डेल्टा के हजारों मजदूर बीते जो आठ महीने से कारखाने को बंद होने से बचाने व अपने वेतन के लिये आंदोलनरत हैं, कहते हैं कारखाना मालिक तो उनकी बात सुन नहीं रहा, राज्य व केन्द्र सरकार भी उनके साथ बेगाने जैसा व्यवहार करने पर हैं आमादा....
रामनगर से सलीम मलिक की रिपोर्ट
जनज्वार। रामनगर-काशीपुर रोड पर स्थित इलैक्ट्रानिक कारखाने ‘डेल्टा इलैक्ट्रॉनिक्स’ के हजारों मजदूरों ने इस लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। यह मजदूर बीते आठ महीने से कारखाने को बंद होने से बचाने व अपने वेतन के लिये आंदोलनरत हैं।
अपनी मांग के बारे में किसी स्तर पर कोई सुनवाई न होने के कारण उन्होंने लोकतंत्र के इस महापर्व से दूर रहने का निर्णय ले लिया है। श्रमिकों का आरोप है कि कारखाना मालिक तो उनकी बात सुन ही नहीं रहा है, राज्य व केन्द्र सरकार भी उनके साथ बेगाने जैसा व्यवहार करने पर आमादा हैं।
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सोमवार 1 अप्रैल को हल्दुआ में कारखाने के सामने ही आयोजित बैठक के दौरान मजदूरों ने चुनाव बहिष्कार की रणनीति पर बात की। बैठक में बोलते हुए श्रमिक नेता मदन कुमार ने कहा कि केन्द्र पर राज्य सरकार मजदूर के हितों पर खुलकर हमला कर रही हैं। डेल्टा के संघर्ष को लड़ते हुए यहां के मजदूरों ने साफ देखा कि चुनाव जीतने के बाद चाहे विधायक हो या फिर मुख्यमंत्री, यह सभी मजदूरों के हितों के खिलाफ काम करते हैं।
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डेल्टा के श्रमिक अपनी मांगों को लेकर बीते आठ माह से आंदोलन कर रहे हैं। श्रमिकों को कई माह से वेतन भी नहीं मिला है। कई बार श्रमिक विधायक को अपनी समस्या के बारे में बता चुके हैं, लेकिन समस्या के समाधान के नाम पर रामनगर क्षेत्र के विधायक भी मजदूरों के नाम पर चुप्पी साधे रहे हैं। कपिल गुप्ता जैसे छोटे से पूंजीपति के सामने उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार असहाय नजर आ रही है।
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पिछले कई महीनों से मजदूरों का वेतन न देने और अवैधानिक रूप से फैक्टरी बंद रखने वाले कपिल गुप्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। फैक्टरी मालिक ने हजारों मजदूरों के पेट पर लात मारकर उन्हें सड़क पर धकेल दिया है, ऐसे में आगामी 11 अप्रैल को डेल्टा के मजदूर अपने परिवार के सदस्यों के साथ चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
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इसके लिये श्रमिक आज दो अप्रैल से क्षेत्रों में डेल्टा के मजदूरों के बीच प्रचार अभियान चलायेंगे। बैठक के दौरान चम्पा देवी, अंजू, ममता देवी, भावना, उमेर मोहम्मद, संदीप, कुंती देवी, मीना देवी, तनुजा, जानकी देवी, शीला देवी, पंकज सहित सैकड़ों श्रमिक मौजूद थे।