मोदी के करीबी उद्योगपति अडानी के नामी अस्पताल में 5 महीने में 111 नवजातों की मौत
अस्पताल प्रशासन कहता है कुपोषण और देरी से अस्पताल में भर्ती कराए जाने से हुई हैं इन शिशुओं की मौतें, गुजरात सरकार ने दिए जांच के आदेश
दिल्ली, जनज्वार। नामी अस्पतालों और अस्पताल प्रशासन की लापरवाहियों से होने वाली मौतों की खबरें अब आम हो गई हैं। पहले मैक्स, फोर्टिज समेत तमाम नामी हॉस्पिटलों में कहीं जिंदा बच्चे को कफन में लपेटने की घटना सामने आई तो कहीं पथरी के इलाज में 50 लाख रुपए वसूलने के बाद भी महिला को जिंदा न बचा पाने की घटना। वहीं बुखार पीड़ित बच्ची के परिजनों से 18 लाख वसूलने के बाद भी डॉक्टर बच्ची को नहीं बचा पाए। कहीं महिला की डिलीवरी इसलिए नहीं की गई क्योंकि परिजनों के पास बिल के लाखों रुपए भरने को नहीं थे और शरीर में इंफेक्शन फैलने से जवान महिला अस्पताल की भेंट चढ़ गई।
हालिया मामला नामी बिजनैस टाइकून अडानी के अस्पताल से जुड़ा है, जहां मात्र 5 महीनों में 111 शिशुओं ने दम तोड़ा है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक गुजरात के सबसे प्रतिष्ठित अडानी एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संचालित केजीके जनरल हॉस्पिटल में बीते पांच महीनों में हुई 111 नवजात शिशुओं की मौत होने से लोगों में काफी आक्रोश है। जिसके दबाव में गुजरात सरकार ने इतनी भारी तादाद में हुई नवजात शिशुओं की मौत की जांच का आदेश दिया है।
अस्पताल द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक ही 20 मई तक 2018 के पहले पांच महीने में 111 शिशुओं की केजीके जनरल हॉस्पिटल में मौत हुई है। हालांकि यह आंकड़ा सामने रखते हुए अस्पताल प्रशासन यह नहीं भूलता है कि नवजात शिशुओं की मौत का कारण देरी से अस्पताल में भर्ती कराया जाना और कुपोषण रहा है। इन मौतों के लिए अस्पताल जिम्मेदार नहीं है।
अब गुजरात सरकार ने इस मामले में जांच का आदेश देते हुए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है। केजीके अस्पताल के सुपरिटेंडेंट ने मीडिया को बताया, अस्पताल में 777 नए शिशुओं का जन्म 1 जनवरी से लेकर 20 मई तक हुआ, उनमें से 111 की मृत्यु हो गई।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक ही 2017 में यहां 258 शिशुओं की मौत हुई थी तो 2016 में 184 और 2015 में 164। यानी शिशुओं की मौत का यह आंकड़ा बहुत बढ़ा हुआ है। मात्र 5 महीने में 111 बच्चे मौत की भेंट चढ़ चुके हैं। इसके पीछे क्या कारण रहे, यह तो अगर जांच सही तरीके से की गई तभी पता चल पाएगा।
मीडिया में खबर वायरल होने के बाद हालांकि जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम नियुक्त कर दिया गई है, मगर फिलहाल अस्पताल के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया है। इस मामले में गुजरात की स्वास्थ्य आयुक्त जयंती रवि ने बताया, ‘हमने मौत के कारणों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है। टीम के रिपोर्ट सौंपने के बाद ही सरकार कोई उचित कदम उठाएगी।'