Bihar News: 4 साल की बच्ची से रेप और हत्या के आरोपी को पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग बता रिहाई का दिया आदेश

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में आरोपित को बरी करना न्याय संगत हैं...

Update: 2021-10-22 11:35 GMT

(हाई कोर्ट ने 4 वर्ष की बच्ची से रेप और हत्या मामले में दोषी को नाबालिग बताकर रिहा करने का आदेश दिया) PC: NT

Bihar News: बिहार के पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में 4 साल की बच्ची के साथ नाबालिग द्वारा रेप और हत्या मामले की सुनवाई हुई। पटना हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म फिर हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने पीड़ित बच्ची के माता- पिता को दस लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने सीवान जिला के बिहार विविक सेवा प्राधिकार को तीस दिनों के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी आरोपी को यह कहकर बरी करने का आदेश दिया कि वह घटना के वक्त नाबालिग (Juvenile) था।

मामला सीवान जिला के बड़हरिया थाना क्षेत्र का है। साल 2018 में इस क्षेत्र की 4 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या किये जाने के आरोप में नाबालिग के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कराई गई थी।। पुलिस अनुसंधान के बाद सीवान की निचली अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए 24 अप्रैल 2019 को मौत की सजा सुनाई थी। आरोपी ने खुद को नाबालिग घोषित करने के लिए निचली अदालत में एक अर्जी दी थी, लेकिन उस अर्जी को खारिज कर दी गई। आरोपी की सजा की पुष्टि के लिए केस का सारा रिकॉर्ड पटना हाईकोर्ट भेज दिया गया।

हाईकोर्ट ने मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने आरोपी की उम्र जांच की। बोर्ड ने अपने रिपोर्ट में माना कि गत 3 अगस्त को जांच के दिन आरोपी की उम्र 19-20 साल है। हालांकि, रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन आरोपी 17 वर्ष एक माह 8 दिन का था। कोर्ट ने माना कि बच्ची से रेप के वक्त आरोपी 16 वर्ष से ज्यादा और 18 वर्ष से कम का था। ऐसे में घटना के दिन आरोपी नाबालिग था। हाईकोर्ट ने कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता है। पटना हाईकोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को अविलम्ब जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया।

इसी के साथ, कोर्ट ने चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपित को मिली मृत्यु दंड की सजा को भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में आरोपित को बरी करना न्याय संगत हैं। हाईकोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलो में पीड़िता को मुआवजा देने का प्रावधान है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों को पीड़ित को मुआवजा देने के लिए अलग से फंड सृजत करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार विक्टिम कंपन्सेसन स्कीम बनाई है। इसके तहत पीड़िता को मुआवजा तथा पुनर्वास का प्रावधान है।

निर्भया कांड के बाद पास हुआ जुवेनाइल बिल

दिल्ली में निर्भया बलात्कार (Nirbhaya Rape Kand) मामला किसे याद नहीं होगा। 16 दिसंबर 2012 को हइ इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। कई दिनों तक जिंदगी से जंग के बाद 29 दिसंबर को निर्भया ने दम तोड़ दिया। निर्भया से रेप मामले में शामिल 6 आरोपियों में एक आरोपी नाबालिग था। नाबालिग आरोपी को जुवेलाइल जस्टिस के तहत सजा हुई। बाल सुधार गृह में 3 साल बिताने के बाद 20 दिसंबर 2015 को उसे रिहाई मिल गई।

लेकिन इस मामले के बाद रेप जैसे जघन्य अपराधों में दोषी को नाबालिग कहकर छोड़े जाने पर सवाल उठने लगे। निर्भया मामले के बाद देश में बलात्कार की परिभाषा में काफी बदलाव हुए। निर्भया कांड के बाद पार्लियामेंट में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ, जिसमें बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे क्रूरतम अपराधों में 16 से 18 साल के नाबालिग आरोपियों पर भी वयस्क कानून के तहत आम अदालतों में केस चलता है। नए कानून के तहत 16 से 18 साल के नाबालिग को इन अपराधों के लिए बाल संरक्षण गृह में रखा जाने की बजाए सजा हो सकती है।

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