कोविड की दूसरी लहर में गाजियाबाद के प्रदीप की मौत के बाद लापरवाही बरतने के लिए 5 डॉक्टरों पर दर्ज हुई थी FIR, मेडिकल एसोसिएशन ने जताया कड़ा विरोध

मेडिकल एसोसिएशन ने कोविड की दूसरी लहर में प्रदीप की मौत के हुई एफआईआर के बाद विरोध जताते हुए कहा है, कठिनतम परिस्थितियों के बावजूद भी अगर किसी व्यक्ति को चिकित्सा जगत न बचा पाया तो उसका कारण सिर्फ कोविड 19 की द्वितीय लहर की विराट आपदा थी, न कि चिकित्सकों की लापरवाही...

Update: 2022-11-24 16:31 GMT

केरल में बढ़ते कोरोना केसों और मौतों का आंकड़ा बढ़ा रहा है चिंता (photo : social media)

कोविड की दूसरी लहर ने दुनियाभर में लाखोंलाख जिंदगियां लील ली थीं। हमारे देश में भी ऐसा कोई भी राज्य नहीं बचा था जहां कोविड से मौतें न हुई हों। बहुत भयावह मंजर था कोविड की दूसरी लहर में। दावा किया जाता है कि कोविड 2 में हमारे देश में ही लाखों लाख लोगों की जान चली गयी थी।

मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर में यथार्थ अस्पताल में इलाज में लापरवाही एवं समय पर रेमडेसिविर नामक इंजेक्शन न मिलने की वजह से गाज़ियाबाद निवासी प्रदीप कुमार शर्मा पुत्र राजा राम शर्मा की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी।

नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन ने इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त की है। कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्राप्त करे एवं पूरे परिवार को इस सदमे से उबरने की शक्ति दे, ऐसी कामना करता है।

इस मामले मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक पीड़ित प्रदीप की इलाज के दौरान गंभीर लापरवाही बरती गई थी एवं रेमडिसिविर इंजेक्शन देरी से दिया गया, जिसके चलते इलाज के दौरान उनकी तबियत बिगड़ गई एवं उन्हें बचाया न जा सका।

नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान जारी किया है कि हमें ये भी जानकारी मिली है की पुलिस ने इस मसले में पांच डॉक्टरों के विरुद्ध आईपीसी धारा 304 (A) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की है। कोविड-19 की दूसरी लहर एक प्राकृतिक आपदा थी, जिससे संपूर्ण देश में हाहाकार मचा एवं संसाधनों की कमी सभी क्षेत्रों में देखी गई। मेडिकल ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर, अस्पताल बेड, अन्य जीवन रक्षक दवाएं सब कम पड़ गए थे। इस कठिन समय में नोएडा एक्सटेंशन में यथार्थ अस्पताल एक आशा की किरण बनकर उभरा एवं अनगिनत लोगो को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई, जिसे देने में संपूर्ण स्वास्थ्य महकमा आपदा की व्यस्तता की वजह से करने में असमर्थ था।

नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा है, इस क्षेत्र के सभी डॉक्टरों ने अपनी जान पर खेल कर मरीजों का उपचार किया एवं यथासंभव सीमित संसाधनों का उपयोग कर अपना श्रेष्ठतम योगदान दिया, जिसे बाद में स्वयं सरकार एवं कई गैर सरकारी संगठनों ने भी माना एवं उन्हें सम्मानित किया। इन कठिनतम परिस्थितियों के बावजूद भी अगर किसी व्यक्ति को चिकित्सा जगत न बचा पाया तो उसका कारण सिर्फ कोविड 19 की द्वितीय लहर की विराट आपदा थी, न कि चिकित्सकों की लापरवाही। रेमडेसिवीर दवा कोविड में कोई कारगर इलाज के रूप में कभी स्थापित नहीं थी, बल्कि सिर्फ उसको "emergency use authorisation" यानी कोविड 19 जनित आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अनुमोदित किया गया था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसे कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से भी हटा दिया था। ऐसे में उसकी अनुपलब्धता की वजह से मृत्यु हो जाना सही मालूम नहीं पड़ता है।

नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन ने आगे कहा है, युद्ध में सीमा पर लड़ने वाले जवानों की गलतियां निकलकर उन पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती। उसी प्रकार हम कोविड लहर में अपना समस्त झोंक देने वाले कर्तव्यनिष्ठ चिकित्सकों पर की गई जबरन पुलिसिया एवं प्रशासनिक कार्यवाही का विरोध करते हैं एवं शासन प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि एक नई जांच कमेटी का गठन कर दुबारा जांच कराई जाए एवं इस नई जांच समिति में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ, छाती रोग विशेषज्ञ, सप्लाई चेन विषेषज्ञ को भी शामिल किया जाए तथा तब तक किसी भी प्रशासनिक कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

नोएडा एक्सटेंशन मेडिकल एसोसिएशन कहता है, हर डॉक्टर अपने मरीज के कष्ट हटाने के लिए प्रतिबद्ध रहता है एवं सदा उसके हित में ही कार्य करता है। ऐसा पहले भी कई निर्णयों में हमारी अदालतें इस तथ्य को मानती आ रही है। इसलिए हम इस धारा 304 A के अंतर्गत एफआईआर का कड़ा विरोध करते हैं।

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