कोर्ट ने पतंजलि को 'कोरोनिल' ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने से रोका, दूसरी कंपनी ने ठोका अपना दावा

जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने चेन्नई स्थित कंपनी अरुद्र इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर 30 जुलाई तक के लिए अंतरिम आदेश पारित किया है, कंपनी ने दावा किया है कि 'कोरोनिल' ट्रेडमार्क 1993 से उनके स्वामित्व वाला ट्रेडमार्क है....

Update: 2020-07-18 10:08 GMT

चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट से योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की विवादास्पद दवा 'कोरोनिल' (जो बिना किसी सबूत के यह दावा करता है कि कोविड 19 का उपचार है) का ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने को लेकर झटका मिला है। कोर्ट ने इस पतंजलि आयुर्वेद द्वारा इसका इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।

जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने चेन्नई स्थित कंपनी अरुद्र इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर 30 जुलाई तक के लिए अंतरिम आदेश पारित किया है। अरुद्र इंजीनियरिंग लिमिटेड की ओर से दावा किया है कि 'कोरोनिल' ट्रेडमार्क 1993 से उनके स्वामित्व वाला ट्रेडमार्क है।

कंपनी के अनुसार वह भारी मशीनरी और कंटेंनमेंट यूनिट की साफ सफाई करने के लिए रसायनों और सैनिटाइजर का निर्माण करती है। उसने 1993 में 'कोरोनिल -213 एसपीएल' और 'कोरोनिल-92 बी' पंजीकृत किया है और तबसे वह रिन्यू करके ट्रेडमार्क का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कंपनी ने कहा, वर्तमान में ट्रेडमार्क पर हमारा अधिकार 2027 तक वैध है। अरुद्र इंजीनियरिंग लिमिटेड ने ट्रेडमार्क के साथ अपनी वैश्विक मौजूदगी का जिक्र करते हुए दावा किया कि इसके ग्राहकों में बीएचईएल और इंडियन ऑयल भी शामिल हैं।

अपने दावे को साबित करने के लिए याचिकाकर्ता ने अपने उत्पादों के पिछले पांच सालों को सेल बिल को भी प्रस्तुत किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि पतंजलि द्वारा अपनी दवाओं के लिए अपना गया ट्रेडमार्क कंपनी के द्वारा पंजीकृत है। हालांकि कंपनी के द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद अलग-अलग हैं, फिर भी समान ट्रेडमार्क के उपयोग से हमारी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के अधिकार का उल्लंघन होगा।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पतंजलि के द्वारा लगातार हमारे ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने से सीधे हमारी रेप्युटेशन और पिछले 26 सालों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बनाई हुई हमारी गुडविल पर सीधा असर पड़ेगा।

पतंजलि के द्वारा कोरोनिल लॉन्च करने के बाद केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने 1 जुलाई को कहा था कि कंपनी दवा को इम्युनिटी बूस्टर के रूप में बेच सकती है, न कि कोविड-19 के इलाज के रूप में। रामदेव ने आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि कुछ लोग स्वदेशी चिकित्सा के उदय से आहत हैं।

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