COVAXIN का ट्रायल डोज लगाने के 9 दिन बाद मजदूर की मौत, परिवार ने उठाए टीके पर सवाल

मृतक दीपक के बेटे आकाश के मुताबिक पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की थर्ड फेज क्लीनिकल ट्रायल टीम ने शुक्रवार 8 जनवरी की दोपहर को पिता के मोबाइल फोन पर वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए फोन किया था, जो उन्होंने रिसीव किया और पिता के निधन की फिर से सूचना दी, तो एग्जीक्यूटिव ने कॉल ही डिसकनेक्ट कर दिया...

Update: 2021-01-09 10:35 GMT

भोपाल। देशभर में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन यानी कोवैक्सीन का गुरुवार 7 जनवरी को फाइनल ट्रायल पूरा हो चुका है। इस टीके को भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन के ट्रायल में देश के अलग-अलग हिस्सों में 26 हजार से ज्यादा लोगों को इसका टीका लगवाया गया है, मगर अब इस टीके को लगाने वाले वालंटियर की मौत के बाद यह सवालों के घेरे में है।

फाइनल ट्रायल पूरा होने के अगले दिन यह खबर आयी कि कोवैक्सीन का ट्रायल डोज लेने वाले भोपाल के एक शख्स की 9 दिन बाद मौत हो गयी है। जानकारी के मुताबिकए भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में दीपक मरावी नाम के शख्स को 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगवाया गया था और 21 दिसंबर को उसकी मौत हो चुकी है। इस बात का ख़ुलासा दीपक के 18 वर्षीय बेटे आकाश ने किया है। दीपक की मौत के कोवैक्सीन टीके का ट्रायल करने वाले अस्पताल में हड़कंप मच गया। 22 दिसंबर को उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में शव में जहर मिलने की पुष्टि हुई है।

जानकारी के मुताबिक कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगवाने वाले दीपक टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में रहते थे और अपने घर में मृत हालत में मिले थे। दीपक के बेटे आकाश का कहना है, कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लेने के बाद से उनके पिता ने मजदूरी पर जाना बंद कर दिया था, वे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे। बकौल आकाश उसके पिता की सेहत 19 दिसंबर को अचानक बिगड़ गयी। उन्हें अचानक घबराहट, बैचेनी, जी मिचलाने के साथ उल्टियां होने लगी। परिजनों ने उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश की मगर उन्होंने साफ मना कर दिया।

दीपक के बेटे आकाश कहते हैं, हमने इसे मामूली बीमारी समझकर उनका कहीं इलाज नहीं कराया, मगर 21 दिसंबर को वो हम सबको छोड़कर चले गये। आकाश के मुताबिक जब उसके पिता का निधन हुआ तो वह घर में अकेले थे। दीपक की पत्नी काम से बाहर गई थी और छोटा बेटा बाहर खेल रहा था।

परिजनों के मुताबिक दीपक को कोरोना का ट्रायल डोज लगवाने के बाद सेहत का हाल जानने के लिए अस्पताल से अक्सर फोन आते रहते थे। 21 दिसंबर को भी जब दीपक के पास फोन आया तो परिजनों ने उसकी मौत के बारे में बताया, बावजूद इसके संस्थान से कोई घर तक नहीं आया। दीपक भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों में से एक थे।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दीपक की मौत के बाद 22 दिसंबर को उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में शव में जहर मिलने की पुष्टि हुई है। हालांकि मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी इसके पीछे कोई अन्य वजह है, इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है। अभी दीपक की फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी है, जिसमें इसका खुलासा होगा।।

दीपक की लाश का विसरा पुलिस को सौंप दिया गया है। पुलिस का कहना है कि वह विसरे का कैमिकल एनालिसिस कराएगी, फिलहाल इस मामले में जांच शुरू कर दी गयी है।

दीपक के बेटे आकाश के मुताबिक पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की थर्ड फेज क्लीनिकल ट्रायल टीम ने शुक्रवार 8 जनवरी की दोपहर को दीपक के मोबाइल फोन पर वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए फोन किया था, जो उन्होंने रिसीव किया और क्लीनिकल ट्रायल टीम को अपने पिता के निधन की फिर से सूचना दी, मगर इसके बाद एग्जीक्यूटिव ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया था।

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