जर्मनी में कोरोना वैक्सीनेशन के बाद 10 लोगों की मौत, कनाडा में फाइजर टीका लगवाने वाले डाॅक्टर की गयी जान
कोरोना वैक्सीनेशन के बाद कई लोगों की मौत हो चुकी है। यह मौतें 4 घंटे से लेकर 4 दिन के अंदर हुयी हैं। भारत में भी कोवैक्सीन ट्रायल के लिए वालंटियर्स बने लोगों की मौत का मामला सामने आ चुका है...
जनज्वार। पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कारण भयानक संकटों का सामना कर रही है। इस बीव कोरोना टीके के आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। लोग निश्चिंत हो रहे हैं कि टीकाकरण के बाद जिंदगी आगे बढ़ेगी और सरकार भी इसके लिए लंबे-चैड़े दावे कर रही है।
मगर इसी बीच चिंता की बात यह है कि कोरोना वैक्सीनेशन के बाद कई लोगों की मौत हो चुकी है। यह मौतें 4 घंटे से लेकर 4 दिन के अंदर हुयी हैं। भारत में भी कोवैक्सीन ट्रायल के लिए वालंटियर्स बने लोगों की मौत का मामला सामने आ चुका है।
जर्मनी में कोरोना संक्रमण से बचाव में कारगर टीका लगवाने के बाद अब तक दस लोगों की मौत की खबर है। हालांकि पॉल एर्लिश इंस्टीट्यूट ;पीईआईद्ध के विशेषज्ञ मामले में मौत की वजहें खंगालने की कोशिशों में जुट गए हैं, क्योंकि यह इंस्टीट्यूट जर्मनी में चिकित्सकीय उत्पादों की सुरक्षा जांच का जिम्मा संभालता है।
पीईआई से जुड़ी ब्रिगिट केलर.स्टेनिसलॉस्की ने मीडिया को बताया कि जिन लोगों की कोरोना वैक्सीनेशन के बाद मौत हुयी है, वे सभी पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे, उनकी उम्र 79 से 93 साल के बीच थी। जिन लोगों की कोरोना वैक्सीन के बाद मौत हुयी है, उनमें मरने वालों की मौत की अवधि के बीच चंद घंटों से लेकर चार दिन तक का फासला बताया जा रहा है।
पीआईए की तरफ से सफाई में कहा जा रहा है कि मरने वाले सभी लोग गंभीर अवस्था में थे। उनका विभिन्न बीमारियों को लेकर इलाज चल रहा था। हम मरने वाले सभी दस लोगों का अध्ययन कर रहे हैं। शुरुआती जांच से लगता है कि मरीजों की जान बीमारियों की वजह से गई। कोविड टीकाकरण का शायद इससे कोई संबंध नहीं है।
गौरतलब है कि जर्मनी ने दिसंबर 2020 के अंत में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी। वहां अब तकफाइजर और बायोएनटेक की ओर से विकसित वैक्सीन लगाई जा रही है। गुरुवार 14 जनवरी तक वहां के 8.42 लाख लोगों को कोविड की पहली खुराक दी जा चुकी है। सबसे पहले 80 पार बुजुर्गों, नर्सिंग होम में रह रहे मरीजों और स्टाफ और स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण किया जा रहा है।
हालांकि यहां वैक्सीनेशन के बाद साइड इफेक्ट के भी मामले सामने आ रहे हैं। पॉल एर्लिश इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने शुक्रवार 15 जनवरी को जर्मनी में कोरोना टीके से गंभीर साइडइफेक्ट के आधा दर्जन नए मामले दर्ज किये हैं। जर्मनी में अब तक कोरोना वैक्सीन से जुड़े दुष्परिणाम के 325 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 51 गंभीर मामले में शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अप्रत्याशित नहीं हैं। अमेरिका में भी साइडइफेक्ट के कई मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं कनाडा में कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले एक डाॅक्टर की मौत हो गयी है। कनाडा में फाइजर.बायोएनटेक की ओर से विकसित टीका लगवाने के तीन दिन बाद एक डॉक्टर की मौत से हड़कंप मच गया। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार 14 को इस मामले की जांच शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की मौत में टीके की भूमिका का पता लगाया जा रहा है।
फाइजर कंपनी की तरफ से सफाई दी गयी कि इस मामले की जांच जारी है। साथ ही कंपनी के अधिकारियों ने यह भी कहा कि हमारा मानना है, फ्लोरिडा के डॉक्टर की मौत में वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है। माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर के शीर्ष प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्रेगरी माइकल ने 18 दिसंबर को टीका लगवाया था, तीन दिन बाद 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी।
हालांकि इस बीच नॉर्वे सरकार ने शुक्रवार 15 जनवरी को चेताया कि 80 पार बुजुर्ग, जो कि गंभीर रूप से बीमार हैं, उनके लिए कोविड टीकाकरण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। देश में कोरोना टीका की पहली खुराक लेने के कुछ समय बाद ऐसे 23 मरीजों की मौत की खबर सामने आ चुकी है।
नॉर्वे मेडिसिन एजेंसी के मुताबिक अब तक प्राप्त 13 मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि वैक्सीन से होने वाले आम साइडइफेक्ट मरीजों में गंभीर रिएक्शन का सबब बने। पहले से कमजोर और बीमार बुजुर्ग इन साइड इफेक्ट को झेलने में असफल रहे।
इसी बीच फिलीपींस ने फाइजर और बायोएनटेक की ओर से विकसित कोविड टीके को आपात परिस्थितियों में इस्तेमाल करने की शुक्रवार 15 जनवरी को मंजूरी दी है। खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण ने बताया कि फाइजर का टीका कोरोना से बचाव में कारगर माना जा रहा है। 16 साल से अधिक उम्र के लोगों पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। फाइजर की वैक्सीन फिलीपींस में आपात स्थितियों में इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली पहली वैक्सीन बन चुकी है।