विश्विद्यालयी परीक्षाएं बिना स्ववित्तपोषित शिक्षकों के सम्भव नहीं....
गोरखपुर, जनज्वार। यूपी बोर्ड ने निर्देश दिया है कि 6 फरवरी 2018 से 10 मार्च 2018 तक होने वाले यूपी बोर्ड की नकलविहीन परीक्षाओं के लिये कक्ष निरीक्षक का कार्य सिर्फ वित्तपोषित शिक्षक ही करेंगे।
गोरखपुर जनपद के 424 विद्यालयों में सिर्फ 117 विद्यालय ही वित्तपोषित हैं, इन सबकी परीक्षा के लिये लगभग 5000 कक्ष निरीक्षकों की आवश्यकता पड़ेगी, जबकि गोरखपुर जनपद में तकरीबन 1600 वित्तपोषित शिक्षक ही कार्यरत हैं।
बाकी लगभग 3400 शिक्षकों के लिये पहले वह प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों से कार्य लेंगे, जिन पर पढ़ाने के अलावा पहले से पल्स पोलियो, जनगणना, चुनाव ड्यूटी, बाल गणना, शौचालय निर्माण और देखभाल, ड्रेस वितरण, मिड डे मील, जूता मोजा वितरण, स्वेटर वितरण आदि कार्य लदे रहते हैं।
द्वितीय वरीयता में वित्तविहीन (स्ववित्तपोषित) शिक्षकों से कक्ष निरीक्षक का कार्य लिया जाएगा। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय ने अपने 21 अशासकीय वित्तपोषित, 7 राजकीय महाविद्यालयों और लगभग 300 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के नकलविहीन परीक्षाओं के लिये जो अभी तक 144 परीक्षा केंद्र बनाए हैं, उनके लिये कक्ष निरीक्षकों, सहायक केन्द्राध्यक्षों, उड़ाका दलों आदि परीक्षा कार्यों के लिये शिक्षकों की जरूरत होगी। यूपी बोर्ड और विश्विद्यालय परीक्षाओं के नियमानुसार 20 विद्यार्थियों पर 1 कक्ष निरीक्षक अनिवार्य है।
विश्विद्यालय से लगायत अशासकीय और राजकीय महाविद्यालयों में कुल तकरीबन 500 के आसपास वित्तपोषित शिक्षक होंगे। इससे जाहिर है कि विश्विद्यालयी परीक्षाएं बिना स्ववित्तपोषित शिक्षकों के सम्भव नहीं हैं।
इस सबको देखते हुए स्ववित्तपोषित /वित्तविहीन महाविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन ने दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम लिखे पत्र में मांग की है कि कक्ष निरीक्षकों की लिस्ट के लिये उन सभी स्ववित्तपोषित शिक्षकों का आधार नम्बर, पैन नम्बर और बैंक खाते के साथ लिस्ट तैयार करा लें, क्योंकि कुलाधिपति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश एवं उच्च शिक्षा मंत्री के आदेश और विश्वविद्यालयों के बारंबार पत्राचार के बावजूद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों व स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों द्वारा अनुमोदित शिक्षकों का आधार सहित विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है।
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शिक्षक एसोसिएशन का कहना है कि सिर्फ केंद्र बदलने से नकल नहीं रुकेगी, क्योकि इससे तो सिर्फ भवन और बिल्डिंगें बदलेंगी। नकल रोकने के लिये कुशल मानवीय संशाधनों के साथ-साथ पारदर्शी, व्यावहारिक और जबावदेह कार्ययोजना, प्रारूप और रणनीति की जरूरत पड़ती है। शिक्षक एसोसिएशन का कहना है कि हमें उम्मीद है परीक्षा समिति द्वारा इस पर भी विचार किया जाएगा।