कानपुर में इंजीनियर की कोरोना से हुई मौत, बेटी DM के पांव पकड़ जमीन पर लेटी
कोरोना से मरने वाले इंजीनियर की बेटी ने चीख-चीखकर पिता की मौत का दोषी अस्पतालकर्मियों को बताया...
जनज्वार, कानपुर। कानपुर के रामादेवी स्थित कांशीराम अस्पताल में रविवार 10 अगस्त से सोमवार 11 अगस्त तक एक इंजीनियर समेत 4 लोगों की कोरोना से मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर आरोप लगाकर जमकर हंगामा काटा। इस दौरान जाम तक लगाने की कोशिश की गई।
जिलाधिकारी और पुलिस वालों के पहुंचने पर कोरोना से जान गंवाने वाले इंजीनियर की बेटी अल्का ने सभी को खूब लताड़ लगाई। मृतक की बेटी ने जिलाधिकारी ब्रह्मदेव दत्त तिवारी के पैर पकड़ने की कोशिश की और उनके सामने लेट गई। उसने कहा कि पिता को उचित इलाज मिला होता तो उनकी मौत नहीं होती।
गौरतलब है कि पनकी निवासी 53 वर्षीय जलकल विभाग में इंजीनियर राजीव दुबे बीती 25 जुलाई से बुखार से पीड़ित थे। परिजनों ने उन्हें एक हफ्ते तक चुन्नीगंज के अस्पताल में भर्ती कराए रखा, जिसके बाद निजी पैथोलॉजी से कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर कल 10 अगस्त को उन्हें कांशीराम अस्पताल में भर्ती किया गया।
राजीव दुबे की बेटी अल्का कहती है, सुबह करीब 10 बजे सीएमओ से जानकारी मिली कि पिता एकदम ठीक हैं। फिर दोपहर 1 बजकर 55 मिनट पर अचानक मौत की जानकारी दी गई। उसकी मां व दो भाई भी कोरोना पॉजिटिव हैं, जिन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है।
मृतक राजीव दुबे के छोटे भाई और भाजपा नेता संजय द्विवेदी कहते हैं, अस्पताल के एक डॉक्टर ने 4-4 हजार रुपये के इंजेक्शन मंगवाए। उन्हें इंजेक्शन लगाए गए कि नहीं पता ही नहीं चला। इसके बाद मरीज को रिजेंसी ले जाने को कहा। इंजीनियर के भाई और बीजेपी नेता संजय द्विवेदी कहते हैं बिना सिफारिश के इस व्यवस्था में उचित इलाज पाना भी संभव नहीं है। उन्होंने ऐसी कुव्यवस्था के लिए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
मृतक इंजीनियर की बेटी ने कहा कि हम पिता के इलाज के लिए इतना पैसा कहां से लाते, जो इन सबको देने के बाद रीजेंसी ले जाएं। परिजनों ने प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री की व्यवस्था को खूब धिक्कारा। सूचना पर मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने परिजनों की बात सुनी। परिजन डीएम के सामने हाथ जोड़कर लेट गए। डीएम ने आश्वासन दिया कि परिजनों के आरोपों की जांच कराएंगे।
इससे पहले डीएम कुछ देर पहले तक नगर आयुक्त की कांशीराम निरीक्षण की रिपोर्ट जिसमें लापरवाही उजागर हुई थी, को लेकर गोलमोल जवाब देते नजर आए। इसके बाद अस्पताल प्रशासन के साथ बैठक की। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जलकल कर्मी की हालत खराब होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। इसी अस्पताल में खलासी लाइन निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग सोमवार को भर्ती हुए, उनकी भी मौत हो गई। इस दौरान पीड़ितों से पुलिस की नोंकझोंक भी हुई।
कोरोना से मरने वाले इंजीनियर की बेटी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी डाला है, जिसमें उसने चीख-चीखकर पिता की मौत का दोषी अस्पतालकर्मियों को बताया है। उसने सीएम योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी से अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को दूर करने की मांग की है। कहा कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उन्होंने अपने पिता को खो दिया है, लेकिन अब यहां भर्ती अन्य मरीजों को तो समुचित इलाज और देखरेख तो मिले।