MP में दलालों से मिला प्लाज्मा डॉक्टरों ने मरीज को चढ़ाया, व्यापारी की मौत पर बड़े रैकेट का हुआ खुलासा

मृतक के परिजनों ने अपोलो अस्पताल को जो प्लाज्मा लाकर दिया था, वह प्लाजमा बैग की जगह ब्लड बैग में था, इलाज कर रहे डॉक्टरों ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया था, जिसके बाद डॉक्टरों ने व्यापारी को प्लाज्मा चढ़ा दिया ...

Update: 2020-12-12 10:52 GMT

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

ग्वालियर, जनज्वार। कोविड-19 महामारी दौर में एमपी के जिला ग्वालियर स्थित जेएएच ब्लड बैंक में फर्जीवाड़े का एक मामला सामने आया है। यहां दतिया निवासी कोरोना संक्रमित मनोज गुप्ता के परिजन को प्लाज्मा बेचकर, ब्लड बैंक की फर्जी 18 हजार रुपये की रसीद दे दी, जिसके बाद इस गोरखधंधे की परतें खुल रही हैं।

ग्वालियर पुलिस को जब इस मामले के बारे में पता चला तो उन्होंने दलाल महेश मौर्य और हेमंत को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हें पिछले चार महीने में 150 संक्रमितों को प्लाज्मा बेचा है। इसके लिए उन्होंने जेएएच की फर्जी रसीद और क्रॉस मैच रिपोर्ट भी तैयार की। पुलिस दोनों से गिरोह के बारे में पूछताछ कर रही है।

जनज्वार को मिली जानकारी के अनुसार इस गिरोह में जेएएच की लैब के एक कर्मचारी समेत 8 से 10 लोग शामिल हैं। एसपी अमित संघी का कहना है कि प्लाज्मा लेनदेन में दलाली सहित जेएएच की फर्जी रसीद बनाने का मामला पकड़ा जा चुका है। इस मामले के कुछ अन्य बिंदुओं पर पड़ताल चल रही है। जल्द ही पुलिस एस मामले पर एफआईआर दर्ज करेगी और इस रैकेट से जुड़े हर एक व्यक्ति को बेनकाब किया जाएगा।

यह पूरा मामला उस समय एक्सपोज हुआ, जब दतिया का एक इलेक्ट्रानिक कारोबारी मनोज गुप्ता की कोरोना संक्रमित होने से मौत हो गई। व्यापारी की मौत के बाद प्लाजा के नाम पर हो रही लूट का खुलासा होने के साथ ही अस्पताल में इलाज में बरती गई लापरवाही भी उजागर हुई है।

अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल के डॉक्टरों ने व्यापारी की दूसरी कोरोना जांच 6 दिसंबर को कराई थी। जिसकी रिपोर्ट 7 दिसंबर को निगेटिव आई थी। इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर परिजनों से प्लाज्मा मंगा रहे थे। इसके लिए अस्पताल के एक कर्मचारी ने दलाल महेश मौर्य का नंबर दिया, जिस पर संपर्क करने के बाद परिजनों ने प्लाज्मा लिया।

अब अस्पताल में मरीज को दिए जा रहे इलाज पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पर विशेषज्ञों ने आपत्ति जताते हुए कहा. अगर मरीज की कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई थी, तो फिर डॉक्टरों ने प्लाज्मा क्यों मंगाया। उनक कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद प्लाज्मा चढ़ाया क्यों गया?

मामले की जांच कर रही कमेटी के मुखिया डॉ एसके वर्मा टीम सहित जांच करने के लिए जेएएच परिसर स्थित ब्लड बैंक पहुंचे तो पता चला कि मृतक के परिजनों ने अपोलो अस्पताल को जो प्लाज्मा लाकर दिया था, वह प्लाजमा बैग की जगह ब्लड बैग में था। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया था, जिसके बाद डॉक्टरों ने व्यापारी को प्लाज्मा चढ़ा दिया था।

प्लाज्मा चढ़ाने के बाद मरीज को कंपकंपी होने लगी। जब मरीज की हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों ने प्लाज्मा देना बंद कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, प्लाज्मा बैग की अधिकतम क्षमता डेढ़ सौ एमएल होती है, जबकि जिस बैग में यह प्लाज्मा रखा गया था, उसकी क्षमता 450 एमएल है। आशंका जताई जा रही है कि प्लाज्मा को बढ़ाने के लिए उसमें नेचुरल सलाइन मिलाया गया है।

जांच कर रही कमेटी ने मृतक व्यापारी मनोज गुप्ता की तीन जगह की खाल, बिसरा, खून व फेफड़े जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेज दिया है। जीआरएमसी के डॉ चंद्र शेखर वागमारे, डॉ जेपी सोनील और डॉ बृजेश सक्सेना की तीन सदस्यीय टीम को बॉडी का पोस्टमार्टम करने का जिम्मा दिया गया है। परिजनों से पूछताछ करने पर उन्होंने डॉक्टर अजय त्यागी का नाम बताया, जिसे टीम तलाश रही है।

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