हरियाणा के आंदोलनकारी किसानों के गांवों में फैला कोरोना, सरकार पर किसानों का अविश्वास बना बड़ा कारण

कई गांवों में इंजेक्शन लगाने गए डॉक्टरों तक को घुसने नहीं दिया गया, सरकार की गाइडलाइन भी मानने को तैयार नहीं लोग...

Update: 2021-05-08 12:07 GMT

photo : social media

चंडीगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार। हरियाणा के कई गांवों में लगातार मौतें हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौत की वजह कोविड भी हो सकता है। इसके बाद भी ग्रामीण जांच कराने को तैयार नहीं हैं। सवाल यह है कि ग्रामीणों और सरकार के प्रति यह अविश्वास क्यों बना है। क्या इसकी वजह किसान आंदोलन है।

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार और सांध्य दैनिक के संपादक प्रदीप भारद्वाज कहते हैं कि किसान सरकार के खिलाफ है। वह लगातार मंत्रियों व सरकार के लोगों को विरोध कर रहे हैं। इस तरह से गांव में एक असहयोग आंदोलन सा चल रहा है। इसका असर कहीं न कहीं कोविड संक्रमण फैलने पर भी पड़ रहा है।

प्रदीप भारद्वाज की मानें तो ग्रामीणों व प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ रहा है। महामारी के दौर में यह स्थिति ठीक नहीं है। फिर भी इस गतिरोध को दूर करने की दिशा में ज्यादा काम नहीं हो रहा है। रोहतक के गांव टिटौली में कोविड संक्रमण फैलने के पीछे भी यह एक वजह है। अभी भी ग्रामीण जांच के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। किसान संगठन यह मानकर चल रहे हैं कि सरकार उनका आंदोलन खत्म करने के लिए कोविड संक्रमण फैलने की बात कर रही है।

स्थिति हो रही लगातार खराब

इधर शहरों के बाद अब कोरोना का संक्रमण गांवों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। हालात कितने खराब है, इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि हिसार के खरड़ गांव में बीते 5 दिनों में 22 लोगों की मौत हो गई है। इसी जिले के तलवंडी बादशाह गांव में हर दूसरे दिन 1 मौत हो रही है, 20 दिनों में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। उकलाना क्षेत्र के प्रभुवाला में बीते दिनों में 15 मौतें दर्ज की गई हैं।

नारनौंद के बास क्षेत्र के गांव गढ़ी में एक मई से 5 मई तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से दो मौत कोरोना से हुई हैं। बास गांव में पांच दिन में पांच और मदनहेड़ी में चार लोगों की मौत हो चुकी है।

गांव खांडा खेड़ी में 1 से 6 मई तक छह दिन में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में बुजुर्ग ही नहीं युवाओं की भी जिंदगी की डोर टूट रही है। मरने वालों में 26 साल के युवा से लेकर 80 साल के बुजुर्ग भी शामिल हैं।

गांव में हो रहीं मौतों का कारण कोई वायरल तो कोई कोरोना बता रहा है। चूंकि बिना कोई जांच कराए ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया जा रहा है। गांवों में लोग बीमार है, लेकिन सामने नहीं आ रहे हैं। जो गंभीर है, वह निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।

क्यों बन रहे यह हालात

पर्यावरण व ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली संस्था आकृति के अध्यक्ष समाजसेवी अनुज सैनी कहते हैं, निश्चित ही किसान आंदोलन की वजह से ग्रामीणों व सरकार के बीच एक लकीर खिंच गई है। ग्रामीण सरकार और प्रशासन की बात मानने को तैयार नहीं है। यह अविश्वास एक दिन में नहीं बना। हो यह रहा है कि सरकार प्रदेश सरकार किसान व ग्रामीणों को लेकर जो भी नीति बना रही है, इससे कहीं न कहीं परिणाम निराशाजनक है। धान के बाद गेहूं खरीद को लेकर जो पोर्टल सिस्टम बनाया, इससे किसान परेशान हो गए। ऑनलाइन पेमेंट भी किसानों के लिए परेशानी की वजह बन रही है। इससे किसानों और ग्रामीणों को लगता है कि यह सरकार उन्हें तंग कर रही है।

कोविड जैसी महामारी के बीच यह स्थित बहुत चिंताजनक है। अनुज सैनी का यह भी कहना है कि ग्रामीण बीमारी छुपा रहे हैं, यह तमाम वजहों में एक वजह हो सकती है। इसके अलावा गांव में जागरूकता की कमी है। उन्हें यह भी लगता है कि कोविड शहरों की बीमारी है। इसलिए उन्हें कुछ नहीं हो सकता। कुछ ग्रामीण यह भी मानते हैं कि इसका इलाज नहीं है, इसलिए जांच का फायदा क्या? जबकि कुछ टोने-टोटके और देसी उपचार पर जोर देने की वजह से भी सामने नहीं आ रहे हैं।

पंजाब में किसान संगठन कर रहे लॉकडाउन का विरोध

पंजाब के किसान संगठन लॉकडाउन के विरोध में मुखर हो रहे हैं। आज 8 मई को किसान संगठनों ने कुछ जगह दुकानें खोलने की कोशिश की। हालांकि दुकानदारों ने इससे इनकार कर दिया है। पंजाब की 32 किसान जत्थेबंदियों ने लॉकडाउन का विरोध किया। आज 8 मई को मोगा में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के कार्यकर्ता नेचर पार्क में इकट्ठा हुए। उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एक रोष मार्च निकाल। फिर बाजार बंद का विरोध करते हुए दुकान खुलवाने की कोशिश की। पठानकोट में भी लॉकडाउन के विरोध में किसानों ने रोष प्रदर्शन किया।

किसानों ने इसके लिए पहले ही ऐलान कर रखा था, इसलिए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों में जरूरत के अनुसार कोई भी नया और सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत कर दिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि दुकानों और निजी दफ्तरों को रोटेशन (बारी-बारी) के आधार खोलने के फैसले को छोड़कर बाकी मौजूदा प्रतिबंधों में किसी तरह की ढील बरतने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

उन्होंने डीजीपी को राज्य में साप्ताहिक लॉकडाउन को सख्ती से लागू करवाने और किसान संघर्ष मोर्चे के लॉकडाउन विरोधी प्रदर्शन को देखते हुए किसी भी तरह के उल्लंघन को सख्ती से निपटने के आदेश दिए थे। कैप्टन ने कहा था कि 32 किसान यूनियनों का किसान मोर्चा, राज्य सरकार पर शर्तें नहीं थोप सकता। उन्होंने प्रतिबंधों के उल्लंघन की सूरत में सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर प्रतिबंधों का उल्लंघन करके कोई भी दुकान खोली गई तो दुकान मालिक पर भी कानूनी कार्रवाई होगी।

अब हरियाणा सरकार का फ़ोकस देहातों पर

आज हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कोविड को लेकर पंचायत विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। इसमें तय किया गया कि अंतिम व्यक्ति तक टेस्टिंग की जाए। गांवों में टेस्टिंग के लिए 8 हजार टीमें बनाने के निर्देश दिए गए। टीम में आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा। सीएम ने कहा कि गांवों में जो भी कोविड मरीज है, उन्हें आइसोलेट करने के लिए गांव में धर्मशाला, सरकारी स्कूलों या आयुष केंद्रों को इस्तेमाल किया जाए।

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