WHO : कोरोना के बाद डिजीज एक्स की खोज में जुटा डब्लूएचओ जो भविष्य में बन सकते हैं महामारियों की वजह
WHO ने ताजा बयान में कहा है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से ऐसे रोगाणुओं को चिन्हित किया जाएगा, जिन पर प्राथमिकता के तौर पर पहले ध्यान देने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी ( Corona epidemic ) का मामला ठंडा पड़ने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ऐसे रोगाणुओं यानि वायरस या बग ( Bug ) की खोज में जुट गया है जो भविष्य में महामारी का रूप धारण कर सकते हैं। डब्लूएचओ का कहना है कि ऐसे रोगाणुओं की एक अपडेटड सूची तैयार करने के प्रयास किये जा रहे हैं जोकि बड़े पैमाने पर बीमारी या महामारी के फैलने की वजह बन सकते हैं।
WHO ने इस बात को ध्यान में रखते हुए ताजा बयान में कहा है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से ऐसे रोगाणुओं को चिन्हित किया जाएगा, जिन पर प्राथमिकता के तौर पर पहले ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए डब्लूएचओ ने दुनिया भर के 300 वैज्ञानिकों को एकजुट किया है, जो 25 से अधिक वायरस परिवारों और जीवाणुओं से जुड़े तथ्यों का आंकलन करेंगे।
इसके अलावा, ये वैज्ञानिक "डिजीज X" पर भी ध्यान केन्द्रित करेंगे, जोकि एक ऐसे अनजान पैथोजन का संकेत है, जिससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एक गम्भीर महामारी फैल सकती है। डब्लूएचओ द्वारा यह प्रक्रिया शुक्रवार 18 नवंबर 2022 को शुरू कर दी गई है। आशा है कि इसके जरिए वैक्सीन, परीक्षण और उपचार के लिए वैश्विक निवेश, शोध एवं विकास को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। जिन बीमारियों पर प्राथमिकता के तौर पर निगरानी रखने की आवश्यकता है उनकी पहली सूची वर्ष 2017 में प्रकाशित की गई थी और इससे जुड़ा अंतिम प्राथमिकता सूची 2018 में प्रकाशित हुई थी। सूची में शामिल कोविड-19, इबोला, मारबर्ग, लास्सा बुखार, मध्य पूर्व श्वसन तंत्र सिंड्रोम (मर्स), गम्भीर श्वसन तंत्र सिंड्रोम (सार्स), जीका, निपाह, हेनीपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर और डिजीज X समेत अन्य वायरस शामिल थे।
डब्लूएचओ हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर माइकल रयान का कहना है कि प्राथमिकता वाले रोगाणु और विषाणु परिवारों से निपटने के लिए शोध एवं विकास प्रयासों में इनको लक्षित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इससे वैश्विक महामारी और बीमारियों के प्रकोप से निपटने के लिए तुरंत और कारगर जवाबी उपायों को अपनाने में मदद मिलती है। कोविड-19 का जिक्र करते हुए आगे बताया कि इस महामारी से पहले यदि बेहतर शोध एवं विकास पर निवेश न किया जाता तो इतने रिकॉर्ड समय में इस महामारी से बचने के लिए सुरक्षित और असरदार वैक्सीन को विकसित कर पाना सम्भव नहीं होता।
स्वास्थ्य शोध व अनुसंधान को लेकर ये है रोडमैप
स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा उन रोगाणुओं पर प्राथमिकता के आधार पर एक सूची तैयार की जाएगी, जिनके लिए अतिरिक्त शोध एवं निवेश की जरूरत है। इस क्रम में वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अहर्ताओं का ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, सुलभता व समता से जुड़े मानदंडों पर भी विचार होगा। शोध एवं विकास से जुड़ा रोडमैप उन रोगाणुओं के लिये विकसित किये जाएंगें, जिन्हें प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित किया गया है। भविष्य में इससे जुड़े शोध के लिए क्षेत्र और ज्ञान में मौजूदा कमियों को दूर करने के भी प्रयास किए जाएंगे। साथ ही आवश्यकता व प्रासंगिकता के आधार पर वैक्सीन, उपचार और निदान परीक्षण के लिये विशिष्ट जरूरतों का भी निर्धारण किया जाएगा। इन उपायों को विकसित करने के लिये क्लीनिकल परीक्षणों की भी तैयार किया जाएगा।
इस बारे में डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि प्राथमिकता वाले पैथोजन्स की यह सूची, अनुसंधान समुदाय के लिए एक संदर्भ बिंदु बन गई है जो बताती है कि अगले खतरे को प्रबंधित करने के लिए कहां ध्यान देने की जरूरत है। यह लिस्ट क्षेत्र में विशेषज्ञों के साथ मिलकर तैयार की गई है। एक वैश्विक अनुसंधान समुदाय के रूप में सब सब एकमत हैं कि उन्हें परीक्षण, उपचार और टीके विकसित करने के लिए कहां ऊर्जा और धन का निवेश करने की आवश्यकता है। सम्भावना है कि यह संशोधित लिस्ट अगले वर्ष 2023 की शुरूआत में प्रकाशित हो सकती है।