RSS का जातिगत अस्मिता की राजनीति को हिंदू अस्मिता में बदलने का प्रोजेक्ट UP में कांग्रेस को बिठा देगा राजनीतिक विपक्ष की कुर्सी पर

बीजेपी जिस फोल्ड में राजनीति करती है वह किसी को इतना मौका नहीं दे सकती कि वह जातिगत अस्मिता के खेल के नाम पर संघ को ब्लैकमेल करे....

Update: 2022-12-29 15:23 GMT

प्रतीकात्मक फोटो

हरेराम मिश्र की टिप्पणी

UP में जातिगत अस्मिता की राजनीति को फिलहाल आरएसएस बहुत आक्रामक तरीके से 'हिंदू अस्मिता' में विलीन करने में लगा हुआ है. गुजरात में आरएसएस ने इसका प्रयोग बहुत सफलतापूर्वक किया है. वहां जाति पर हिन्दू चेतना हावी है.

जैसे ही जातिगत चेतना की यह राजनीति हिंदू चेतना में समाहित होगी उसी समय सपा, बसपा, सुभासपा जैसे दल न केवल अप्रासंगिक हो जाएँगे, बल्कि सियासी बहस से नदारद हो जाएँगे.

जातिगत अस्मिता की यह राजनीति जैसे ही कमजोर होगी, इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा. यह भले विपक्ष के बतौर ही रहे, लेकिन बहुत मजबूत विपक्ष बन कर उभरेगी. इसका फायदा जनता को उसके बुनियादी सवालों पर बहस के बतौर राजनीति में स्पष्टतया दिखाई पड़ेगा.

और इससे, एक बार फिर आजादी के आंदोलन के दौरान जो सपने देखे गए थे, उन पर फिर से सार्वभौमिक रूप से बात शुरू हो जाएगी. सारी बहस संघ के हिंदू राष्ट्र बनाम आईडिया ऑफ़ इंडिया पर केंद्रित रहेगी. नकली बहसें कब्र मे दफन हो जाएँगी.

मेरे कहने का मतलब यह है कि आरएसएस का जातिगत अस्मिता की राजनीति को हिंदू अस्मिता में बदलने का प्रोजेक्ट कम से कम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को राजनीतिक विपक्ष की कुर्सी पर बिठा देगा.

असल में, बीजेपी जिस फोल्ड में राजनीति करती है वह किसी को इतना मौका नहीं दे सकती कि वह जातिगत अस्मिता के खेल के नाम पर संघ को ब्लैकमेल करे.

चीजें उसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं. थोड़ा वक्त भले लगे, लेकिन जैसे ही RSS का यह प्रोजेक्ट कामयाब होगा सपा, बसपा राजभर जैसे दल अपने आप निपट जाएंगे.

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