तिलाड़ी कांड की बरसी पर उठी मांग दमनकारी वन अधिनियम को रद्द करे मोदी सरकार

Update: 2019-06-02 04:28 GMT

प्रस्तावित कानून के बन जाने के बाद वन भूमि पर बसे 20 करोड़ वनवासियों व वनों पर निर्भर देश की आधी से भी अधिक आबादी का जीवन आ जाएगा संकट में, वनाधिकारियों को गोली मारने व बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार मिलने से फैलेगी अराजकता इसलिए कानून का का बनना आम लोगों के लिए खतरनाक...

रामनगर, उत्तराखण्ड। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अनुसूचित जाति पर्वतीय भूमिहीन शिल्पकार समिति सुन्दरखाल द्वारा 30 मई को तिलाड़ी के शहीदों को सभा कर श्रद्धांजलि दी गयी तथा केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वन अधिनियम को रद्द करने की मांग की गयी।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे देश की मोदी सरकार अंग्रेजों के बनाए वन कानून 1927 में बदलाव कर, इससे भी ज्यादा दमनकारी कानून, वन अधिनियम, 2019 लाने की तैयारी में है।

इस प्रस्तावित कानून के बन जाने के बाद वन भूमि पर बसे 20 करोड़ वनवासियों व वनों पर निर्भर देश की आधी से भी अधिक आबादी का जीवन संकट में आ जाएगा। इसमे वनाधिकारियों को गोली मारने व बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार देने की बात कही गयी है। अतः इस कानून का विरोध किया जाना चाहिए।

ग्रामीणों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा ने वनग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर बिजली, पानी, सड़क व ग्राम सभा चुनने का अधिकार देने का वादा किया था। अतः सरकार इस प्रस्तावित काले कानून को रद्द कर अपना वादा निभाये। ग्रामीणों ने दोटूक शब्दों में कहा कि जनता गद्दी पर बैठाना जानती है तो गद्दी से उतार भी सकती है।

वक्ताओं ने कहा कि 30 मई, 1930 का तिलाड़ी का ऐतिहासिक संघर्ष हम देशवासियों की गौरवशाली विरासत है। इस दिन वनों पर जनता के अधिकारों को कायम करने के लिये सैकड़ों लोग शहीद हो गये थे।

सभा को समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, वन पंचायत मोर्चा के तरुण जोशी, महिला एकता मंच कि ललिता रावत, प्रेम आर्य, मीनल तेपति, चंदनराम, डॉ. सदानंद, खुशाली राम व अजीत साहनी ने संबोधित किया।

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