2 लाख 14 हजार शिक्षकों को नहीं मिला 4 महीने से वेतन, योगी बोले झंडा लहराओगे तो जिंदगीभर रहोगे बेरोजगार

Update: 2019-04-17 07:11 GMT

उत्तर प्रदेश सरकार की घोषित न्यूनतम मजदूरी पर काम करते हैं शिक्षामित्र और अनुदेशकों को मिलता है इससे भी कम, वह भी नहीं मिला जब 4 महीनों से तो कर रहे हैं प्रदर्शन, लेकिन योगी ने धमकाया अगर झंडा लहराओगे तो रह जाओगे जिंदगीभर बेरोजगार, यह हाल तब है जबकि हो रहे हैं लोकसभा चुनाव, शिक्षामित्र-अनुदेशक बिगाड़ेंगे भाजपा का चुनावी गणित

अरविंद गिरि की रिपोर्ट

जनज्वार। सपा सरकार में शिक्षामित्र से शिक्षक बने लाखों शिक्षक भाजपा सरकार में फिर शिक्षामित्र बना दिए गये। एक साल पहले 17000 हजार रुपया दिए जाने की घोषणा करने के उपरांत भी उन्हें मात्र 8750 रुपए मानदेय दिए जा रहे हैं और वह भी पिछले 4 महीनों से नहीं मिल रहा है। योगी सरकार में शिक्षामित्रों—अनुदेशकों की हालत बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हैं। ऐसे शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की संख्या प्रदेशभर में लगभग 2,14,000 है।

कला, खेल और अन्य विषयों को माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले ठेका शिक्षक अनुदेशक कहलाते हैं और शिक्षामित्र प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में स्किल्ड लेबर की न्यूनतम मजदूरी 9957.49 पैसा है जबकि शिक्षामित्र 10 हजार रुपए पाते हैं और अनुदेशकों की सेलरी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन से भी कम 8750 रुपए है।

भाजपा प्रत्याशी को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं शिक्षामित्र

चुनाव आयोग की सहमति पर मतदानकर्मियों के रूप में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की भी चुनाव में ड्यूटी लग रही है। भाजपा से बुरी तरह खपा शिक्षामित्रों के बारे में कहा रहा है कि ये भाजपा प्रत्याशियों को हराने का महत्वपूर्ण काम करेंगे।

ऐसा इसलिए क्योंकि जहां प्रत्याशियों एवं पार्टी के असंतुष्टों को मनाने के लिए तमाम पार्टियां "साम-दाम-दण्ड-भेद" की नीति अपना कर वोट हासिल करने की नीति रच रहे हैं, वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और उनके मंत्री मतदाताओं एवं शिक्षामित्रों—अनुदेशकों को धमका रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीटीसी व शिक्षामित्रों की जनसभा में उन्हें खुलेआम धमकी दी। योगी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कराने के लिए शिक्षामित्रों ने जब अपना बैनर ऊंचा किया तो योगी ने मंच से ही उन्हें धमकी दे डाली कि बैनर नीचे करो, नहीं तो जिन्दगी भर बेरोजगार रह जाओगे। वहीं बड़ोदरा में भाजपा विधायक मधु श्रीवास्तव ने मंच से ही धमकी दे डाली कि अगर भाजपा को वोट नहीं दिया तो ठिकाने लगा देंगे।

सत्तासीन भाजपा सरकार के ऐसे रुख से शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों में खासी मायूसी छायी हुई है। उन्हें विश्वास था कि चुनावों के वक्त अपना वोट पक्के करने के लिए केंद्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा सरकार उनके लिए कुछ करेगी, मगर योगी द्वारा मंच से खुलेआम धमकी दिए जाने के ​बाद 1,72,800 शिक्षामित्र और 31,000 शिक्षा अनुदेशकों में खासी मायूसी छा गयी है।

उत्तर प्रदेश के शिक्षा अनुदेशक जिसमें बीएड एमए शिक्षित अनुदेशकों की संख्या खासी अधिक है, का मानदेय 8500 रुपए से बढ़ाकर 17000 रुपए करने का आदेश केंद्र की तरफ से जारी किया गया था, जिसे प्रदेश की योगी सरकार ने लागू नहीं किया। बढ़ी हुई सेलरी तो छोड़िए चार-चार पांच-पांच माह से इन सरकारी बंधुआ मजदूरों का वेतन भी नहीं दिया गया है। शिक्षामित्रों में नब्बे प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, इनमें भी सर्वाधिक ऐसी महिलाएं हैं जो किसी प्रकार 8500 रुपए में अपना परिवार चला रही थीं।

मानदेय न मिलने के कारण शिक्षामित्रों के परिवार भुखमरी के कगार पर खड़े हैं। शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों ने योगी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों एवं सांसदों का वेतन तो लाखों रुपए कर दिया गया है, मगर गरीबी रेखा से भी नीचे जीवन—यापन करने वाले शिक्षामित्रों को 8750 रुपए तक समय से नहीं दिया जा रहा।

हम बंधुआ मजदूरों की भांति ही रहेंगे, क्यों?

शिक्षामित्रों तथा शिक्षा अनुदेशकों जिन्होंने अपनी न्यायसंगत मांगों को लेकर जिलों से लेकर राजधानी तक में तमाम प्रर्दशन किये, उसके बदले सरकार की खाकी ने इन पर लाठियां भांजी। तमाम शिक्षामित्र और अनुदेशक आत्महत्या कर चुके हैं, मगर बावजूद इसके सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी।

भाजपा के घोषणापत्र में तक शिक्षामित्रों के किसी सवाल को जगह नहीं दी गई है और न ही इनका रोजगार सरकार के लिए कोई मुद्दा है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि इस लोकसभा चुनाव में शिक्षामित्र वेलफेयर अनुदेशक तथा उनके परिवार सरकार भाजपा प्रत्याशियों के विरुद्ध प्रचार एवं मतदान करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दो लाख से भी अधिक शिक्षामित्र वेलफेयर अनुदेशक भाजपा प्रत्याशियों के वोट का गणित बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

बीटीसी के प्रदेश सचिव फारूक अहमद कहते हैं, प्रदेश की येागी सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है, जिससे उम्र के इस पड़ाव में हम लोगों का जीवन अंधकारमय हो गया है। हम लोगों के लिए होली, ईद, दीवाली सब सूखे-सूखे हो गए हैं। हमारे काम का उचित दाम न देकर सरकार हमें सीधे जहर दे रही है।

Tags:    

Similar News