यूपी में मोदी की मिट्टी पलीद हो जाती अगर कांग्रेस और महागठबंधन नहीं फैलाते कन्फ्यूजन

Update: 2019-03-30 13:35 GMT

मतदाताओं का मिजाज बताता है यूपी में सपा-बसपा गठबंधन होने से मोदी के लिए थोड़ी चुनौती तो है, लेकिन फिर भी भाजपा कई मुद्दों पर फ्रंट पर है...

इलाहाबाद से सुशील मानव की ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद और फूलपुर संसदीय सीट बहुत ही महत्वपूर्ण है। पटेल बाहुल्य सीट होने के चलते दोनों ही सीटों पर कुर्मी समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है। जबकि फूलपुर सीट पर मुस्लिम मतदाता भी लगभग दो लाख के करीब हैं। हमने दोनों ही सीटों के पटेल और मुस्लिम वोटरों से विभिन्न मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया ली।

कन्हैया कुमार कौन है, गाँव की अधिसंख्यक आबादी नहीं जानती। गांव की युवा पीढ़ी भी कन्हैया को नहीं जानती, जेएनयू का नाम उन्होंने सुना है। शहरों में रहकर पढ़ाई करने वाले लोग कन्हैया को जानते हैं, लेकिन बस उतना ही जितना गोदी मीडिया ने उन्हें बताया है।

राजेश कुमार पटेल पेशे से अध्यापक हैं और साढ़े तीन हजार के मासिक वेतन पर एक निजी स्कूल में पढ़ाते हैं। 2014 लोकसभा और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी को वोट दिया था। कन्हैया के बार में पूछने पर राजेश कुमार बताते हैं कि हां वो कन्हैया को जानते हैं। उसके कई स्पीच उन्होंने यूट्यूब पर सुने हैं। राजेश कन्हैया की तारीफ करते हुए कहते हैं वो दूसरे नेताओं से अलग, अच्छा वाजिब और तर्कसंगत बातें बोलता है।

वो बताते हैं कि कन्हैया कुमार को फर्जी तरीके से फंसाया गया था। जब मैंने उनसे कहा कि कन्हैया बिहार के बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा के फायरब्रांड राष्ट्रवादी भाजपा नेता गिरिराज सिंह बेगूसराय से मैदान छोड़कर भाग रहे हैं। आखिर एक हिंदू राष्ट्रवादी कथित राष्ट्रद्रोही को लोकतांत्रिक तरीके से सामना क्यों नहीं करना चाहता है? इस पर वो मुस्कुरा देते हैं।

गौरतलब है कि अपना दल (कथित तौर पर कुर्मी समुदाय की पार्टी) एनडीए का हिस्सा रही है, जबकि विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल में दोफाड़ हो गया है। अपना दल एस (अनुप्रिया पटेल खेमा) भाजपा के साथ है, जबकि अपना दल कृष्णा पटेल (कृष्णा पटेल खेमा) ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। कृष्णा पटेल की छोटी बेटी पल्लवी ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राजेश पटेल के गांव में एक मीटिंग में लोगों को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की थी और उनसे भाजपा को वोट न देने की अपील की थी। राजेश बताते हैं कि पटेल समुदाय इस बार कन्फ्यूज है कि वो भाजपा के साथ जाए या कांग्रेस के साथ।

सपा—बसपा गठबंधन होने और कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारने के बाद मुस्लिम मतदाता भी पशोपेश में है। फाइलेरिया के मरीज मुमताज़ अहमद की फूलपुर में कपड़ों की दुकान है। उनके बड़े बेटे शहजाद पिता के साथ दुकान का काम सम्हालते हैं। सरकार और राजनीति पर हमसे बातचीत करते हुए मुमताज़ अहमद और शहजाद तनिक भी सहज़ नहीं दिखे। पेशे से दर्जी असलम बताते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से मुस्लिम मतदाता कन्फ्यूज हैं कि वो गठबंधन के साथ जाएं या कांग्रेस के साथ। वो कहते हैं कि गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल होना चाहिए था।

विकास इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में परास्नातक के छात्र हैं और कंप्टीशन की तैयारी कर रहे हैं। वो बताते हैं छात्र समुदाय मोदी के पांच साल के कार्यकाल से नाखुश हैं। अबकि बार किस दल या नेता को समर्थन कर रह हो? इस बात पर वो मुस्कुरा देते हैं।

जयप्रकाश पटेल लघु किसान हैं और इफ्को कंपनी में मजदूरी करते हैं। कंपनी में दो महीने के काम के बाद एक महीने की बैठकी रहती है। जय प्रकाश बताते हैं कि योगी सरकार ने कुछ बेहद गलत कदम उठाए हैं और उसका खामियाजा मोदी सरकार को भुगतना पड़ेगा। जयप्रकाश बताते हैं सरकार की आलोचना करने पर 6-7 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। ये एक बेहद गलत निर्णय है।

आखिर सरकारी कर्मचारियों को अपनी राय रखने और सरकार की नीतियों पर राय रखने का अधिकार क्यों नहीं है। जयप्रकाश बताते हैं कि योगी सरकार की गलत नीति के चलते पिछले दो साल से किसान खेतों में कुछ नहीं उगा पा रहे हैं और वो सरकार से नाराज़ हैं। आपको वोट किसे जाएगा, इस बात पर वो दोटूक कहते हैं – बेशक़ मोदी को।

अरुणेश रमण पांडेय पेशे से प्राइवेट शिक्षक हैं, वो और उनके परिवार के कई लोग आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। अरुणेश बताते हैं कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन होने से मोदी के लिए तनिक चुनौती तो है, लेकिन फिर भी भाजपा कई मुद्दों पर फ्रंट पर है। दूसरी बात ये कि गठबंधन सिर्फ यूपी में हुआ है अन्य राज्यों में नहीं। अरुणेश कन्हैया के खिलाफ़ बेगूसराय में गिरिराज सिंह के मैदान छोड़कर भागने के प्रश्न पर चुप्पी साध लेते हैं।

प्रतापगढ़ के राजेंद्र प्रसाद तिवारी पेशे से लघु किसान हैं, पर मिज़ाज से पूरे सामंतवादी। वो बताते हैं कि अभी उनके क्षेत्र में प्रत्याशी घोषित नहीं किये गए हैं लेकिन हवा मोदी के पक्ष में है। प्रतापगढ़ के किसान गाय और सांड़ों से त्रस्त हैं और सरकार से गुस्सा हैं ये कहने पर वो भड़कते हुए कहते हैं जो समझदार है वो गुस्सा नहीं हैं।

वो बताते हैं कि ये सब विपक्षी नेताओं की चाल है। गाय सांड छोड़ने वाले अहीर और हरिजन हैं जोकि सपा और बसपा के वोटर हैं। राजेंद्र प्रसाद मायावती के खिलाफ़ बयान देते हुए कहते हैं मुलायम ने उनके कपड़े फाड़े थे फिर वो अखिलेश के साथ क्यों गठबंधन कर रही हैं। ये चाहे जितना भी कर लें, मोदी के आगे नहीं टिकने वाले हैं। वो बताते हैं पाकिस्तान का करारा जवाब दिया गया है। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है जो मोदी ने किया है। मुसलमान अब खामोश और दहशत में हैं। ये सब मोदी की ही तो देन है।

वहीं बिगहियां फूलपुर के रमाशंकर तिवारी कहते हैं कि अबकि बार मोदी की माटी पलीद हो जाएगी। 60-70 प्रतिशत ब्राहमण वोटर भाजपा के खिलाफ़ वोट करने जा रहा है, जबकि 30-40 प्रतिशत ब्राह्मण अभी भ्रमित है। हालांकि वो भी सरकार के काम से खुश नहीं है।

एसएससी को कोचिंग कर रही छात्रा निशिता कहती हैं कि कोई भी समझदार और संवेदशील स्त्री और लड़कियां भाजपा को वोट देने की बेवकूफी नहीं करेगी। क्योंकि मोदी सरकार में औरतें और लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित रही हैं। छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार हुए हैं। बलात्कारियों में कई भाजपा नेताओं के नाम आए थे। हरियाणा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का बेटे द्वारा लड़की का पीछा करने का वीडियो पूरे देश ने देखा है।

योगी सरकार ने तो भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बचाने का पूरा जतन किया था। वहीं बलात्कारी बाबा चिन्मयानंद से छात्रा से बलात्कार का मुकदमा ही वापिस लेकर बलात्कारियों का मनोबल ही बढ़ाया था। कितना कुछ सहकर तो एक लड़की किसी बलात्कारी के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है।

ये सरकार बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दे को भी हिंदू-मुस्लिम में डिवाइड करके बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकालती है। स्कूल कॉलेज की लड़कियों के पीछे रोमियो स्क्वॉड के गुंडे भेजकर उन्हें मारा-पीटा और बेइज्ज़त किया गया। लव-जेहाद का जिन्न पैदा करके हमें घरों में वापिस कैद करने की साजिश रची गई।

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