उत्तराखंड के बच्चों में तेजी से फैल रहा है कोरोना, पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव एक बड़ी चिंता

हम पिछले डेढ़ माह के आंकड़ों की बात करें तो 1 से 19 वर्ष तक के16 हजार से अधिक बच्चे और युवा कोरोना से संक्रमित पाए गये हैं। इनमें 9 साल की उम्र तक के 3020 बच्चे और 10 से 19 साल तक की उम्र के 13393 बच्चे व युवा शामिल हैं।

Update: 2021-05-23 10:05 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनज्वार ब्यूरो। उत्तराखंड में बच्चों में तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है। उत्तराखंड में 1अप्रैल से 15 मई के बीच 16000 से अधिक बच्चे संक्रमित पाये गये हैं। स्टेट कंट्रोल रूम कोविड- 19 द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 1,22,949 लोग पिछले 20 दिनों में कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। इनमें 9 साल तक की उम्र के 2044 बच्चे तथा 10 से 19 साल की उम्र तक के 8661 बच्चे व किशोर पिछले 20 दिनों में संक्रमित पाए गए हैं। अगर हम पिछले डेढ़ माह के आंकड़ों की बात करें तो 16 हजार से अधिक बच्चे और 19 साल तक के युवक कोरोना से संक्रमित पाए गये हैं। 9 साल की उम्र तक के 3020 बच्चे और 10 से 19 साल तक की उम्र के 13393 बच्चे व युवा शामिल हैं। 31 मार्च तक प्रदेश में बच्चों और युवाओं के बीच संक्रमण के कुल 10740 मामले थे। सिर्फ एक माह में यानी अप्रैल 2021 तक यह आंकड़ा 18000 पार कर गया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉक्टर सरोज नैथानी कहती हैं- यह आंकड़े हमें अलर्ट कर रहे हैं, अभी जो आंकड़े आये हैं इनमें से हमें यह देखना होगा कि जो बच्चे संक्रमित हुए हैं यह किस कैटेगरी के बच्चे हैं और कहां के हैं। क्या यह सभी देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के हैं या पहाड़ के किसी इलाके के हैं। हमें अपनी सर्विलांस टीम से यह पता करवाना शुरू करना पड़ेगा ताकि हमारी स्ट्रेटजी भी वैसे ही बने। इससे हमें यह और क्लियर हो जाएगा कि हमें अपनी स्ट्रेटजी को किस तरफ तेजी से ले जाना है।

सरकार की तैयारी-

उत्तराखंड के बच्चों में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर कोरोना की तीसरी लहर का सन्देह भी व्यक्त किया जा रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की 'तीसरी लहर' की चेतावनी के मद्देनजर बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका को ध्यान में रखते हुए कुछ राज्यों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार सरकार बच्चों के लिए कोविड-19 अस्पताल तैयार कर रही है। जिनमें अलग कमरों में बच्चों को रखा जाएगा हम लोग होटलों को भी इसमें शामिल कर रहे हैं। जिससे उनको कोविड-19 अस्पताल के रूप में तैयार कर सकें। जिनमें बच्चों को सिंगल रूम फैसिलिटी दी जा सके। जिसमें अगर बच्चे के साथ उनके मां-बाप को भी रखना हो तो रखा जा सके।

पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के आधारभूत ढांचे का अभाव एक बड़ी चिंता

राज्य में चाइल्ड स्पेशलिस्ट की संख्या भी काफी काम है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा अभाव है। इस तरफ ध्यान आकर्षित करते हुये दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक एल पी पंत कहते है-

उत्तराखंड में कोरोना का काला धुआँ बच्चों पर लगातार हमला कर रहा है। लेकिन सुदूर पहाड़ी जिलों से इलाज के लिए देहरादून-श्रीनगर (गढ़वाल) और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में लाने के लिए अस्पतालों के पास बच्चों की स्पेशल एंबुलेंस नहीं हैं।

देहरादून स्थित सोशल डेवलपमेंट ऑफ कम्युनिटीज के संस्थापक अनूप नौटियाल राज्य में पहला मामला सामने आने के समय से ही कोविड 19 कि स्थति पर नज़र बनाए हुए हैं। वे बताते है कि बच्चों के कोविड-19 के उपचार हेतु सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई SOP जारी ही नहीं हुई है।


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