योगीराज में बढ़ते एनकाउंटर कानून और मानवाधिकारों के लिए चिंताजनक, माले ने उठायी गाजीपुर और उन्नाव एनकाउंटर की जांच की मांग
योगी सरकार फर्जी एनकाउंटरों के लिए कुख्यात हो गई है, बेलगाम 'ठोक दो' की नीति चल रही है। प्रदेश में कानून का राज नहीं, बल्कि एनकाउंटर राज चल रहा है...
लखनऊ। यूपी में बढ़ते एनकाउंटरों के खिलाफ विपक्ष लगातार आवाज उठा रहा है। अब भाकपा (माले) ने बयान जारी कर कहा है कि बढ़ते एनकाउंटर के मामले कानून के राज व मानवाधिकारों के लिए चिंताजनक हैं। पार्टी ने गाजीपुर व उन्नाव में सोमवार 23 सितंबर को हुए दो एनकाउंटरों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि यूपी एसटीएफ ने सुल्तानपुर सराफा डकैती के आरोपी अनुज सिंह का उन्नाव में एनकाउंटर किया था। उन्नाव डीएम ने इसकी मजिस्ट्रेटी जांच की घोषणा की है, जो अपर्याप्त है।
दूसरी घटना में एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिल कर गाजीपुर जिले के दिलदारनगर थानाक्षेत्र में मोहम्मद जाहिद उर्फ सोनू को ढेर किया। पुलिस के अनुसार बिहार में पटना के फुलवारी के रहने वाले सोनू पर ट्रेन में दो सिपाहियों की हत्या का आरोप था, जबकि गाजीपुर में उसके परिजनों के अनुसार पुलिस जाहिद को दो दिन पहले पकड़ कर ले गई थी। गांव वालों के अनुसार जाहिद आलू-प्याज का व्यवसाय करता था और उससे परिवार का खर्च चलता था। पटना से लेकर गाजीपुर तक उसकी कोई ऐसी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी, जिससे कि उसका एनकाउंटर कर दिया जाए। जाहिद के मामा का आरोप है कि मुसलमान होने के कारण उसे मार दिया गया।
माले नेता ने कहा कि योगी सरकार फर्जी एनकाउंटरों के लिए कुख्यात हो गई है। बेलगाम 'ठोक दो' की नीति चल रही है। प्रदेश में कानून का राज नहीं, बल्कि एनकाउंटर राज चल रहा है। गत लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार और बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के निर्देश से योगी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी अपराध के आरोपी भर होने से उसकी संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता।
राज्य सचिव ने कहा कि यही बात एनकाउंटरों के लिए भी लागू होनी चाहिए कि महज आरोपी होने पर, चाहे कितने भी संगीन आरोप क्यों न हों, एनकाउंटर में हत्या नहीं की जा सकती है। किसी भी आरोपी को सजा देने के लिए देश में न्याय व्यवस्था है, लेकिन कौन जिंदा रहेगा और कौन नहीं, यह पुलिस तय कर रही है। हर एनकाउंटर में आत्मरक्षा में गोली चलाकर बच निकलने की कोशिश करती है। यह कार्यपालिका के न्यायपालिका पर हावी होने की कोशिश है। एनकाउंटरों में हत्या को सरकार उपलब्धि के रूप में गिनाती है और खुद की थपथपाती है। यह संवैधानिक लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।