'जिंदा की सुनवाई नहीं हो रही, मरने के बाद ही कोई सुन ले' कहकर किसान ने खाया जहर, इलाज के दौरान मौत

जहर खाने का कारण बताते हुए कहा कि दो महीने से किसान यहां बैठे हैं। जिंदा किसानों की कोई सुनवाई नहीं हो रही, हो सकता है मरने के बाद ही कोई सुन ले। इसलिए मैंने सुसाइड करने की कोशिश की है। मैं आपसे यही रिक्वेस्ट करता हूं कि मेरा शरीर पूरा होने दो...

Update: 2021-01-20 05:46 GMT

जनज्वार। लगभग 2 महीने से नये कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का व्यापक आंदोलन जारी है। इस बीच आंदोलन में बैठे अनेक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आत्महत्या का कारण भी यही है कि मोदी सरकार किसान विरोधी बिलों को उन पर लाद रही है, जिससे वो बर्बाद हो जायेंगे।

कल मंगलवार 19 जनवरी को किसान आंदोलन के 56वें दिन भी एक किसान जयभगवान राणाा ने टिकरी बाॅर्डर पर जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। अस्पताल में भर्ती किसान की हालत गंभीर बनी हुयी थी और आज इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। । उसके अलावा एक अन्य आंदोलनकारी को मिर्गी का भयंकर दौरा आया और खून की उल्टी होने लगी, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनकी भी हालत में खास सुधार नहीं आया है। 

जानकारी के मुताबिक रोहतक जिले की सांपला तहसील के गांव पाकस्मा के रहने वाले 42 वर्षीय किसान जयभगवान राणा कई दिन से किसानों के टिकरी बार्डर धरने पर शामिल हो रहे थे। मंगलवार 19 जनवरी की शाम साढ़े चार बजे उनकी अचानक हालत बिगड़ने लगी तो पास बैठे आंदोलनकारियों ने उनको संभाला। उन्होंने बताया कि उन्होंने जहर निगल लिया है।

जहर खाने की जानकारी मिलते ही आंदोलनस्थल पर तुरंत एंबुलेंस बुलाई गई और राणा को दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल भेज दिया गया।

अस्पताल जाने से पहले उन्होंने जहर खाने का कारण बताते हुए कहा कि दो महीने से किसान यहां बैठे हैं। जिंदा किसानों की कोई सुनवाई नहीं हो रही, हो सकता है मरने के बाद ही कोई सुन ले। इसलिए मैंने सुसाइड करने की कोशिश की है। मैं आपसे यही रिक्वेस्ट करता हूं कि मेरा शरीर पूरा होने दो...' ये कहने के बाद जयभगवान राणा को उल्टी आने लगी तो उन्हें तुरंत एंबुलेंस में लिटाकर अस्पताल के लिए भेज दिया गया।

जहरीला पदार्थ निगलने से पहले जयभगवान राणा ने देशवासियों के नाम एक पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने किसानों की समस्या का समाधान सुझाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार सभी राज्यों के दो-दो किसान नेताओं से मीडिया की मौजूदगी में बात करे। अगर ज्यादा राज्यों के किसान नेता कानूनों के खिलाफ हों तो कानूनों को रद्द कर दिया जाए और ज्यादा राज्य कानून के हक में हैं तो किसान अपने आंदोलन को खत्म कर घर चले जाएं।

किसान जयभगवान राणा के जहरीला पदार्थ निगलने से पहले मंगलवार 19 जनवरी की सुबह सिरसा जिले के गांव साहूवाला के किसान हरप्रीत सिंह को मिर्गी का दौरा आने से हालत काफी खराब हो गयी थी। उन्हें खून की उल्टी भी लगी। हालत बिगड़ने पर उन्हें पहले धरने के निकट ही एक चिकित्सा कैंप में ले जाया गया और उसके बाद बहादुरगढ़ शहर के एक निजी अस्पताल भेज दिया गया।

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