Ground Report : कानपुर देहात में झोलाछाप डॉक्टरों की पांचों उंगलियां घी में, स्वास्थ्य महकमे की नाकामी से गरीबों में मातम

प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर इलाज के नाम पर लाखों की ठगी कर रहे हैं और अधिकारी मूकदर्शक बने हैं, जिसके चलते मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है...

Update: 2021-05-08 11:30 GMT

जनज्वार, कानपुर। यूपी के कानपुर देहात मे पंचायत चुनाव के बाद ग्रामीण क्षेत्रो मे संक्रमण लगातार बढ़ता हुआ दर्ज किया जा रहा है। जनपद के अधिकारी हकीकत से कोसों दूर है। जिसके चलते ये त्रासदी ग्रामीण क्षेत्रो के मजरा और मजरा से अब पुरवा तक पहुंच गई है। रसूलपुर गोगूमऊ गाव में संक्रमण की चपेट में आकर करीब 100 लोग बीमार पड़े है, तो वही इस गांव में 45 दिनों में लगभग 8 लोगो की मौत हो चुकी। 

आलम यह है कि जिले में चारो तरफ हाहाकार मचने लगा है। प्राइवेट अस्पतालों में जगह नहीं है। अगर जगह मिल भी जाती है तो इलाज महंगा है। कानपुर देहात का जिला अस्पताल रिफर सेंटर बन चुका है। स्वास्थ महकमा लोगो को इलाज देने में फेल साबित होता नजर आ रहा है। विभाग न तो गांव के लोगो की जांच कर पा रहा है और न ही इलाज मुहैया करा पा रहा है। और तो और इतनी मौतों के बाद भी गांवों में सेनेटाइजेशन का कार्य भी नही कराया जा रहा है। 

गावों मे लोग बिना जांच के ही संदिग्ध बीमारी से ग्रसित हो चुके है। आज की इन कठिन परिस्थियों मे ग्रामीण क्षेत्रो के लोग डर के साये में जी रहे है। संक्रमण की त्रासदी मे जूझ रहे गांव के लोग अपना दर्द बयां कर जमीनी हकीकत को बता रहे हैं, जिससे लगता है कि गांवों के हालात कितने भयावह हैं। तस्वीरें कानपुर देहात के रसूलपुर गोगूमऊ गांव की है जहाँ लगभग 2200 वोटिंग सहित 3500 के करीब आबादी है, गांव में संक्रमण इस कदर बढा है कि गांव के हर दूसरे घर मे लोग संक्रमण से जूझ रहे है। गांव के लगभग 100 लोग बीमार पड़े है साथ ही 45 दिनों में 8 लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

Full View

कानपुर देहात में बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां की तस्वीरें जिला प्रशासन समेत स्वास्थ विभाग के दावों की पोल खोल रही है। गाव मे पंचायत चुनाव के बाद संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन जनपद के अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रो में फैले संक्रमण और हकीकत से कोसों दूर है। जिसके चलते सही आंकड़े दिखाई नही दे रहे हैं। नतीजा ये है कि गावो मे करीब सैकड़ो लोग मौत के काल मे समा रहे है। जनपद में गावो में सैकड़ो लोगो की बीमारी के चपेट में आने से मौत हो चुकी है और करीब सैकड़ो की संख्या में लोग घरों में बीमार पड़े हैं। 

ग्रामीणों की माने तो स्वास्थ महकमें की ओर से उन्हें कोई भी सुविधा नही दी गई है, और न ही कोई टीकाकरण न दवाइयां मिली। यहां तक की गांव मे आज तक कोई स्वास्थ्य विभाग कि टीम नहीं पहुंची। लोग बदहाली की ज़िंदगी जी रहे है और मरने को मजबूर है और न ही गांव में सेनेटाईजेशन का कार्य कराया जा रहा है। सरकारी स्वस्थ विभाग की बात करें तो ग्रामीणो का आरोप है कि डॉक्टर मरीजों को छूना तो दूर उन्हें देख भी नही रहे है, डॉक्टर के हांथों में सिर्फ रेफर लेटर है।

सरकार के आदेश थे कि जिनको सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिले तो वो प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा सकते है लेकिन प्राइवेट अस्पताल में भी डॉक्टर इलाज के नाम पर लाखों की ठगी कर रहे है और अधिकारी मूक दर्शक बने है। जिसके चलते मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है।  

यहां के झोलछाप डॉक्टर और उनकी दुकान दोनो की ही तस्वीर चौकाती है। दुकानों पर ग्रामीण तो ग्रामीण इलाज देने वाले डॉक्टर भी बिना मास्क के नजर आए और लोग इलाज के लिए जहां-तहां पड़े दिखे, इस त्रासदी मे लोग केवल इलाज पाने के लिए कुछ भी करने को मजबूर हैं। वही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को झोलछापो की दुकान पर इलाज तो मिल रहा है पर इलाज के साथ उन्हे संक्रमण का खतरा भी है।

डीएम कानपुर देहात जितेंद्र प्रताप सिंह ने जनज्वार को बताया कि जिले मे निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण हो गई है, और सभी जिले के अधिकारियों को इस महामारी से निपटने के लिए लगाया गया है। जिले मे कोरोना की शिकायतें कम आएंगी साथ ही जिले मे कोरोना संक्रमितों के लिए दो कोविड अस्पताल बनाए गए हैं। जिले मे 18 बेंटीलेटर संचालित है और जल्द ही हम 50 वेंटीलेटर कर लेगे। लखनऊ की तर्ज पर जिले मे टीम 9 का गठन हो गया है। सभी मरीजो कि निगरानी की जा रही है।

Tags:    

Similar News