भोपाल में आरटीआई वालों की हुई जुटान, कहा सरकार जितना रोक लगाएगी हम उतनी ही ज्यादा आरटीआई लगाएंगे
सरकार लोगों से उनका अधिकार छीन रही है और सूचनाओं को लोगों से दूर रखा जा रहा है, इससे सीधे तौर पर सूचना के अधिकार कमजोर किया गया, हर साल सूचना के अधिकार के तहत 60 लाख से ज्यादा आवेदन किये जाते हैं और हिंसक घटनाओं में 90 आरटीआई कार्यकर्ताओं गंवाते हैं अपनी जान...
भोपाल से रोहित शिवहरे की रिपोर्ट
जनज्वार। आरटीआई कानून को हाल के बदलाव से कमजोर करने की केंद्र सरकार की कोशिशों के खिलाफ अब आरटीआई कार्यकर्ताओं और जन संगठनों ने कमर कस ली है। शनिवार 12 अक्टूबर से भोपाल समेत देश के कई हिस्सों में हफ्तेभर तक ज्यादा से ज्यादा आरटीआई के आवेदन लगाकर विरोध जताने की शुरुआत हो चुकी है। संदेश साफ है- आप जितना रोकेंगे, हम उतना ही आरटीआई लगाएंगे। साथ ही यह भी कहा गया है कि आरटीआई आवेदनों की न सिर्फ समीक्षा होगी, बल्कि इन आवेदनों से प्राप्त जानकारी को आम लोगों के साथ साझा भी किया जाएगा।
विरोध के लिए सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान (NCPRI) ने पूरे देश में 1अगस्त 2019 को "आरटीआई लगाओ और आरटीआई बचाओ" (Use RTI Save RTI) का अभियान शुरू किया है। राजस्थान से शुरू हुए इस अभियान की धमक अब मध्य प्रदेश के भोपाल में सुनाई दे रही है।
इसके तहत हर महीने की 1 तारीख को जनता के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों में बड़ी संख्या में सूचना के अधिकार के आवेदन लगाये जायेंगे और उसी दिन पिछले महीनों की तारीखों को लगाये गए विभिन्न सूचना के अधिकार आवेदन पत्रों की समीक्षा की जाएगी।
भोपाल मे "आरटीआई जमघट"
मध्य प्रदेश सूचना के अधिकार का जन अभियान भोपाल शहर के विभिन्न स्थानों पर सप्ताह भर "आरटीआई जमघट" का आयोजन कर रहा है। यह अभियान 11 अक्टूबर से लेकर 17 अक्टूबर तक पूरे सप्ताह चलेगा। इसका आयोजन आरटीआई की 14वीं वर्षगांठ के रूप में किया जा रहा है, साथ ही इसका आयोजन आरटीआई बिल संशोधन के विरोध मे भी किया जा रहा है। आयोजन के समन्वयक सुभाष गर्ग बताते हैं यह अभियान बस्तियों, पार्कों, पीठों से लेकर कॉलेज तक चलाया जाएगा। इस आयोजन का मकसद हर वर्ग के लोगों को जागरूक करना है। हमने इस दौरान सूचना के अधिकार के 100 आवेदन करने का लक्ष्य रखा है।
यहां लग रहा है आरटीआई जमघट
अन्ना नगर बस्ती में लगाए गए आरटीआई जमघट के दौरान रामराव पाटिल ने पेयजल की समस्या का जिक्र किया और सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया। कृष्णा ने राशन कार्ड के लिये गए अभी तक के आवेदनों को लेकर कहा कि अभी तक मैं और हमारे जैसे साथी इतने आवेदन दे चुके हैं कि जिससे एक ट्रक भर जाए, लेकिन अभी तक हमारा राशन कार्ड नहीं बना है। बस्ती की ही पद्मा ने सड़क के लिए आवेदन लगवाया। बस्ती के युवाओं ने हाईस्कूल को लेकर आवेदन लगाया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में जनवरी 2018 में आवास के लिए आवेदन किया, पर आज तक कुछ नहीं मिला इसलिए सूचना का अधिकार का प्रयोग किया और जानकारी मांगी। वाहिद खान प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास से सम्बंधित जानकारी मांगी है। प्रहलाद गासी बीपीएल कार्ड में नाम जोड़ने के लिए कई बार आवेदन किया, पर नाम नहीं जुड़ा और घूस मांगते हैं, इसलिए सूचना का अधिकार का प्रयोग किया है।
छोटे लाल जरिया ने बिजली विभाग में बिल अत्यधिक आने के कारण से सम्बंधित सूचना के अधिकार का प्रयोग किया है। सुदीप यादव बीपीएल कार्ड में कई बार आवेदन करने पर भी नाम नहीं जुड़ा, इसलिए सूचना के अधिकार का प्रयोग किया। इसी अभियान से जुड़ी अंजुम बानो बताती हैं कि इस अभियान लक्ष्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों को सूचना के अधिकार से अवगत कराना है, साथ ही यह "आरटीआई लगाओ आरटीआई बचाओ राष्ट्रीय अभियान" का हिस्सा भी है।
सूचना का अधिकार
भारत में सूचना के अधिकार को 15 जून 2005 को इसे अधिनियमित किया गया। 12 अक्टूबर 2005 को संपूर्ण धाराओं के साथ इसे लागू कर दिया गया। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अनुसार सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। यह स्पष्ट है कि एक जानकार नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रखने के लिए बेहतर सक्षम है और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है। यह कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए एक बड़ा कदम है।
सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019
सूचना का अधिकार कानून, 2005 में आरटीआई एक्ट की धारा 13, 16 और 27 में संशोधन किया गया है। ये वो प्रावधान हैं जो आरटीआई आयुक्तों की नियुक्ति, कार्यकाल और उनका दर्ज़ा निर्धारित करते हैं। जिस पर अब सीधा सरकार का हस्तक्षेप होगा।
आरटीआई एक्टिविस्ट नितेश व्यास कहते हैं कि इससे सरकार की मंशा साफ नजर आती है कि सरकार लोगों से उनका अधिकार छीन रही है और सूचनाओं को लोगों से दूर रखना चाहते हैं। सीधे तौर पर इससे सूचना के अधिकार कमजोर किया गया है। साथ ही वे बताते हैं हर साल सूचना के अधिकार के तहत 60 लाख से ज्यादा आवेदन किये जाते हैं और हिंसक घटनाओं में 90 आरटीआई कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गवाई है।