Republic Day 2022: इस गणतंत्र जाने कौन है भारतीय संविधान का रक्षक
Republic Day 2022: हमारे हिंदुस्तान में हर साल 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल हम अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा हैं। इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो साल 1947 में जब देश को ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता मिली तब उसके पास अपना कोई संविधान नहीं था।
हिमांशु जोशी की टिप्पणी
Republic Day 2022: हमारे हिंदुस्तान में हर साल 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल हम अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा हैं। इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो साल 1947 में जब देश को ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता मिली तब उसके पास अपना कोई संविधान नहीं था। 26 जनवरी 1950 को भारत को अपना संविधान मिला और भारत एक संप्रभु राज्य बन गया, जिसे गणतंत्र घोषित किया गया। डॉ बीआर अंबेडकर ने संविधान की मसौदा समिति की अध्यक्षता करी थी।
जानें क्या होता है संविधान
विकिपीडिया को पढ़ें तो समझ में आता है कि संविधान ( 'सम्' + 'विधान' ), मूल सिद्धान्तों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ दस्तावेज है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है, उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है। यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है ।
सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए, यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है।
भारत में कौन है संविधान का रक्षक
भारत के उच्चतम न्यायालय को संविधान का रक्षक कहा जाता है तथा समय-समय पर उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान की रक्षा की गई है। संवैधानिक व्यवस्था के माध्यम से ही उच्चतम न्यायालय को इतना महत्व और इतनी शक्तियां दी गई हैं। संविधान के अनुच्छेद 124 के अंतर्गत भारत के उच्चतम न्यायालय के स्थापना का उपबंध किया गया है। भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए कुछ ऐसे निर्णय जिन्होंने संविधान की रक्षा करी
यूनियन ऑफ इंडिया बनाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स - सार्वजनिक पदाधिकारियों और पद के उम्मीदवारों के बारे में जानने का अधिकार। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत सार्वजनिक पदों के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानने का अधिकार भी शामिल है।
न्यायमूर्ति केएस पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ - क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से भारत के संविधान के भाग 3 के अनुसार एक मौलिक अधिकार के रूप में निजता का अधिकार माना।
बिजो इमैनुएल बनाम केरल राज्य मामला - क्या बच्चों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करना उनके धर्म के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अनुच्छेद 19 के तहत मौन का अधिकार मौलिक अधिकार का हिस्सा है
संवैधानिक शिक्षा हो अनिवार्य
संविधान से राष्ट्र को ऊर्जा मिलती है और इस समय हमारे गणतंत्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती संवैधानिक निरक्षरता के रूप में सामने आई है। संवैधानिक निरक्षरता के कारण ही लोग अपने अधिकारों की बातें तो करते है लेकिन नागरिक कर्तव्यों की बातें नहीं होतीं। अगर संविधान के बारे में जानकारी नही होगी तो उसके अनुदेशों का पालन होना भी मुश्किल है इसलिए यह जरूरी है कि देश में संवैधानिक शिक्षा अनिवार्य हो।