखाया गया।
अगर पुण्य प्रसून की एबीपी से भी विदाई हो जाती तो इसका साफ सन्देश जाता कि सरकार की पॉलिसियों का पोस्टमार्टम करने और खबर को खबर की तरह दिखाने वाले पत्रकार को बाहर कर दिया।
पुण्य प्रसून की आम जनता में काफी अपील भी है और एक जाना पहचाना नाम है। इसलिए सरकार ने बहुत चालाकी से एक ऐसे आदमी को चैनल से बाहर का रास्ता दिखाया है, जो पब्लिक डोमेन में नही है और पर्दे से पीछे रहकर काम करता है।
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इससे न तो सरकार की कार्यवाही का ज्यादा रोष होगा। संदेश यह भी जाएगा कि जिस भी पत्रकार ने सरकार के खिलाफ कुछ लिखने या कुछ दिखाने की कोशिश की तो उनका हश्र भी मिलिंद खांडेकर जैसा ही होगा।
सच में मोदी सरकार ने ये मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।
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