Phoolan Devi Death Anniversary: वीरांगना फूलन देवी, जिसने बलात्कार का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों की जान ले ली, जानिए संघर्ष की कहानी

Phoolan Devi Death Anniversary: वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को पिता देवीदीन, माता मुला देवी के यहां गांव- घूरा क पुरवा (गोरहा), जालौन, उत्तर प्रदेश में एक वंचित परिवार में हुआ, छः भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर थी फूलन देवी,11वर्ष की उम्र में अधेड़ उम्र के व्यक्ति पुत्तीलाल से विवाह हुआ

Update: 2022-07-25 08:17 GMT

Phoolan Devi Death Anniversary: वीरांगना फूलन देवी, जिसने बलात्कार का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों की जान ले ली, जानिए संघर्ष की कहानी

डकैत से राजनेता बनीं फूलन देवी को उनकी बरसी पर याद कर रहे हैं ट्रेड यूनियन नेता कमल उसरी

Phoolan Devi Death Anniversary: आज से लगभग 27 वर्ष पहले हम अपने गाँव वाले घर के सामने खड़े थे। कि अचानक एक मोटरकार आ कर सड़क पर खड़ी हुई। उसमें से हमारे यहां की संसद वीरांगना फूलन देवी एक वर्दी व एक बिना वर्दी वाले सिक्युरिटी गार्ड के साथ कार से बाहर निकली मैं उनका अभिवादन कर पाता कि वो अपनी निश्छल हँसी के साथ अभिवादन में हाथ हिलाते हुए एकदम पास आ गई और बोली सब ठीक है न। मैंने हां में गर्दन हिलाई और वो बोली बिंद बस्ती में जा रही हूँ वहां एक कार्यक्रम है। और उसी तरह मुस्कुराते हुए गाड़ी में बैठी चली गई।

इतनी ममतामयी तरीके से जो उन्होंने पूछा था उससे मेरी आँखें भर आईं थी। क्योंकि इसी वर्ष पिताजी हमेशा के लिए हम सब को छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे। हम लोग फूलन देवी के जीवन पर बनी फ़िल्म बैडिड क्वीन अब तक नहीं देख पाए थे। उनके बारे में लोकगायक रामदेव यादव व काशी बिल्लू यादव के गाए फूलन देवी पर बिरहा खूब सुने थे। जिसका एक मशहूर टेर था। "फूलन गोलीया चलावयई मरद बनी के"- फूलन देवी के बारे हमारे पड़ोसी गांव के रहने वाले पुलिस इंस्पेक्टर ध्रुव लाल यादव जब कभी गांव आते थे तो फूलन देवी के क़िस्से सुनाते थे, क्योंकि वो फूलन देवी के गांव के इलाके के थाने कालपी में कई वर्ष तैनात रहे थे। (जो अब शहीद हो चुके हैं।)

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फूलन देवी की जो बहुत ही मजबूत बहादुराना छवि हम लोगों के दिमाग में बचपन से बनी रही थी। उनके चुनाव प्रचार के दौरान हमें कई बार उनको देखने सुनने का मौका मिला तो वो इतनी सरल और सहज होंगी इसका अंदाजा हम लोगों को कभी भी नही था। आज उनके शहादत दिवस पर जब मैं उन्हें याद कर रहा हूँ। तब देख रहा हूँ पूरे देश में वंचित समाज की बहन बेटियों का मान सम्मान खुलेआम नीलम किया जा रहा है। हाथरस, ऊना, उन्नाव, प्रयागराज, देवरिया, लखीमपुर खीरी, बाँदा हर जगह बेटियां नोची घासोटी जा रही है। कुकर्मी जेल से बाहर है या पैरोल पर घूम रहे है। तब और भी फूलन देवी की याद आ रही है।

वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को पिता देवीदीन। माता मुला देवी के यहां गांव- घूरा क पुरवा (गोरहा), जालौन, उत्तर प्रदेश में एक वंचित परिवार में हुआ। छः भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर थी फूलन देवी, 11वर्ष की उम्र में अधेड़ उम्र के व्यक्ति पुत्तीलाल से विवाह हुआ। पति द्वारा शारीरिक शोषण के बाद बीमारी की हालात में भागकर वापस माता पिता के पास आ गयीं।

चाचा द्वारा पिता की जमीन पर जबर्दस्ती विवाद की खिलाफत करने पर चचेरे भाई द्वारा 17 वर्ष की उम्र में पुलिस थाने में बंद करवा दिया गया, जहाँ पुलिस द्वारा शारीरिक शोषण किया गया। थाने से घर आने पर पुनः चचेरे भाई और चाचा के अन्याय के खिलाफ विरोध करती रही तो चाचा ने बाबू गुज्जर डैकत से मिलकर 1979 में फूलन देवी का अपहरण करवाकर बीहड़ पहुचा देता है।

बीहड़ में बाबू गुज्जर फूलन देवी का लगातार शारीरिक शोषण करता है, जिसे देखकर उसी गैंग में शामिल विक्रम मल्लाह बाबू गुज्जर को जान से मार देता है और गैंग का सरदार बन जाता है। गैंग के मुख्य सरदार बाबू गुज्जर की मौत से गुस्साए श्रीराम ठाकुर और लाला राम ठाकुर धोखे से विक्रम मल्लाह को मार देते है और फूलन देवी को बंधक बनाकर 1980 में बेहमई गांव लाते हैं।

फूलन को एक कमरे में भूखे प्यासे बंद कर देते हैं। यहां उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म होता है। मौजूद सभी ने बारी-बारी से उसके जिस्म को जानवरों की तरह नोचते हैं। उसके साथ हो रहे दुष्कर्म और दी जा रही यात्नाओं की जानकारी उनके रिश्तेदार माधव को मिलती है। तो वे छुपते- छुपाते मौके पर पहुंचकर और फूलन को वहां से बचाकर ले बीहड़ ले जाते हैं।

बीहड़ में पहुचने पर फूलन देवी, बाबा मुस्तकीम के सहयोग से अपने साथी मान सिंह और अन्य अपने पुराने साथियों को इकट्ठा करके गिरोह का खुद सरदार बनती है। महज़ 18 वर्ष की उम्र में 14 फ़रवरी 1981 को बेहमई गांव के 22 लोगों एक साथ खड़ा करके मरवा देती है। बेहमई कांड से नई दिल्ली में संसद और मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं में तूफ़ान मच जाता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह यादव तात्कालिक मुख्यमंत्री वीपी सिंह से इस्तीफा माँगते हैं और वीपी सिंह सौ दिन में दस्यु उन्मूलन करने की घोषणा करते हैं। लेकिन दस्यु उन्मूलन न कर पाने कारण वीपी सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं। इंदिरा गांधी के अपील और भिंड के एस पी राजेन्द्र चतुर्वेदी और प्रसिद्ध लेखक कल्याण मुखर्जी के अथक प्रयास से अपनी चार शर्तों पर

1- मध्यप्रदेश प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण

2-अपने किसी भी साथी को 'सज़ा ए मौत' न देने का आग्रह

3- आत्मसमर्पण कर रहे सभी को जमीन के पट्टे दिए जाय

4- आठ वर्ष से अधिक जेल में न रखा जाय

उपरोक्त शर्तोंनुसार 13 फ़रवरी 1983 को भिंड में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने तीन सौ पुलिस और दस हजार जनता और अपने पूरे परिवार की उपस्थिति में रायफल उठाकर जनता का अभिवादन करते हुए आत्मसमपर्ण कर देती है। फूलन देवी पर 22 हत्या, 30 लूटपाट, 18 अपहरण के मुकदमे दर्ज थे, लेकिन ग्वालियर केंद्रीय जेल में 11 वर्ष बिना किसी मुकदमे का सामना किए जेल में बंद रही।

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इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने 1993 में फूलन देवी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर दी औऱ 1994 में फूलन देवी को जेल से छूटने के बाद डॉ राम दास द्वारा स्थापित पेटृली मक्कल काची संस्था द्वारा शराब निषेध और महिला अश्लीलता साहित्य के सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है। जहां से उनकी सार्वजनिक रूप से कार्यक्रमों में भागीदारी की शुरुआत होती है।

15 फ़रवरी 1995 उम्मेद सिंह से विवाह किया और इसी वर्ष हिंदू धर्म त्याग कर नागपुर के प्रसिद्ध दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गई। समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर मिर्जापुर-भदोही से ग्यारवीं लोक सभा 1996 में जीती। बारहवीं लोकसभा का चुनाव 1998 में हार गई और पुनः तेरहवीं लोकसभा वही से उसी चुनाव चिह्न पर 1999 जीत गई।

25 जुलाई 2001 को रूड़की निवासी पंकज सिंह ऊर्फ़ शेर सिंह राणा फूलन देवी से मिलने आया और कहा कि हम 'एकलव्य सेना' संगठन से जुड़ना चाहते हैं। खीर खाईऔर फिर घर के गेट पर फूलन देवी को गोली मार दी। फ़िर अपने बयान में बोला कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने पंकज सिंह उर्फ़ शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

वीरांगना फूलन देवी कुल जमा 38 वर्ष की उम्र में दुनियाभर में चर्चित हो गई। कम उम्र में शादी, बीहड़ में केवल चार वर्ष, जेल में ग्यारह वर्ष, राजनीतिक व सामाजिक जीवन केवल पांच वर्ष रहा लेकिन इतने कम समय में समय में सामाजिक न्याय के उस दौर सभी नायकों के साथ गहरे और बहुत ही जीवंत रिश्ते बन गए थे।

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