प्राइवेट अस्पताल की शर्मनाक करतूत, कोरोना से मरी महिला के कान से नोची बालियां, थमाया 1 लाख 17 हजार का बिल

कोरोना से मरने वाली महिला के पति लोकेंद्र ने बताया कि उन्होंने पत्नी को भर्ती कराने के दौरान 50 हजार रुपये पहले जमा किए गए थे, मौत के बाद भी कई घंटे तक बिल बढ़ाया जाता रहा और शव मांगने पर 1.17 लाख का बिल थमा दिया गया और पत्नी के कान से 4 बालियां तक गायब कर दी गयीं...

Update: 2021-05-24 04:31 GMT

जनज्वार, नोएडा। कोरोना की भयावहता के बीच तमाम ऐसे वाकये वामने आ रहे हैं जो इंसानियत को शर्मसार करते हैं। प्राइवेट अस्पताल, दवा विक्रेता, आपदा में अवसर खोज रहे बिचौलिये इस काम में आगे हैं। ऐसा ही एक मामला यूपी के ग्रेटर नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल से सामने आया है। जब तक सांसें चल रही हैं, तब तक मोटा बिल वसूलने का खेल तो चलता ही रहता है, मरीजों के शरीर से गहने तक अस्पताल वाले चुरा ले रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती की गई महिला मरीज की मौत के बाद उसके कान से अस्पतालकर्मियों ने बालियां तक नोच डालीं।

हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन मामले में कोई ठोस कार्रवाई करने की बजाय सुरक्षा एजेंसी को जिम्मेदार ठहराकर मृतका के पति को बालियां वापस करने के लिए चक्कर लगवा रहा है। मामला संज्ञान में आने पर सूरजपुर कोतवाली पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक बुलंदशहर में अनूपशहर निवासी लोकेंद्र एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं और परिवार के साथ दादरी में रहते हैं। उनके दो बच्चे हैं। लोकेंद्र की 35 वर्षीय पत्नी सीमा कोरोना संक्रमित हो गई थी। टेस्ट आदि के बाद ग्रेटर नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल से होम क्वारंटीन की सलाह दी गई। सीमा का घर पर इलाज चलने लगा, लेकिन 9 मई को हालत बिगड़ गई तो उन्हें ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल में भर्ती होने के अगले ही दिन सीमा ने दम तोड़ दिया। लोकेंद्र शव लेने पहुंचे तो सीमा के कान से चार बालियां चोरी कर ली गईं थीं। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत की तो प्रबंधन ने शुरू में आनाकानी की, लेकिन बाद में सिक्योरिटी कंपनी से जल्द बालियां दिलाने का आश्वासन दिया।

शनिवार 22 मई को लोकेंद्र फिर अस्पताल पहुंचे और बालियां लौटाने की मांग की, लेकिन प्रबंधन ने फिर से कुछ दिन बाद आने की बात कहकर टरका दिया। लोकेंद्र ने बताया कि उन्होंने पत्नी को भर्ती कराने के दौरान 50 हजार रुपये पहले जमा किए गए थे। मौत के बाद भी कई घंटे तक बिल बढ़ाया जाता रहा और शव मांगने पर 1.17 लाख का बिल थमा दिया गया।

सुरक्षाकर्मियों ने सभी सामान वापस करने संबंधी दस्तावेज पर पहले ही परिजन के हस्ताक्षर करा लिए थे। इससे उन्होंने शिकायत भी नहीं की। इससे पहले जमालपुर गांव निवासी युवक की कोरोना से मौत के बाद आईसीयू से मोबाइल चोरी का मामला सामने आया था। इस मामले में बीटा-2 थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है, जिसकी पड़ताल पुलिस अब तक कर रही है।

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