पवार बोले, हमारा परिवार टूटने के दावे एक ऐसे व्यक्ति द्वारा किए जा रहे हैं जिसे परिवार क्या होता है, इसका नहीं है अनुभव तक...
जनज्वार। चुनावों का मौसम आते ही नेताओं का एक दूसरे पर जुबानी वार कुछ ज्यादा ही तेज हो जाता है। विपक्षी पार्टियों और विरोधी नेताओं पर तंज कसने का दौर इस बार भी जारी है। इस कड़ी में ताजा मामला जुड़ा है एनसीपी प्रमुख शरद पवार से।
पुणे में एक चुनावी सभा में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा प्रधानमंत्री मोदी वैसे तो ठीकठाक आदमी हैं, मगर चुनाव के दौरान उन्मादी हो जाते हैं। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत तौर पर किसी की आलोचना से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि तुम किसी की व्यक्तिगत आलोचना मत करो, क्योंकि यह जिम्मेदारी हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने संभाल रखी है। इसमें टांग अड़ाने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि इस बयान ने पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने उनके परिवार के सदस्यों के बीच विवाद के दावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था, हमारे परिवार पर ऐसे दावे एक ऐसे व्यक्ति द्वारा किए जा रहे हैं जिसे परिवार क्या होता है, इसका अनुभव तक नहीं है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक अप्रैल को वर्धा में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि शरद पवार का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर से नियंत्रण खोता जा रहा है, क्योंकि उनके परिवार में विवाद चल रहा है। अजीत पवार ने परिवार पर नियंत्रण कर लिया है।
इस पर शरद पवार ने कटाक्ष किया कि ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को बताना चाहूंगा कि हम भाई संस्कारी माहौल में पले बढ़े हैं और हमारी मां ने हमें मूल्य सिखाए हैं। विवाद कहां है? हम अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे हैं लेकिन एक साथ एक ही घर में रहते हैं। मेरा परिवार भरा पूरा है। कोई नहीं जानता कि उनके परिवार में कौन है। उन्हें दूसरे के घर के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।'
पवार ने मोदी का नाम लिए बगैर यह भी कहा कि वह ‘हर ऐरे-गैरे' की आलोचना की परवाह नहीं करते। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि एनसीपी नेता सो नहीं पा रहे हैं, क्योंकि उनकी नींद ‘दिल्ली के तिहाड़ में कैद है।'
इससे पहले अहमदनगर के शेवगांव में एक रैली को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा था कि मोदी पहले गांधी परिवार को ‘गालियां' देते थे और अब मुझे देते हैं।
इसी पर पलटकर पवार ने कहा था, ‘मैं हर ऐरे-गैरे की आलोचना पर ध्यान नहीं देता। इससे मुझे मुफ्त में प्रचार मिल रहा है। क्या मैं कोई आम आदमी हूं। मैं शिवाजी महाराज की भूमि से आया हूं, इसलिए ऐसे लुंग्यासुंग्या (ऐरे-गैरे) की आलोचना पर ध्यान नहीं देता।'